नहीं पढ़े गए मंत्र, न लिए फेरे...डॉ. अंबेडकर और संविधान को साक्षी मानकर की शादी

मध्य प्रदेश के खरगोन में हुई अनोखी शादी चर्चा का विषय बनी हुई है। यहां संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर दूल्हा और दुल्हन ने माल्यार्पण किया, संविधान की उद्देशिका की शपथ ली और विवाह बंधन में बंधे।

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Vikram Jain
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Khargone Dr. Bhimrao Ambedkar and Constitution witness unique marriage
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मध्य प्रदेश के खरगोन में एक अनोखी शादी की चर्चा जोरों पर है। इस शादी में न तो दूल्हा-दुल्हन ने अग्नि के फेरे लिए और ना ही पंडित, न ही मंत्र पढ़े गए। यहां भारतीय संविधान और बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर को साक्षी मानकर वर-वधू विवाह के बंधन में बंधे। इस तरह के विवाह से दूल्हा-दुल्हन ने समाज में समानता और परिवर्तन का संदेश दिया। संविधान को साधी मानकर हुई इस अनोखी शादी को लेकर सभी लोग चर्चा कर रहे हैं। 

संविधान की उद्देशिका की शपथ लेकर विवाह

खरगोन जिला मुख्यालय से सात किलोमीटर दूर मेनगांव में अनुसूचित जाति के परिवार में यह अनूठा विवाह हुआ। यहां सहायक शिक्षक राधेश्याम वर्मा के परिवार में यह शादी समारोह हुआ। सबसे खास बात यह शादी पारंपरिक वैवाहिक कार्यक्रम से बेहद अलग थी। शादी मंडप और पैहरावनी का आयोजन किया गया था, लेकिन ना तो शादी में अग्नि के फेरे हुए, ना ही सिंदूरदान हुआ। शादी में किसी प्रकार का मंत्रोच्चार भी नहीं किया गया। जितेंद्र वर्मा और वेदिका ने संविधान की उद्देशिका की शपथ लेकर एक-दूसरे को जीवनसाथी के रूप में स्वीकार किया। इस दौरान बाबा साहेब डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यापर्ण कर विवाह की रस्में पूरी की गई। 

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संविधान और बाबा साहेब के सिद्धांतों को माना आधार 

इस विवाह में पारंपरिक हिंदू रीति-रिवाजों को छोड़कर संविधान और बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के सिद्धांतों को आधार बनाया गया। जितेंद्र वर्मा और उनकी दुल्हन वेदिका ने संविधान की उद्देशिका को मानते हुए जीवनभर एक-दूसरे का साथ निभाने की शपथ ली। दूल्हा-दुल्हन ने पारंपरिक हिंदू रीति-रिवाज छोड़कर विवाह कर जीवनसाधी बने और नई मिसाल पेश की। इस अवसर पर सभी मेहमानों ने भी समाज में समानता और बौद्ध धर्म के सिद्धांतों का पालन करने का संकल्प लिया।

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इस विवाह की विशेषताएं

  • विवाह के लिए विशेष नीली रंग की पत्रिका छपवाकर उसमें भगवान बुद्ध, संत रविदास, कबीरदास, बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर और ज्योतिबा फुले की तस्वीरें लगाई गई थीं।
  • शादी की विशेष पत्रिका में संविधान की उद्देशिका और महापुरुषों के विचारों को प्रमुखता दी गई थी। जिसने सभी ध्यान आकर्षित किया।
  • इस विवाह में पारंपरिक धार्मिक रस्मों की जगह सामाजिक समानता और न्याय का संदेश दिया गया।
  • शादी में शामिल हुए मेहमानों ने सराहना की और इसे प्रेरणादायक कदम बताया।
  • इस विवाह में मंडप सजाया गया था, लेकिन कोई धार्मिक रस्म नहीं हुई।

संविधान को साक्षी मानकर नए जीवन की शुरुआत

जितेंद्र वर्मा और वेदिका ने इस शादी को यादगार बनाते हुए नई मिसाल कायम की है। दोनों ने संविधान को साधी मानकर अपने वैवाहिक जीवन की शुरूआत की। बता दें कि जितेंद्र वर्मा ने बीए और एलएलबी की शिक्षा ग्रहण की हैं। वह बीमा अभिकर्ता भी हैं, जबकि वेदिका एमए, बीएड हैं। वेदिका के पिता नहीं हैं, उनका पालन-पोषण मां ने किया है।

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समाज में समानता का संदेश

इस अनूठे विवाह ने समाज में समानता और न्याय के सिद्धांतों को लागू करते हुए एक नई परंपरा की शुरुआत की है। दूल्हा-दुल्हन ने पारंपरिक हिंदू रीति-रिवाजों से हटकर समाज में बदलाव और समानता का संदेश दिया। इस विवाह को मेहमानों ने प्रेरणादायक कदम बताते हुए इसकी सराहना की।

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