शंकर लालवानी को ही टिकट देना था तो फिर होल्ड किया क्यों? महिला के नाम से पीछे क्यों हटी बीजेपी

लोकसभा चुनाव के लिए इंदौर से BJP ने एक बार फिर शंकर लालवानी को टिकट दिया है। अब सबसे बड़ा सवाल यही उठ रहा है कि जब उन्हें ही टिकट देना था तो फिर होल्ड किया क्यों था ?

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Pratibha ranaa
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शंकर लालवानी और डॉ. दिव्या गुप्ता

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संजय गुप्ता, INDORE.  इंदौर लोकसभा सीट से बीजेपी द्वारा एक बार फिर शंकर लालवानी ( Shankar Lalwani ) को टिकट दिया गया है। पहली सूची दो मार्च को जारी हुई, तब इंदौर का टिकट होल्ड कर लिया गया था। इसके बाद 11 दिन कश्मकश और कयास वाले निकले। 13 मार्च की शाम को लालवानी को लिस्ट में खुद का नाम देखकर राहत मिली। उनका टिकट होने के बाद सबसे बड़ा सवाल यही उठ रहा है कि जब उन्हें ही टिकट देना था तो फिर होल्ड क्यों किया था? वहीं, दूसरा सवाल नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के उस बयान से उठ रहा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि इंदौर से किसी महिला को टिकट देने की बात चल रही है। यदि ऐसा था तो फिर बीजेपी ने महिला प्रत्याशी के नाम से कदम क्यों पीछे खींचे।

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महिला नेताओं ने हमेशा कमाल किया, क्या इसी से डरे नेता-

इंदौर में महिला नेताओं की बात करें तो यहां हमेशा इन्होंने कमाल करके दिखाया है।

- संसद सीट की बात करें तो सुमित्रा महाजन ने रिकार्ड बनाया। उन्होंने एक-दो बार नहीं, आठ बार लगातार सांसद का चुनाव जीता और 30 साल तक सांसद रहीं, यही नहीं वह स्पीकर जैसे पद तक भी पहुंचीं।  

- विधायक की बात करें तो बीजेपी की मालिनी गौड़ ने इतिहास बनाया है। मालिनी गौड़ साल 2008, 2013, 2018 और 2023 में लगातार चुनाव जीतीं और वह भी रिकार्ड वोटों से। वह लगातार हर चुनाव में मप्र सबसे ज्यादा वोट से चुनाव जीतने वाली महिला विधायकों में से एक रहीं हैं।     

- मालिनी गौड़ के महापौर कार्यकाल में ही इंदौर ने सबसे पहले स्वच्छता में नंबर वन का ताज ऐसा पहना कि वह लगातार जारी है। 

- विधायक उषा ठाकुर की बात करें तो वह ऐसी महिला हैं, जिन्हें जिस सीट से उतारा गया वह चुनाव जीती हैं। 2003 में वह इंदौर एक से चुनाव जीतीं। बीजेपी ने 2008 में उनका टिकट काटा, फिर 2013 में इंदौर विधानसभा तीन से टिकट दिया, वह जीतीं, फिर 2018 में उन्हें महू भेजा गया, वहां जीतीं, फिर 2023 में वह  महू सीट से चुनाव जीतीं।    

- इंदौर जिला पंचायत अध्यक्ष रही कविता पाटीदार के कामों पर बीजेपी आलाकमान की नजर गई और उन्हें राज्यसभा सांसद बनाया। 

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महिला मैदान में आई तो पुरुष नेता पर आया संकट

 सांसद हो या विधायक, जहां भी एक बार महिला नेत्री आई तो फिर पुरुष नेता का लंबे समय के लिए पत्ता कट गया। इंदौर की यह सभी महिलाएं पढ़ी-लिखी और अपनी बात दबंगता से कहने वाली रही हैं। अब सासंद के टिकट की बात करें तो इस रेस में सबसे आगे रहीं डॉ. दिव्या गुप्ता, गायनकोलाजिस्ट हैं। राजनीति से पहले वह समाजसेवा में सक्रिय हैं। शैक्षणिक संस्थान डॉ. ओम नागपाल का सालों से संचालन कर रही हैं। महिलाओं के आत्मनिर्भर के लिए ज्वाला संस्था का भी संचालन किया जा रहा है। बीजेपी ने प्रवक्ता बनाया तो वहां भी काम किया और फिर उनके कामों को देखते हुए एनसीपीसीआर ( राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ) नई दिल्ली में सदस्य बनाया गया है। इसमें उनके जैसी सक्रियता हाल-फिलहाल में किसी ने नहीं दिखाई। उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में पश्चिम बंगाल जैसी जगह पर जाकर उनकी ही पुलिस के सामने उन्हीं की जांच पर सवाल उठाए। महिलाओं के बीच चर्चा चल रही है कि यदि सक्रिय पढ़ी-लिखी महिला एक बार आती तो फिर कई पुरुष नेताओं के भविष्य पर संकट आ जाता।

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यह बोले थे कैलाश विजयवर्गीय

नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने महिला दिवस से पहले कहा था कि ऐसी उड़ते-उड़ते खबर मिली है कि इंदौर से शंकर लालवानी का टिकट कट गया है। यहां से किसी महिला को टिकट दिया जाएगा। ऐसा सुना है, पीएम चाहते हैं कि महिला को टिकट मिले। हालांकि, शाम होते-होत कहा गया कि मैं तो मजाक कर रहा था।

शंकर लालवानी Shankar Lalwani