कफ सिरप कांड में अब तक 16 मासूमों की मौत, जांच के लिए एसआईटी गठित, तमिलनाडु दवा कंपनी की होगी जांच

मध्य प्रदेश में जहरीले कफ सिरप से अब तक 16 बच्चों की मौत हो चुकी है। सरकार ने गंभीरता दिखाते हुए जांच के लिए एसआईटी गठित की है, जो तमिलनाडु की दवा कंपनी श्रीसन फार्मास्युटिकल की भूमिका की जांच करेगी।

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Dablu Kumar
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Bhopal. मध्यप्रदेश में जहरीले कफ सिरप से मरने वाले बच्चों की संख्या बढ़कर अब 16 हो गई है। रविवार को चार और बच्चों की मौत के बारे में पता लगा है। छिंदवाड़ा के एसपी अजय पांडे ने बताया कि अब तक 16 बच्चों की मौत हो चुकी है। इनमें 10 मौतें परासिया में, 3 छिंदवाड़ा शहर में, एक चौरई (छिंदवाड़ा) में और 2 मौतें बैतूल में अलग-अलग दिन हुई हैं।

बैतूल के दो बच्चे भी बने शिकार

बैतूल के दो बच्चे 4 साल का कबीर और ढाई साल का गर्मित भी इस जहरीले सिरप का शिकार बने। दोनों का इलाज छिंदवाड़ा के परासिया में डॉक्टर प्रवीण सोनी के यहां हुआ था। डॉक्टर ने दोनों को  कोल्ड्रिफ सिरप दी थी। इसके बाद दोनों को मल्टी-ऑर्गन फेल्योर हुआ और उनकी हालत बिगड़ गई। कबीर की मौत 8 सितंबर को भोपाल में हुई, जबकि गर्मित की मौत 1 अक्टूबर को उसके गांव में इलाज के दौरान हो गई।

स्वास्थ्य विभाग ने शुरू की जांच

बताया जा रहा है कि डॉक्टर सोनी ने जिन बच्चों को यह सिरप दी थी, उनमें से 10 से 12 बच्चों की मौत हो चुकी है। इस घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग ने जांच शुरू कर दी है और पूरे मामले को लेकर प्रशासन सतर्क हो गया है।

डॉ. प्रवीण सोनी सरकारी डॉक्टर हैं, लेकिन वे परासिया में अपना निजी क्लीनिक भी चलाते हैं। जानकारी के अनुसार, उनके भतीजे राजेश सोनी के मेडिकल स्टोर से जहरीले सिरप की 300 से ज्यादा बोतलें सप्लाई की गई थीं। इसी सिरप के कारण कई बच्चों की मौत हुई है। शनिवार देर रात डॉ. सोनी और तमिलनाडु की श्रेसन फार्मास्युटिकल कंपनी (सिरप बनाने वाली कंपनी) पर एफआईआर दर्ज की गई। रविवार को पुलिस ने डॉ. सोनी को गिरफ्तार कर लिया और उन्हें निलंबित भी कर दिया गया।

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कफ सिरप मामले में अब तक 16 की मौत वाली खबर पर एक नजर

  • मध्य प्रदेश में जहरीले कफ सिरप से अब तक 16 बच्चों की मौत हो चुकी है। डॉक्टर प्रवीण सोनी ने ‘कोल्ड्रिफ’ सिरप दी थी, जिसमें जहरीला रसायन डीईजी (46.2%) पाया गया।

  • डॉ. सोनी, जो सरकारी डॉक्टर हैं, को गिरफ्तार कर निलंबित कर दिया गया है। उनके भतीजे के मेडिकल स्टोर से 300 से ज्यादा सिरप की बोतलें सप्लाई हुई थीं।

  • सरकार ने एसआईटी गठित की है, जो तमिलनाडु की श्रीसन फार्मास्युटिकल कंपनी की जांच करेगी। वहीं जबलपुर के स्टॉकिस्ट की दुकान सील कर 60 बोतलें जब्त की गईं।

  • हिमाचल की नेक्स्ट्रो-डीएस सिरप के उत्पादन पर रोक लगाई गई है और इंदौर में बनी डिफ्रॉस्ट सिरप (बैच नं. 11198) को बाजार से वापस मंगाने के आदेश दिए गए हैं।

  • जांच में लापरवाही सामने आई — संदिग्ध सिरप की जांच पहले टाल दी गई और दशहरे की छुट्टी के कारण देरी हुई, जिससे बच्चों की मौतें होती रहीं।

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इस मामले में दूसरा बड़ा कदम उठाते हुए प्रशासन ने जांच के लिए एक एसआईटी (विशेष जांच टीम) गठित की है। इस टीम में एक ड्रग इंस्पेक्टर और एक प्रशासनिक अधिकारी शामिल होंगे। टीम जल्द ही तमिलनाडु जाकर कंपनी और दवा की सप्लाई चेन की जांच करेगी।

कफ सिरप नेक्स्ट्रो-डीएस पर रोक

हिमाचल प्रदेश की कंपनी द्वारा बनाई जा रही कफ सिरप नेक्स्ट्रो-डीएस के उत्पादन पर रोक लगा दी गई है। यह दवा भी संदिग्ध बताई जा रही है। वहीं, इंदौर में तैयार की गई डिफ्रॉस्ट सिरप को बाजार से वापस मंगाने के आदेश जारी किए गए हैं। इस सिरप के बैच नंबर 11198 को रिकॉल किया गया है ताकि उसकी जांच की जा सके और किसी तरह का जोखिम टाला जा सके।

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शव को कब्र से दोबारा निकाला गया

छिंदवाड़ा के बदकुई गांव में चार साल की योगिता ठाकरे की मौत के मामले में नया मोड़ सामने आया है। योगिता, सुषांत ठाकरे की बेटी थी। पहले उसकी मौत का असली कारण दबा दिया गया था, लेकिन अब मामले की जांच के तहत रविवार को दफनाए गए शव को कब्र से दोबारा निकाला गया। शव का पोस्टमार्टम कराया जाएगा ताकि यह पता चल सके कि बच्ची की मौत वास्तव में किस कारण हुई थी।

दोनों दवाओं पर डॉक्टरों को पहले से था शक

छिंदवाड़ा से 29 और 30 सितंबर को संदिग्ध कफ सिरप कोल्ड्रिफ ( Coldrif Cough Syrup ) और नेक्सट्रा डीएस के सैंपल जांच के लिए भोपाल की ईदगाह हिल्स स्थित ड्रग लैब भेजे गए थे। डॉक्टरों को शुरू से ही इन्हीं दोनों दवाओं पर शक था। लेकिन लैब ने पहले अन्य दवाओं आल्टो-ई, वोक्सम डीएस और डी-फ्रॉस्ट की जांच शुरू कर दी। इन तीनों की रिपोर्ट 1 अक्टूबर को आई, इसमें किसी तरह की गड़बड़ी नहीं मिली।

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ड्रग विभाग के अधिकारियों ने मामले पर दिखाई तेजी

मुख्य संदिग्ध सिरप की जांच उस समय नहीं की गई और फिर दशहरे की छुट्टी लग गई, जिससे लैब बंद रही। इस बीच बच्चों की मौत का सिलसिला जारी रहा। बाद में जब तमिलनाडु सरकार की रिपोर्ट में जहरीले तत्व की पुष्टि हुई, तब 4 अक्टूबर की देर रात भोपाल लैब में मुख्य संदिग्ध सिरप की जांच की गई। ड्रग विभाग के अधिकारियों ने पहली बार लैब को 24 घंटे खुलवाकर सैंपल की जांच करवाई।

मध्य प्रदेश की रिपोर्ट में भी कोल्ड्रिफ सिरप में 48.6% प्रतिशत डीईजी (डायएथिलीन ग्लाइकॉल) की मौजूदगी की पुष्टि हुई है। वहीं दो अन्य सिरप नेक्स्ट्रो-डीएस और मेफटॉल पी की रिपोर्ट सही पाई गई है। जांच के लिए कुल 19 सैंपल लिए गए थे, जिनमें से 12 की रिपोर्ट आ चुकी है और 7 की रिपोर्ट अभी बाकी है।

इन सभी घटनाओं के बावजूद न तो दवा पर तुरंत प्रतिबंध लगाया गया और न ही जांच की गति तेज की गई। इससे कई बच्चों की जान चली गई। बता दें कि, कफ सिरप से बच्चों की मौत का मामला ने प्रदेश में तूल पकड़ लिया है। 

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