जबलपुर में लोकायुक्त पुलिस ने रिश्वतखोर अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करते हुए मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (MPPKVVCL) के सोलर सेल के उप महाप्रबंधक (DGM) हिमांशु अग्रवाल को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया। इस कार्रवाई में उनके सहयोगी के रूप में प्राइवेट ठेकेदार हिमांशु यादव को भी गिरफ्तार किया गया है।
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कंपनी रजिस्ट्रेशन रिन्यू कराने मांगी थी रिश्वत
जबलपुर के आधारताल क्षेत्र के निवासी विष्णु सिंह लोधी रोशनी सोलर कंसल्टेंसी नागपुर में जनरल मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं। विष्णु लोधी ने लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक, जबलपुर को शिकायत दी थी। शिकायत में उन्होंने बताया कि उनकी कंपनी का रजिस्ट्रेशन रिन्यू करवाने के लिए सोलर सेल के डिप्टी जनरल मैनेजर हिमांशु अग्रवाल ने 40 हज़ार रुपये की रिश्वत की मांग की थी। हिमांशु अग्रवाल ने यह रिश्वत रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को तेजी से पूरा करने के लिए मांगी थी। आवेदक ने लोकायुक्त को यह भी बताया कि बिना रिश्वत दिए काम नहीं किया जा रहा था, जिससे कंपनी का कामकाज प्रभावित हो रहा था।
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बिछाया रिश्वतखोर को पकड़ने का जाल
लोकायुक्त पुलिस ने शिकायत मिलने के बाद इस मामले को गंभीरता से लिया और तुरंत कार्रवाई का फैसला किया। शिकायत की सत्यता की जांच के लिए आवेदक और आरोपी के बीच हुई बातचीत को रिकॉर्ड किया गया। यह रिकॉर्डिंग रिश्वत मांगने की पुष्टि के लिए एक महत्वपूर्ण सबूत के रूप में सामने आई। इसके बाद, लोकायुक्त पुलिस ने एक ट्रेप ऑपरेशन की योजना बनाई। 20 दिसंबर 2024 को आवेदक के माध्यम से आरोपी को रिश्वत की रकम दी गई। जैसे ही हिमांशु अग्रवाल ने सह आरोपी हिमांशु यादव के साथ मिलकर 30 हज़ार की रिश्वत ली। लोकायुक्त टीम ने उन्हें रंगे हाथों पकड़ लिया। यह पूरी कार्रवाई शक्ति भवन, रामपुर, जबलपुर में आरोपी के कार्यालय में की गई।
रिश्वतखोरों पर दर्ज हुआ मामला
हिमांशु अग्रवाल और उनके सहयोगी हिमांशु यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2018 की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। इनमें धारा 7 (रिश्वत लेने की सजा), धारा 12 (रिश्वत देने के लिए उकसाने की सजा), धारा 13(1)(बी) (आपराधिक दुराचार), और धारा 13(2) (दुराचार की सजा) शामिल हैं। इन धाराओं के तहत दोषी पाए जाने पर कठोर सजा का प्रावधान है, जिसमें लंबी कैद और भारी जुर्माना भी शामिल हो सकता है।
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लोकायुक्त की इस टीम ने की कार्यवाही
इस पूरी कार्रवाई में लोकायुक्त पुलिस की टीम ने बेहतरीन तालमेल और रणनीति के साथ काम किया। टीम का नेतृत्व उप पुलिस अधीक्षक सुरेखा परमार ने किया, जिनके साथ इंस्पेक्टर भूपेंद्र कुमार दीवान और कमल सिंह उईके भी शामिल थे। इस टीम ने पूरी योजना को सफलतापूर्वक अंजाम दिया और भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों को पकड़ने में कामयाबी हासिल की।
लगातार सामने आ रहे हैं रिश्वतखोरी के मामले
लगातार सामने आ रही रिश्वतखोरी की घटनाएं सरकारी प्रक्रिया की कमी को उजागर कर रहीं हैं। लोकायुक्त की यह कार्रवाई न केवल भ्रष्टाचारियों के लिए चेतावनी है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करती है कि ईमानदार कंपनियों और व्यक्तियों को अनावश्यक परेशानियां का सामना न करना पड़े। इसके लिए जरूरी है कि भ्रष्टाचार रोकने के लिए प्रशासनिक तंत्र को और मजबूत बनाया जाए। इस घटना ने एक बार फिर साबित किया कि सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार किस हद तक फैला हुआ है। एक वरिष्ठ अधिकारी का रिश्वत लेते हुए पकड़ा जाना यह दिखाता है कि भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हैं। हालांकि, लोकायुक्त की लगातार हो रही कार्यवाहियां रिश्वतखोरों के लिए संदेश है कि भ्रष्टाचार में लिप्त किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा।
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