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मुश्ताक मंसूरी@ Khandwa
मध्य प्रदेश के खंडवा के एक गरीब परिवार की बेटी ने सफलता का परचम लहराया है। पुनासा तहसील के सिंगाजी गांव में रहने वाली कावेरी डिमर भारतीय नौसेना (Indian Navy) में सेलेक्ट हुई हैं। कावेरी का चयन भारतीय नौसेना में खेलों के कोटे से हुआ है। इस बड़ी सफलता के बाद अपने गांव पहुंची बेटी कावेरी ने माता-पिता आशीर्वाद लिया, जहां ग्रामीणों ने उनका जोरदार स्वागत किया। इस होनहार बेटी ने एक समय में अपने पिता का कर्ज उतारने के लिए इंदिरा सागर बांध के बैकवाटर में मछली पकड़ने का काम भी किया है। अब कावेरी का देश सेवा के लिए चयन होने परिवार वाले बेहद खुश हैं।
कावेरी की प्रेरणादायक और सफलता की कहानी
कावेरी ने अपनी यात्रा नर्मदा नदी के इंदिरा सागर के बैकवाटर में तैराकी की शुरुआत से की थी और फिर विदेशी खेल कैनोइंग में महारत हासिल की। अपने सफर में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। मध्य प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने वाली कावेरी ने 17 साल की उम्र में कावेरी ने बड़ी पहचान बनाई, और लगातार अच्छे प्रदर्शन के बाद उनका चयन खेल कोटे से भारतीय नौसेना में हो गया।
कावेरी ने खेलों में दिखाया जौहर, हासिल किए हैं कई मेडल
कावेरी ने एशियन चैंपियनशिप में थाइलैंड में ब्रांज मेडल, चाइना में एशियन गेम्स, जर्मनी में वर्ल्ड चैंपियनशिप, जापान में एशियन चैंपियनशीप एंड ओलंपिक क्वालिफायर, ओलंपिक क्वालिफायर, और उजबेकिस्तान में एशियन चैंपियनशिप में हिस्सा लिया। इसके अलावा, नेशनल चैंपियनशिप में 45 गोल्ड, 6 सिल्वर और 3 ब्रांज मेडल जीते। कावेरी ने 36वीं नेशनल गेम गुजरात में सिल्वर, 37वीं नेशनल गेम गोवा में गोल्ड और 38वीं नेशनल गेम उत्तराखंड में भी गोल्ड मेडल हासिल किया। ओपन नेशनल चैंपियनशिप में 6 गोल्ड और 2 सिल्वर मेडल उनके नाम रहे।
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पिता के लिए कावेरी का संघर्ष और मेहनत
कावेरी की सफलता सिर्फ खेल तक सीमित नहीं है। कावेरी का बचपन बहुत गरीबी में बीता है। उनका संघर्ष तब शुरू हुआ जब उनके पिता के पास 40 हजार रुपए का कर्ज था। कावेरी और उसकी बहनें इंदिरा सागर के बैकवाटर में नाव चलाकर मछलियां पकड़तीं और रोज़ उन्हें बेचने के बाद अपने पिता का कर्ज चुकता करतीं। वे न सिर्फ अपने पिता के कर्ज को उतारने में मदद करतीं, बल्कि अपने परिवार का पालन-पोषण भी करती रहीं।
सोशल मीडिया और खेल अधिकारी की मिली मदद
कावेरी को इस मुकाम तक पहुंचाने में सोशल मीडिया का भी बड़ा योगदान था। दरअसल, कावेरी का नाव चलाते हुए वीडियो वायरल हुआ था, जिसके बाद तत्कालीन खेल अधिकारी जोसेफ बक्सला कावेरी के गांव पहुंचे और उन्होंने कावेरी के परिवार को भोपाल अकादमी में ट्रायल दिलाने के लिए मनाया। इसके बाद कावेरी का चयन 2016 में मध्य प्रदेश वाटर स्पोर्ट्स अकादमी में हुआ और उसका सफर यहीं से शुरू हुआ।
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परिवार में खुशी, ग्रामीणों ने किया सम्मान
इस बेटी ने छोटी सी उम्र में न सिर्फ अपने पिता के कर्ज को दूर किया, बल्कि परिवार का पालन पोषण भी किया। अब बेटी की सफलता से माता-पिता, परिवार वाले बेहद खुश हैं। जब कावेरी अपने ऐतिहासिक मुकाम तक पहुंची और घर लौटकर अपने माता-पिता से मिली, तो उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ कि उनकी बेटी ने यह बड़ी उपलब्धि हासिल की है। कावेरी के माता-पिता ने अपनी बेटी को तिलक लगाकर सम्मानित किया, और गांववालों ने भी कावेरी की सफलता पर उन्हें बधाई दी और उनका सम्मान किया। कावेरी की नौकरी लगने से गांव में खुशी का माहौल है।
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