दावे-इश्तहार सब बेकार, दिव्यांगों की किस्मत में अब भी नौकरी का इंतजार, विभाग ने साधी चुप्पी

पीएम मोदी की दिव्यांगों के प्रति संवेदनशीलता के बावजूद, मध्य प्रदेश में दिव्यांगों के लिए सरकारी भर्ती प्रक्रिया में देरी और उदासीनता देखने को मिल रही है। मुख्यमंत्री के निर्देशों के बाद भी किसी न किसी बहाने से दिव्यांगों को नौकरी से दूर रखा जा रहा है।

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Sanjay Sharma
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BHOPAL. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अशक्तजनों के प्रति बेहद संवेदनशील हैं। अशक्तों को सम्मान देने के लिए पीएम ने ही उन्हें दिव्यांग की संज्ञा भी दी है। प्रदेश में मुखिया डॉ.मोहन यादव की दिव्यांगों के प्रति सद्भावना उनके संबोधनों में अकसर झलकती। हांलाकि मुख्यमंत्री की संवेदनाओं के बावजूद प्रदेश के सरकारी महकमे दिव्यांगों से सरोकार नहीं रखते। यही वजह है कि प्रदेश में मुखिया के निर्देश बावजूद प्रदेश में बैगलॉग पदों पर दिव्यांगों की भर्ती के विशेष अभियान का असर नजर नहीं आ रहा है। 

अटकी नियुक्ति, विभाग ने साधी चुप्पी

विभागों में भर्ती प्रक्रिया कहीं मैरिट लिस्ट के बाद अटकी हुई है तो कहीं इंटरव्यू के बाद विभाग चुप्पी साधे बैठे हैं। यानी किसी न किसी बहाने से दिव्यांगों को नौकरी से दूर रखा जा रहा है। अब इस मामले में दिव्यांगों की ओर से सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग से नियुक्तियां दिलाने की मांग की गई है। विभाग को हाईकोर्ट की उस याचिका की याद भी दिलाई गई है जिसमें विशेष भर्ती के लिए अभियान के निर्देश दिए गए थे।

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हाईकोर्ट के निर्देश पर भी हीलाहवाला

मध्य प्रदेश में पिछले एक साल के भीतर विशेष भर्ती अभियान के तहत एक दिव्यांग को सरकारी नौकरी नहीं दी गई है। जबकि मप्र उच्च न्यायालय भी प्रदेश सरकार को 30 जून 2024 तक बैकलॉग के रिक्त पदों पर दिव्यांगों को नौकरी देने के आदेश दे चुका है। हाईकोर्ट के आदेश पर सरकार के करीब दो दर्जन विभागों ने बैकलॉग पदों पर विशेष भर्ती अभियान के तहत दिव्यांगों की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी करने की खानापूर्ति जरूर की। इसके बाद किसी भी विभाग ने नियुक्ति प्रक्रिया को पूरा नहीं किया है। जिन विभागों ने विज्ञापन जारी किया, उनमें से किसी ने मैरिट सूची नहीं बनाई तो किसी ने साक्षात्कार नहीं लिया। तो किसी ने मैरिट सूची बनाने के बाद भी नियुक्ति पत्र नहीं दिए गए। 

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दिव्यांग भर्ती के नाम हो रही टालमटोल

प्रदेश में  दिव्यांग भर्ती के नाम पर विभागों का रवैया उदासीनता भरा है। वित्त विभाग, राजस्व, खेल, श्रम विभाग, स्कूल शिक्षा, विधि एवं विधाई, आर्थिक सांख्यिकी, प्रवासी भारतीय, पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, लोक परिसंपत्ति, आनंद एवं धार्मिक न्यास, वन, गृह, जनजातीय कार्य विभाग और परिवहन विभागों ने दिव्यांग भर्ती के विशेष अभियान के तहत अब तक कोई भर्ती ही नहीं निकाली है। वहीं पशुपालन, पर्यटन, उद्योग, उच्च शिक्षा, लोक स्वास्थ्य एवं यांत्रिकीय, सामाजिक न्याय, सामान्य प्रशासन विभाग, कृषि, पंजीयक, कुटीर एवं ग्रामीद्योग, खनिज, तकनीकी शिक्षा, लोनिवि, वाणिज्यिक कर, वेयर हाउसिंग एवं लॉजिस्टिक, जल संसाधन विभाग, उद्यानिकी, पंचायत विभाग, आयुष और नगरीय प्रशासन विभाग विज्ञापन जारी करने के बाद नियुक्ति करना भूल चुके हैं।

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दिव्यांगों की नाराजगी देख आई याद

बैकलॉग पदों पर भर्ती से वंचित दिव्यांगों में विभागों के रुख से नाराजगी बढ़ रही है। भर्ती में विभागों की टालमटोल को लेकर राष्ट्रीय दृष्टिहीन संघ मप्र ने सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के प्रमुख सचिव से हस्तक्षेप की मांग की है। उन्हें हाईकोर्ट द्वारा 30 जून 2024 तक दिव्यांग भर्ती के संबंध में दिए गए निर्देशों की भी याद दिलाई गई है। इसके बाद सामाजिक न्याय विभाग द्वारा सभी विभागों को पत्र भेजकर दिव्यांग भर्ती के संबंध में जानकारी मांगी गई है।विभाग की उपसचिव अंकिता धाकरे के नाम से जारी इस पत्र में उच्च न्यायालय में दाखिल याचिका का उल्लेख भी साफ तौर पर किया गया है। 

मुख्यमंत्री से मांगी मदद

वहीं दिव्यांगों को विभागों में नियुक्ति न मिलने पर राष्ट्रीय दृष्टिहीन संघ के महासचिव हीरालाल बघेल ने सीएम से भी मदद मांगी है। उनका कहना है विभाग जानबूझकर नियुक्ति प्रक्रियाओं में रोड़ा अटका रहे हैं। इसलिए कहीं विज्ञापन जारी किए गए तो कहीं मैरिट और साक्षात्कार बुलाए गए, लेकिन नियुक्ति के नाम पर चुप्पी साध ली गई है।

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