60 दिन में भी चालान पेश नहीं कर पाई लोकायुक्त, करोड़पति पूर्व कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा संग चेतन, शरद को जमानत

हाईप्रोफाइल सौरभ शर्मा केस ने एक बार फिर सनसनी मचा दी है। लोकायुक्त की विशेष अदालत से मंगलवार, 1 अप्रैल को अहम फैसला आया है। अदालत ने परिवहन विभाग के पूर्व कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा और उसके दो साथी चेतन सिंह और शरद जायसवाल को जमानत दे दी है।

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Manish Kumar
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BHOPAL. राजधानी भोपाल में चल रहे हाईप्रोफाइल सौरभ शर्मा केस ने एक बार फिर सनसनी मचा दी है। लोकायुक्त की विशेष अदालत से मंगलवार, 1 अप्रैल को अहम फैसला आया है। अदालत ने परिवहन विभाग के पूर्व कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा और उसके दो साथी चेतन सिंह और शरद जायसवाल को जमानत दे दी है। यह फैसला तब आया जब लोकायुक्त पुलिस 60 दिन के भीतर आरोपियों के खिलाफ चालान पेश नहीं कर पाई। इस वजह से आरोपियों को इसका फायदा मिला और अदालत ने उन्हें जमानत दे दी।

जेल में ही रहना होगा अभी

सौरव शर्मा, शरद जायसवाल और चेतन सिंह फिलहाल जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे। ईडी द्वारा दर्ज किए गए मामले में इन तीनों को जेल में ही रहना पड़ेगा। भले ही इन तीनों को अदालत ने लोकायुक्त से जुड़े मामले में जमानत मिल गई हो।

इससे पहले, सौरभ शर्मा को नाटकीय घटनाक्रम के बाद गिरफ्तार किया गया था। यह मामला कई जांच एजेंसियों की संयुक्त कार्रवाई का हिस्सा है, जिनमें लोकायुक्त, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), आयकर विभाग और डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (डीआरआई) शामिल हैं। इन सभी एजेंसियों ने सौरभ शर्मा के अवैध संपत्ति निर्माण और काली कमाई के स्रोतों की जांच शुरू की है।

पिछले दिनों सौरभ का नाम तब सुर्खियों में आया था, जब ग्वालियर पुलिस ने उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी, साथ ही उसकी मां उमा शर्मा के खिलाफ भी कार्रवाई की गई। इस केस में कई तरह की जांच की जा रही है, जो दर्शाती है कि सौरभ शर्मा का मामला कितना जटिल और बहुआयामी है।

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कौन सी एजेंसी क्या कर रही है?

ईडी (प्रवर्तन निदेशालय): ईडी सौरभ शर्मा के मनी ट्रेल और संपत्तियों की जांच कर रही है। यह एजेंसी यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि सौरभ शर्मा ने अपनी संपत्ति को अवैध तरीके से अर्जित किया है या नहीं।

आयकर विभाग: आयकर विभाग ने सौरभ के दोस्त चेतन की कार से मिले 52 किलो सोने और 11 करोड़ रुपए की जांच शुरू की है। यह रकम और सोना किस स्रोत से आया, यह जांच का प्रमुख विषय बन चुका है।

लोकायुक्त: लोकायुक्त इस बात की जांच कर रहा है कि सौरभ शर्मा ने अपनी आय से ज्यादा संपत्ति कैसे बनाई।

डीआरआई (डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस): डीआरआई इस मामले की जांच कर रहा है कि क्या जो सोना बरामद हुआ है, वह कानूनी तरीके से हासिल किया गया है या नहीं। इसके अलावा, काली कमाई को एक कॉलोनी बनाने में खपाए जाने का कनेक्शन भी जांच एजेंसियों को मिला है, जो इस मामले को और भी गंभीर बना रहा है।

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लोकायुक्त की बड़ी चूक 

इस पूरे मामले में सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि लोकायुक्त पुलिस ने 60 दिन में भी आरोपियों के खिलाफ चालान पेश नहीं किया, जिसका नतीजा यह हुआ कि अदालत ने तीनों आरोपियों को जमानत दे दी। इस फैसले ने यह सवाल खड़ा किया है कि क्या जांच एजेंसियों का ध्यान मामले पर पर्याप्त रूप से नहीं है, या फिर कुछ और राज छुपाए जा रहे हैं?

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