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INDORE.मध्यप्रदेश के नगरीय निकायों (नगर निगम, नगर पालिका, नगर परिषद) में करीब 80 हजार दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी काम करते हैं। अब इनकी नौकरी पर संकट मंडरा रहा है।
एमपी वित्त विभाग के साल 2000 के 25 साल पुराने एक पत्र पर अब जाकर सरकार ने फिर से सख्ती शुरू कर दी है। सभी नगरीय निकायों से इन दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की जानकारी मांगी है। इंदौर नगर निगम में ही करीब आठ हजार दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी हैं।
क्या हुआ है पत्र जारी
एमपी शासन के नगरीय विकास और आवास विभाग मंत्रालय भोपाल से एक पत्र जारी हुआ है। यह पत्र उप सचिव प्रमोद कुमार शुक्ला ने भेजा है। यह पत्र सभी निगम आयुक्तों, सीईओ नगर पालिका और सीईओ नगर परिषद को भेजा गया है।
पहले अक्टूबर में और फिर नवंबर में दोबारा रिमाइंडर जारी किया गया है। इसमें 28 मार्च 2000 के बाद नियुक्त हुए दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को लेकर विस्तृत जानकारी मांगी गई है।
- दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी का नाम
- नियुक्ति की तारीख और वर्तमान वेतन
- तत्कालीन आयुक्त या सीईओ का नाम
- नियुक्ति के संबंध में राज्य शासन से ली गई मंजूरी और अन्य टिप्पणी
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क्या है साल 2000 का शासन का पत्र
मध्यप्रदेश शासन वित्त विभाग ने 28 मार्च 2000 को एक पत्र जारी किया था। इस पत्र में सभी विभागों, संभागीय आयुक्तों और कलेक्टरों को दैनिक वेतन पर नियुक्ति न करने के निर्देश दिए गए थे।
यह पत्र तत्कालीन प्रमुख सचिव वित्त विभाग वी. एन. कौल के जरिए जारी हुआ था। इसमें लिखा था कि राज्य शासन द्वारा दैनिक वेतन पर नियुक्त कर्मचारियों को सेवा से हटाने का निर्णय लिया गया है। इसी के तहत कार्रवाई चल रही थी।
शासन के जरिए 14 जनवरी 2000 को निर्देश जारी किए गए थे। इसके तहत सभी प्रकार की नई नियुक्तियां पर रोक लगा दी थी। इसलिए स्पष्ट किया जाता है कि दैनिक वेतन पर नियुक्ति नहीं की जाए।
यदि आवश्यकता हो तो इसका औचित्य सहित प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा जाए। यदि इसके बाद भी नियुक्ति की जाती है तो इसके भुगतान की वसूली संबंधित अधिकारी से की जाएगी।
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80 हजार कर्मचारियों के रोजगार की बात है
मस्टर कर्मचारी संघ संयोजक संवाद प्रमुख प्रवीण तिवारी इस आदेश पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि इस आदेश से 80 हजार कर्मचारियों का भविष्य खतरे में है। पहले भी इस तरह का पत्र आया था, तब बातचीत कर इसे रुकवाया गया था। अब फिर यह पत्र जारी हुआ है। इंदौर निगम में ही आठ हजार से अधिक कर्मचारी हैं। खुद निगम का काम भी पूरी तरह प्रभावित हो जाएगा।
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