एमपी के कफ सिरप मामले में अब तक 11 बच्चों की मौत, दवा कंपनी के खिलाफ FIR, डॉक्टर गिरफ्तार

छिंदवाड़ा जिले में अब तक 11 बच्चों की मौत हो गई है। शनिवार रात परासिया थाना में डॉक्टर प्रवीण सोनी और तमिलनाडु की श्रेसन फार्मास्युटिकल कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।

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Dablu Kumar
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Chhindwara. मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में 11 बच्चों की मौत के मामले में आखिरकार प्रशासन ने कड़ा कदम उठाया है। शनिवार, 4 अक्टूबर की रात परासिया थाना में डॉक्टर प्रवीण सोनी और तमिलनाडु के कांचीपुरम स्थित श्रेसन फार्मास्युटिकल कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। इसके बाद कोतवाली थाना क्षेत्र के राजपाल चौक से डॉक्टर प्रवीण सोनी को एसपी की विशेष टीम ने देर रात गिरफ्तार कर लिया। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर छिंदवाड़ा जिले के परासिया में पदस्थ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण सोनी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।

यह कार्रवाई स्वास्थ्य विभाग की ओर से बीएमओ डॉ. अंकित सल्लाम की शिकायत पर की गई है। जिन धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है, उनमें दोषी पाए जाने पर 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है।

मौत का कारण कोल्ड्रिफ सिरप

उधर, शनिवार रात ही सरकारी जांच रिपोर्ट में यह पुष्टि हुई कि बच्चों की मौत का कारण कोल्ड्रिफ कफ सिरप (Coldrif Cough Syrup) में मौजूद 48.6% डायएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) था। रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि यही रासायनिक तत्व घातक साबित हुआ। वहीं, दो अन्य सिरप नेक्स्ट्रो-डीएस (Nextro-DS) और मेफटॉल पी सिरप की जांच रिपोर्ट को ओके बताया गया है।

बता दें कि, प्रदेश के सीएम मोहन यादव ने शनिवार, 4 अक्टूबर को ट्वीट कर मामले पर अपनी चिंता जाहिर की थी। साथ ही, उन्होंने दवा को बैन एमपी में बैन करते हुए कहा था कि इस मामले से जुड़े सभी लोगों पर कार्रवाई की जाएगी। वहीं, उनके इस ट्वीट के कुछ ही समय बाद प्रदेश में कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया। इसके अलावा डॉक्टर को गिरफ्तार भी कर लिया गया। 

इस पूरे घटनाक्रम के बाद प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए फार्मास्युटिकल कंपनी और डॉक्टर पर सख्त कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है ताकि दोषियों को सजा मिल सके और भविष्य में ऐसी घटना दोबारा न हो।

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डॉक्टर और दवा कंपनी के खिलाफ कार्रवाई

यह बात सामने आई है कि श्रेसन फार्मास्युटिकल कंपनी के सिरप बच्चों को उपचार के दौरान दिए गए थे। इनके बाद उनकी हालत गंभीर रूप से बिगड़ने लगी थी। अब तक इस घटना में 11 बच्चों की मौत किडनी फेल होने के कारण हो चुकी है। प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले की जांच शुरू की थी और प्रारंभिक जांच के दौरान यह खुलासा हुआ कि बच्चों को दी गई दवा मिलावटी और हानिकारक तत्वों से भरी हुई थी। इस आधार पर अब दवा लिखने वाले डॉक्टर और दवा कंपनी दोनों के खिलाफ कार्रवाई की गई है।

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इन धाराओं के तहत दर्ज हुआ मामला 

मामले में बीएनएस की धारा 276 के तहत औषधियों में मिलावट का आरोप लगाया गया है, जिसके तहत दोषी को एक साल तक की सजा हो सकती है। इसके अलावा, बीएनएस की धारा 105(3) के तहत हत्या की श्रेणी में न आने वाला आपराधिक मानव वध का मामला भी दर्ज किया गया है, जिसमें सजा 10 साल तक हो सकती है। इसके साथ ही, ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 की धारा 27(ए)(iii) और 26 के तहत अडलट्रेडेट ड्रग्स का प्रयोग करने के कारण किसी की मृत्यु हो जाने पर 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है।

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32 दिनों में 11 मासूमों ने गवाई जान

क्रमनामउम्रमृत्यु की तारीखपता
1शिवम राठौड़4 साल2 सितंबरपरासिया
2विधि3 साल5 सितंबरपरासिया
3अदनान खान5 साल7 सितंबरपरासिया
4उसेद खान4 साल13 सितंबरपरासिया
5ऋषिका पिपरे5 साल15 सितंबरपरासिया
6श्रेया यादव3 साल16 सितंबरपरासिया
7हितांश सोनी4 साल18 सितंबरपरासिया
8विकास यदुवंशी5 साल18 सितंबरपरासिया
9चंचलेश4 साल19 सितंबरपरासिया
10संध्या भोंसम1 साल1 अक्टूबरपरासिया
11योगिता ठाकरे1.5 साल4 अक्टूबरपरासिया

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रिपोर्ट के आधार पर दर्ज हुई एफआईआर

मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने डॉक्टर और कंपनी के खिलाफ जांच को तेज कर दिया है। प्रारंभिक साक्ष्यों के आधार पर, बच्चों के उपचार में इस्तेमाल की गई दवा के नमूने परीक्षण के लिए भेजे गए थे। जांच रिपोर्ट में दवा को एडलट्रेडेड यानी मिलावटी पाया गया। इसी रिपोर्ट के आधार पर एफआईआर दर्ज की गई है।

बीएमओ डॉ. अंकित सल्लाम ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग इस पूरे प्रकरण को पूरी गंभीरता से ले रहा है। बच्चों की मौत के कारणों का पर्दाफाश करने के लिए वैज्ञानिक और चिकित्सकीय दोनों दृष्टिकोण से जांच की जा रही है। अगर किसी और की लापरवाही सामने आती है, तो उसके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।

कफ सिरप विवाद पर जिला प्रशासन का आदेश 

इसी बीच, जिला प्रशासन ने जिले के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों को आदेश जारी किया है कि संदिग्ध दवाओं का उपयोग तुरंत रोक दिया जाए। इसके साथ ही, दवा स्टॉक की भी जांच शुरू कर दी गई है ताकि किसी भी प्रकार की मिलावटी दवाओं के उपयोग को रोका जा सके। बता दें कि, कफ सिरप से बच्चों की मौत का मामला ने प्रदेश में तूल पकड़ लिया है। 

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