Kuno Sanctuary: गिर के शेर की जगह आए नामीबिया के चीते, खर्च 100 करोड़

मध्यप्रदेश के कूनो-पालपुर अभयारण्य में 100 करोड़ खर्च किए। 24 गांवों के लोगों का विस्थापन भी किया, लेकिन प्रदेश के हिस्से में गिर के शेर नहीं आ पाए। नामीबिया के चीतों से पर्यटकों के जरिए दो साल में महज 9 लाख रुपए की कमाई हुई। यानी हासिल आया शून्य।

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Jitendra Shrivastava
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कूनो-पालपुर अभयारण्य में 100 करोड़ खर्च किए पर नहीं आ पाए शेर।

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अरुण तिवारी, BHOPAL. मुख्यमंत्री मोहन यादव ने हाल ही में श्योपुर जाकर कूनो-पालपुर अभ्यारण्य को लेकर समीक्षा बैठक की। बैठक में केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव भी शामिल हुए। इस समीक्षा बैठक में ये सामने आया कि 100 करोड़ खर्च कर और 24 गांवों के लोगों का विस्थापन कर भी प्रदेश के हिस्से में गिर के शेर नहीं आ पाए। नामीबिया के चीतों से पर्यटकों के जरिए दो साल में 9 लाख रुपए की कमाई हुई। यानी हासिल आई शून्य। प्रदेश सरकार ने अब केंद्र सरकार से इसके लिए और फंड मांगा है। देखिए समीक्षा बैठक और पालपुर-कूनो प्रोजेक्ट की पड़ताल।

पालपुर-Kuno Sanctuary पर उठे सवाल

26 फरवरी को श्योपुर जिले के ग्राम सेंसईपुरा में चीता प्रोजेक्ट की समीक्षा बैठक हुई। इस बैठक में मुख्यमंत्री मोहन यादव और केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव शामिल हुए। बैठक में खास तौर पर ये बात हुई कि पिछले बीस सालों में पालपुर-कूनो अभ्यारण्य पर 100 करोड़ से ज्यादा खर्च हो चुके हैं लेकिन यहां पर गिर के शेर की जगह नामीबिया के चीते ही आ सके। शेरों को बसाने के लिए 24 गांव के लोगों को विस्थापित कर दूसरी जगह भी भेज दिया। 

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मुख्यमंत्री ने माना कूनो में गिर के शेर नहीं आए

श्योपुर जिले के कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत ने इस पर सवाल उठाए। रावत ने कहा कि सरकार ने गिर के शेरों के लिए ईको डेवलपमेंट, अभ्यारण्य के विकास और लोगों के विस्थापन के लिए 60 करोड़ खर्च किए। 24 गांव के लोगों का विस्थापन किया गया और उनको मुआवजा भी दिया गया। प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार से और बजट की मांग की है। कूनो के क्षेत्रफल विस्तार का प्रस्ताव भेजा है और एक्सपर्ट कमेटी को सुझाव भी दिए हैं। मुख्यमंत्री ने माना कि कूनो में गिर के शेर नहीं आ पाए। 

चीता प्रोजेक्ट पर 44 करोड़ खर्च किए गए 

गिर के शेर नहीं आ पाए तो यहां पर चीते बसा दिए गए। चीता प्रोजेक्ट 2021-22 में शुरू हुआ। इस प्रोजेक्ट पर 44 करोड़ खर्च किए गए। नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से 20 चीते आए। यहां पर 11 शावक पैदा हुए यानी कुल 31 चीते हुए। इनमें से 10 की मौत हो गई और कूनो में बचे 21 चीते। सरकार यहां के पर्यटन पर खुश हो रही है। 2022-23 यानी दो साल में 7813 पर्यटक आए। इन पर्यटकों से से 9 लाख 98 हजार रुपए की कमाई हुई। सरकार की मंशा है कि यहां भी सवाई-माधोपुर की तरह लाखों की संख्या में पर्यटकों की आमद हो। 

मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा 

सरकार फिर से गिर के शेरों को मध्यप्रदेश लाने के लिए गंभीरता से प्रयासों में जुट गई है। सरकार ने जिस तरह से टूरिज्म के लिए बीस सीटर विमान चलाने की योजना बनाई है ताकि प्रदेश का टूरिज्म बढ़ सके। प्रदेश की वाइल्ड लाइफ और नेशनल पार्क सबसे ज्यादा पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। एमपी को टाइगर स्टेट का दर्जा भी प्राप्त है। सरकार को लगता है कि यदि गिर के शेर यहां आ जाएंगे तो पर्यटकों की संख्या में बड़ा इजाफा होगा। यही कारण है कि सरकार इस प्रोजेक्ट पर फिर से काम करने लगी है।

Kuno Sanctuary गिर के शेर