SAGAR : धर्म परिवर्तन का दबाव डालने पर कोर्ट ने सुनाई दो साल की सजा

एमपी के सागर ( SAGAR ) में धर्म परिवर्तन के मामले में जिला न्यायालय ने दो साल के कठोर कारावास और आर्थिक जुर्माने की सजा सुनाई है। आइए जानते हैं क्या धर्म परिवर्तन का पूरा मामला...

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Sandeep Kumar
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सागर में धर्म परिवर्तन का मामला

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BHOPAL.  मध्य प्रदेश के सागर में धर्म परिवर्तन ( Religion change ) का मामला सामने आया है। मामले की सुनवाई जिला न्यायालय हुई । जहां पर अपर सत्र न्यायाधीश किरण कोल ( Kiran Cole ) ने धर्म परिवर्तन के लिए दवाब डालने और लालच देने के एक मामले में दो आरोपियों को 2-2 साल के कठोर कारावास और 25-25 हजार रुपए के जुर्माने सजा सुनाई है। जुर्माना अदा नहीं करने पर 6-6 महीने का अतिरिक्त कारावास भोगना होगा। इस मामले में शासन की ओर से पैरवी जिला अपर लोक अभियोजक एड. रमन जारोलिया ने की। 

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धर्म परिवर्तन कराने का लगाया आरोप

सागर जिले के भैंसा गांव निवासी अभिषेक अहिरवार नाम का युवक कैंट थाना पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई की कि, मेरा विवाह हिंदू रीति-रिवाज से सपना अहिरवार नाम की युवती से हुई है। करीब 6 महीने से वह मायके में है । मैं उसे लेने गया तो उसकी बुआ सखी अहिरवार और फूफा रमेश अहिरवार उसे मेरे साथ नहीं भेज रहे । वे मुझ पर ईसाई बनने का दबाव बना रहे हैं। उनका कहना है कि सपना को तभी तुम्हारे साथ भेजेंगे। जब तुम ईसाई बन जाओगे। उन्होंने मुझे 20 हजार रु. महीना की नौकरी दिलाने का भी लालच दिया। कैंट थाने ने युवक अभिषेक की शिकायत पर सखी और रमेश के खिलाफ जबरिया धर्म परिवर्तन का केस दर्ज कर लिया।

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कोर्ट में ऐसी चली बहस

जिला न्यायालय ( District Courts ) में सुनवाई के दौरान आरोपियों के वकील ने तर्क दिया कि अभिषेक अहिरवार तथ्य छिपा रहा है। वह कोर्ट को यह नहीं बता रहा कि पत्नी सपना ने उसके खिलाफ दहेज प्रताड़ना ( Dowry harassment ) का केस दर्ज कराया है। वह यह तथ्य भी छिपा रहा है कि वह RSS का कार्यकर्ता है। जवाब में सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज होने और धर्म परिवर्तन की शिकायत के बीच कोई सामनता नहीं है। आरोपियों द्वारा धर्म परिवर्तन के लिए दबाव बनाया गया। इसका साक्ष्य पीड़ित युवक के पड़ोसी व अन्य गांव वाले अपनी गवाही में दे चुके हैं।

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दूसरे पक्ष के वकील का दावा

आरोपियों के वकील ने कोर्ट के समक्ष दलील दी कि मेरे पक्षकारों को इस मामले में जबरन घसीटा जा रहा है। उनके पहचान समेत अन्य सरकारी दस्तावेजों का अवलोकन करें तो उन पर इन लोगों के नाम सखी अहिरवार, रमेश अहिरवार ही दर्ज है। इसलिए जो व्यक्ति स्वयं ही ईसाई नहीं बना हो। वह दूसरे का धर्म-परिवर्तन कैसे कराएगा। बचाव पक्ष के इस तर्क पर कोर्ट ने विचारण किया। उन्होंने कहा कि पीड़ित युवक द्वारा धर्म परिवर्तन की शिकायत करना एक गंभीर आरोप है। इससे उसकी शादीशुदा जिंदगी खत्म हो सकती थी । इसके बावजूद उसने यह शिकायत की। 

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