मध्य प्रदेश में अब किसी भी जिले की रजिस्ट्री भोपाल से होगी, जानिए कैसी होगी नई व्यवस्था

मध्य प्रदेश में अब संपत्ति की रजिस्ट्री के लिए जिले जाने की जरूरत नहीं होगी। भोपाल में शुरू हो रहे साइबर पंजीयन कार्यालय से राज्यभर की संपत्तियों की रजिस्ट्री ऑनलाइन की जाएगी।

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Sanjay Dhiman
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Photograph: (the sootr)

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BHOPAL. मध्य प्रदेश में अब संपत्ति की रजिस्ट्री के लिए जिले जाने की जरूरत नहीं होगी। भोपाल में शुरू हो रहे साइबर पंजीयन कार्यालय से प्रदेशभर की संपत्तियों की रजिस्ट्री ऑनलाइन (Online Property Registration) हो सकेगी। जानिए इस बदलाव से खरीदारों, प्रशासन और निगरानी व्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा।

रजिस्ट्री की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव

मध्य प्रदेश की संपत्ति पंजीयन(mp Property registration) प्रक्रिया में बड़ा डिजिटल बदलाव होने जा रहा है। पंजीयन विभाग ने भोपाल के अरेरा हिल्स स्थित भवन (Arera Hills Registration Office) में साइबर पंजीयन कार्यालय बनाने की तैयारी पूरी कर ली है। यहां से जल्द ही प्रदेश के किसी भी जिले की संपत्ति की रजिस्ट्री हो सकेगी।

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5 प्वाइंट में समझें क्या है पूरा मामला

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1. भोपाल में प्रदेश का पहला साइबर पंजीयन कार्यालय(Bhopal Cyber Office) तैयार हो रहा है।  
2. यहां से किसी भी जिले की संपत्ति की रजिस्ट्री वर्चुअल तरीके से होगी।  
3. खरीदार को अब अपने जिले के पंजीयन कार्यालय जाने की जरूरत नहीं होगी।  
4. ट्रायल रजिस्ट्री में विदेश में बैठे खरीदारों ने भी संपत्ति रजिस्टर्ड कराई।  
5. विशेषज्ञों के मुताबिक सिस्टम से निगरानी और प्रशासनिक नियंत्रण पर असर पड़ सकता है।  

अब जिले जाने की जरूरत नहीं

इस व्यवस्था के बाद खरीदार को संबंधित जिले के कार्यालय का चक्कर नहीं लगाना होगा। जरूरत पड़ने पर वह ऑनलाइन प्रक्रिया से अपनी संपत्ति की रजिस्ट्री सीधे भोपाल से करा सकेगा। इससे समय और यात्रा की झंझट दोनों खत्म होंगे।

ट्रायल रजिस्ट्री से शुरू हुआ प्रयोग

भोपाल में ट्रायल रजिस्ट्री का काम पूरा हो चुका है। यहां से विदेश में बैठे खरीदारों ने भी ऑनलाइन प्रक्रिया से संपत्ति पंजीयन कराया। विभाग का दावा है कि यह प्रयोग सफल रहा और इसे जल्द राज्यभर में लागू किया जाएगा।

स्टे और विवादित संपत्तियां होंगी चुनौती

विशेषज्ञों का कहना है कि नई व्यवस्था से स्टे या विवादित संपत्तियों की निगरानी मुश्किल हो जाएगी। जिला स्तर पर अब तक जिन संपत्तियों पर आपत्तियां या कोर्ट केस चलते हैं, उनकी जानकारी स्थानीय कार्यालयों में रहती थी। भोपाल में केंद्रीकृत प्रक्रिया से यह सिस्टम कमजोर हो सकता है।

जिलों के लक्ष्य और निगरानी पर असर

पंजीयन कार्यालय अभिभाषक व्यवस्थापक समिति के अध्यक्ष प्रमोद द्विवेदी के अनुसार, साइबर रजिस्ट्री से जिला कार्यालयों की आय और आंकड़े भी प्रभावित होंगे। साथ ही आपत्ति वाली संपत्तियों की रजिस्ट्री रोकना मुश्किल होगा, क्योंकि निगरानी का प्रभावी सिस्टम अभी नहीं है।

प्रशासनिक नियंत्रण कम हो सकता है

जानकारों का मानना है कि भोपाल में सभी जिलों की रजिस्ट्री एक जगह होने से स्थानीय प्रशासन की पकड़ कमजोर हो जाएगी। अभी जिला प्रशासन अवैध कालोनियों या विवादित संपत्तियों पर तुरंत कार्रवाई कर पंजीयन रोक देता है, जिससे धोखाधड़ी कम होती है। नई व्यवस्था में यह नियंत्रण धीरे-धीरे कम हो सकता है।

शासन की ओर से जवाब जल्द संभव

विभागीय सूत्रों के मुताबिक,एमपी पंजीयन विभाग(Madhya Pradesh Registry) साइबर रजिस्ट्री के तकनीकी और कानूनी पहलुओं की समीक्षा कर रहा है। उम्मीद है कि साइबर सब रजिस्ट्रारों की नियुक्ति के बाद इसका संचालन औपचारिक रूप से शुरू किया जाएगा।

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नागरिकों को क्या होगा फायदा

नई व्यवस्था से सबसे बड़ा लाभ उन खरीदारों को मिलेगा जो दूसरे जिलों में संपत्ति खरीदते हैं। उन्हें अब छुट्टी लेकर कागजी प्रक्रिया में समय नहीं गंवाना होगा। ऑनलाइन माध्यम से दस्तावेज अपलोड कर रजिस्ट्री पूरी की जा सकेगी।

डिजिटल ट्रांजेक्शन की दिशा में बड़ा कदम

राज्य सरकार इस पहल को ‘ई-गवर्नेंस’ और ‘डिजिटल एमपी’ के मिशन से जोड़ रही है। विभाग का लक्ष्य है कि अगले एक साल में सभी पंजीयन प्रक्रियाओं को पूरी तरह ऑनलाइन किया जाए। 

सोर्स: पंजीयन विभाग, मध्य प्रदेश सरकार

FAQ

साइबर रजिस्ट्री क्या है?  
यह एक डिजिटल प्रणाली है जिसमें खरीदार कहीं से भी ऑनलाइन संपत्ति की रजिस्ट्री करा सकता है।
क्या विवादित संपत्तियों की रजिस्ट्री भी भोपाल में होगी?
हां, लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक इससे निगरानी और रोकथाम में मुश्किल आ सकती है।
साइबर सब रजिस्ट्रार(Cyber Registrar MP) कौन होंगे?  
विभाग जल्द इन पदों पर अधिकारियों की नियुक्ति के बाद प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू करेगा।
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