मध्य प्रदेश सरकार जल्द ही छह प्रमुख शहरों में 582 ई-बसों का संचालन शुरू करने जा रही है। यह योजना केंद्र सरकार के पीएम ई-बस योजना के तहत लागू की जा रही है, जिसमें इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन और सागर जैसे शहर शामिल हैं। हालांकि, इस योजना का संचालन नगरीय निकायों के लिए महंगा साबित हो सकता है क्योंकि इसका मॉडल जीसीसी (ग्रॉस कॉस्ट कॉन्ट्रैक्ट) पर आधारित है।
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ई-बसों के संचालन में जीसीसी मॉडल
इस मॉडल के तहत, ई-बसों का संचालन करने वाली कंपनी की जिम्मेदारी होगी कि वह बस, ड्राइवर, कंडक्टर और मेंटेनेंस का पूरा ध्यान रखे। सरकार बसों के संचालन के लिए प्रति किलोमीटर के हिसाब से भुगतान करेगी। उदाहरण के तौर पर, यदि एक बस का संचालन 60 रुपए प्रति किलोमीटर के हिसाब से होता है, तो उसे 180 किलोमीटर प्रति दिन के हिसाब से 10 हजार 800 रुपए मिलेंगे, चाहे बस में सवारियां हों या नहीं।
केंद्र सरकार से सहायता
केंद्र सरकार इस योजना के लिए प्रति किलोमीटर 22 रुपए का भुगतान करेगी, जो 2037 तक जारी रहेगा। इसके अलावा, केंद्र सरकार ने एक एस्क्रो अकाउंट की व्यवस्था की है, जिसमें तीन महीने का अग्रिम भुगतान जमा कराना होगा। यदि नगरीय निकाय भुगतान करने में विफल रहते हैं, तो यह राशि सीधे संचालनकर्ता कंपनी को दी जाएगी।
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इस तरह, 582 ई-बसों का संचालन करने वाली कंपनी को प्रतिदिन 62 लाख 85 हजार 600 रुपए मिलेंगे। एक महीने में यह राशि 18 करोड़ 85 लाख 68 हजार रुपए होगी। यह भुगतान तय राशि के रूप में होगा, और इस योजना को लागू करने में सरकारी बजट पर दबाव आ सकता है।
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ई-बसों के लिए टेंडर जारी
सरकार ने इन ई-बसों के संचालन के लिए कंपनी की तलाश शुरू कर दी है। इसके लिए टेंडर जारी किया गया है, जिसमें सबसे कम रेट देने वाली कंपनी को संचालन का काम सौंपा जाएगा। इस परियोजना को तीन महीने के भीतर शुरू करने की योजना है।
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कैसे होगी ई-बसें
इस योजना के तहत, 582 ई-बसों में से 472 बसें नौ मीटर लंबी होंगी, जिनमें 32 सीटें होंगी, जबकि 110 बसें सात मीटर लंबी होंगी, जिनमें 21 सीटें होंगी। इन बसों का संचालन राज्य के विभिन्न शहरों में किया जाएगा।
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कहां कितनी ई-बसें चलेंगी
- भोपाल –100
- इंदौर –150
- जबलपुर –100
- उज्जैन –100
- ग्वालियर –100
- सागर –32
चार्जिंग स्टेशन और टिकट का जिम्मा
इन बसों के चार्जिंग स्टेशन और डिपो का निर्माण राज्य सरकार द्वारा किया जाएगा, जिसमें केंद्र सरकार 60 फीसदी और राज्य सरकार 40 फीसदी राशि प्रदान करेगी। चार्जिंग गन बसों के संचालन करने वाली कंपनी लगाएगी और बिजली का बिल भी वही चुकाएगी। टिकट एजेंसी का जिम्मा संबंधित नगरीय निकाय को सौंपा जाएगा, और टिकट का पैसा नगर निगम के पास जाएगा।