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JABALPUR. जबलपुर की MP/MLA विशेष अदालत से भाजपा विधायक कुंवर सिंह टेकाम को बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान आचार संहिता उल्लंघन और रिश्वत के आरोपों से बाइज्जत बरी किया। कोर्ट ने अभियोजन की गंभीर खामियों और सबूतों के कमी को फैसले का आधार बनाया। जिस मोबाइल में था सबूत वह टूट गया। भाजपा विधायक कोर्ट से हुए बरी हुए है।
अभियोजन पक्ष की ओर से जो वीडियो प्रस्तुत किया गया था वह जिस मोबाइल से बना था। वह मोबाइल टूट गया जिस कारण वीडियो की सत्यता को कोर्ट में साबित नहीं किया जा सका।
जबलपुर कोर्ट का अहम फैसला
जबलपुर के विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट डी.पी. सूत्रकार ने कुंवर सिंह टेकाम के खिलाफ 14 पन्नों का फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन आरोपों को साबित करने में असफल रहा, इसलिए आरोपी को दोषमुक्त किया गया।
क्या था पूरा मामला
मामला साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान का है। शिकायत के अनुसार 23 अप्रैल 2019 को सीधी जिले के ग्राम धनौली में एक नुक्कड़ सभा के दौरान विधायक कुंवर सिंह टेकाम ने भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में वोट मांगते हुए विधायक निधि से पांच हैंडपंप लगवाने की घोषणा की थी। शिकायतकर्ता प्रदीप सिंह ‘दीपू’ और प्रशासनिक अमले का आरोप था कि यह घोषणा आदर्श आचार संहिता लागू होने के बावजूद की गई, जो मतदाताओं को प्रलोभन देने और जिला मजिस्ट्रेट के आदेशों के उल्लंघन की श्रेणी में आती है।
इन धाराओं में दर्ज हुआ था मामला
विधायक के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 171E और 188 के तहत प्रकरण दर्ज किया गया था। यह मामला विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट डी.पी. सूत्रकार (MP/MLA कोर्ट), जबलपुर में विचाराधीन था।
कोर्ट में इसलिए कमजोर पड़ा अभियोजन
अदालत ने फैसले में अभियोजन की कई गंभीर खामियों को मेंशन किया। जिस मोबाइल से वीडियो रिकॉर्ड किया गया था, वह पुलिस को नहीं सौंपा गया। जांच अधिकारी के अनुसार, मोबाइल टूट चुका था, जिससे फॉरेंसिक जांच संभव नहीं हो सकी।
अभियोजन पक्ष की ओर से जो वीडियो प्रस्तुत किया गया था वह जिस मोबाइल से बना था वह मोबाइल टूट गया जिस कारण वीडियो की सत्यता को कोर्ट में साबित नहीं किया जा सका।
कानूनी प्रक्रिया में बड़ी चूक
धारा 188 IPC के तहत संज्ञान लेने के लिए लिखित शिकायत अनिवार्य है। इस मामले में बिना लिखित परिवाद के ही संज्ञान लिया गया, जिसे कोर्ट ने त्रुटिपूर्ण माना।
भारतीय जनता पार्टी के विधायक कुंवर सिंह टेकाम को एमपी एमएलए कोर्ट से बड़ी राहत मिली। इस राहत की मुख्य वजह यह रही कि जिस मोबाइल से बनी वीडियो के आधार पर उनके खिलाफ मामला दर्ज कराया गया था वह मोबाइल ही टूट गया और अभियोजन पक्ष वीडियो की सत्यता को कोर्ट में साबित नहीं कर पाया।
सबूतों में विरोधाभास
स्वतंत्र गवाह यह पुष्टि नहीं कर सके कि विधायक ने वोट देने के बदले हैंडपंप देने की बात कही थी। यहां तक कि कथित वीडियो की ट्रांसक्रिप्ट में भी सीधे तौर पर वोट मांगने का स्पष्ट उल्लेख नहीं पाया गया।
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सरकार ने भी माना साक्ष्यों का अभाव
धारा 188 IPC के तहत संज्ञान लेने के लिए लिखित शिकायत अनिवार्य है। इस मामले में बिना लिखित परिवाद के ही संज्ञान लिया गया, जिसे कोर्ट ने त्रुटिपूर्ण माना।
बियॉन्ड रीजनेबल डाउट’ साबित नहीं हुआ आरोप
कोर्ट ने कहा कि अभियोजन आरोप साबित नहीं कर पाया। आरोप था कि आरोपी ने आचार संहिता उल्लंघन कर मतदाताओं को रिश्वत दी। संदेह का लाभ आरोपी को दिया गया। विधायक कुंवर सिंह टेकाम ने कहा कि राजनीतिक दुर्भावना से उन्हें झूठे मामले में फंसाया गया। उनका आरोप था कि वीडियो से छेड़छाड़ की गई।
इसके साथ ही विधायक टीकम को दोष मुक्त करते हुए कोर्ट ने बाइज्जत बरी कर दिया है। कोर्ट के इस फैसले के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई हैं। भाजपा खेमे में इसे विधायक की साख बहाल होने के रूप में देखा जा रहा है। वहीं यह फैसला चुनावी मामलों में जांच और अभियोजन की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।
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