सिविल जज भर्ती 2022 : हाईकोर्ट का आदेश, रिजल्ट फिर से जारी करो, ST उम्मीदवारों को मिलेगी राहत

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 2022 में हुई सिविल जज भर्ती के परिणामों पर गंभीर आपत्ति जताई। कोर्ट ने आदेश दिया है कि 121 खाली ST पदों के लिए परिणाम में बदलाव किया जाए। इसके लिए परीक्षा में संशोधन की आवश्यकता बताई गई है।

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Jitendra Shrivastava
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Photograph: (thesootr)

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BHOPAL. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सिविल जज भर्ती-2022 (civil judge recruitment 2022) में आरक्षित वर्गों के कम चयन पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। 121 ST पदों के लिए एक भी चयनित उम्मीदवार नहीं होने को लेकर हाईकोर्ट ने गंभीर चिंता जताई।

इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से यह बताया गया कि परीक्षा के दौरान आरक्षण नीति का पालन सही तरीके से नहीं किया गया। यह मुद्दा विधानसभा तक भी पहुंचा, जिससे राज्य सरकार और न्यायपालिका पर दबाव बढ़ा। हाईकोर्ट ने अब आदेश दिया है कि एसटी और एससी उम्मीदवारों के लिए कट-ऑफ अंक में छूट दी जाए और परीक्षा परिणाम में सुधार किया जाए।

सिविल जज परीक्षा और रिजल्ट की जानकारी 

मध्यप्रदेश सिविल जज परीक्षा-2022 का परिणाम 12 नवंबर, 2023 को घोषित किया गया था। 191 पदों के लिए आयोजित इस परीक्षा में कुल 47 अभ्यर्थियों का चयन हुआ था। इनमें से अधिकांश सामान्य वर्ग के थे। सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि एसटी वर्ग के 121 पदों के लिए कोई भी चयनित उम्मीदवार नहीं था।

रिजल्ट के आंकड़े:

  • अनारक्षित (General) वर्ग: 43 पदों में से 41 अभ्यर्थी चयनित
  • ओबीसी (OBC) वर्ग: 9 पदों में से 5 अभ्यर्थी चयनित
  • एससी (SC) वर्ग: 18 पदों में से केवल 1 अभ्यर्थी चयनित
  • एसटी (ST) वर्ग: 121 पदों में से एक भी अभ्यर्थी चयनित नहीं

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हाईकोर्ट ने जताई आपत्ति

हाईकोर्ट ने इस परिणाम को लेकर कड़ी आपत्ति जताई। अदालत ने परीक्षा के रिजल्ट को संशोधित करने का आदेश दिया। एससी और एसटी वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए कट-ऑफ अंक में छूट देने का फैसला किया गया है।

इसके तहत एससी के लिए 45% और एसटी के लिए 40% न्यूनतम अंक तय किए गए हैं। इसके अलावा, साक्षात्कार में भी कम से कम 20 अंक की छूट देने का निर्देश दिया गया है।

यह फैसला हाईकोर्ट द्वारा संविधान और आरक्षण नीति के पालन की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर आरक्षण नीति का सही तरीके से पालन नहीं किया गया, तो यह समाज के कमजोर वर्गों के प्रति भेदभाव होगा।

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आरक्षण नीति का उल्लंघन 

वकील संगठन ने भी हाईकोर्ट में यह मामला उठाया और कहा कि यह स्पष्ट भेदभाव है। उनकी याचिका में बताया गया कि एससी और एसटी उम्मीदवारों को जानबूझकर सिविल जज बनने से रोका जा रहा है।

वकीलों ने ये बताई कमियां... 

आरक्षण नीति का उल्लंघन 

वकीलों ने यह आरोप लगाया कि परीक्षा सेल ने आरक्षण नीति का सही तरीके से पालन नहीं किया। विशेष रूप से, एसटी (Scheduled Tribe) और एससी (Scheduled Caste) वर्ग के उम्मीदवारों को उनके अधिकारों के अनुसार लाभ नहीं दिया गया।

बैकलॉग पदों का अनारक्षित वर्ग को आवंटन 

बैकलॉग (पिछड़े) पदों को अनारक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को दे दिया गया, जो कि आरक्षण नीति के खिलाफ है। यह कृत्य आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को जानबूझकर अवसरों से वंचित करने जैसा था।

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कट-ऑफ अंक में भेदभाव 

एससी और एसटी उम्मीदवारों के लिए कट-ऑफ अंक सामान्य वर्ग के बराबर रखे गए, जो कि गलत था। उनके लिए कम कट-ऑफ अंक निर्धारित किए जाने चाहिए थे, जैसा कि आरक्षण नीति में निर्धारित है।

न्यूनतम अंकों में छूट का अभाव

एससी और एसटी वर्ग के उम्मीदवारों को मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार में न्यूनतम अंकों में छूट नहीं दी गई, जबकि उन्हें आरक्षण नीति के तहत यह छूट मिलनी चाहिए थी।

साक्षात्कार में कम अंक 

वकीलों ने यह भी आरोप लगाया कि एससी और एसटी उम्मीदवारों को साक्षात्कार में कम अंक मिले, जबकि उन्हें अधिक अंक मिलने चाहिए थे, जैसा कि आरक्षण नीति में उल्लिखित था।

दुर्भाग्यपूर्ण भेदभावपूर्ण व्यवहार

वकील संगठन ने यह भी कहा कि परीक्षा प्रक्रिया में जानबूझकर एससी और एसटी उम्मीदवारों को बाहर करने की कोशिश की गई। यह भेदभावपूर्ण व्यवहार उन्हें सिविल जज बनने से रोकने के लिए था।

विज्ञापन और नियमों में विरोधाभास

याचिकाकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया कि मध्य प्रदेश सिविल जज भर्ती 2022 के विज्ञापन और नियमों में विरोधाभास था। विशेष रूप से, एससी और एसटी उम्मीदवारों के लिए कट-ऑफ अंक और शर्तें गलत थीं।

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