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MP News: मध्य प्रदेश सरकार के दो साल पूरे होने पर ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर उपलब्धियां गिनाने पहुंचे थे, लेकिन पत्रकारों ने बिजली बिलों में लगाए जा रहे पेनाल्टी को लेकर सीधे सवाल दाग दिए। चर्चा का केंद्र सरकार के दावे और उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ रहे बोझ के बीच का अंतर रहा।
हजारों करोड़ का कर्ज, फिर भी पेनाल्टी क्यों?
पत्रकारों ने पूछा कि जब बिजली सुधारों के नाम पर ऊर्जा विभाग (ऊर्जा विभाग मध्य प्रदेश शासन) ने हजारों करोड़ रुपए का कर्ज लिया है, तो उपभोक्ताओं से अतिरिक्त शुल्क क्यों वसूला जा रहा है। सवाल यह भी था कि सुधारों का बोझ जनता पर क्यों डाला जा रहा है।
ऊर्जा मंत्री ने जवाब में कहा कि प्रदेश में बिजली की मांग लगातार बढ़ रही है। इसके बावजूद बिना कटौती बिजली आपूर्ति करके मध्य प्रदेश देश के लिए उदाहरण बना है।
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एमपी में महंगी बिजली पर मंत्री का जवाब
मंत्री ने कहा कि मध्य प्रदेश में बिजली की उपलब्धता अच्छी है। किसानों को भी पर्याप्त बिजली मिल रही है। जब उनसे पूछा गया कि बिजली सस्ती क्यों नहीं की जा सकती, तो तोमर ने कहा, प्रदेश में 1 करोड़ 35 लाख उपभोक्ता हैं। इनमें से करीब 1 करोड़ लोग 100 रुपए में सब्सिडी स्कीम से जुड़े हैं। ऐसे में सस्ती बिजली कैसे देंगे?
रिकॉर्ड मांग, बिना कटौती सप्लाई का दावा
प्रद्युम्न सिंह तोमर ने बताया कि 12 दिसंबर को प्रदेश में 19 हजार 113 मेगावाट की रिकॉर्ड बिजली मांग थी। सरकार ने यह पूरी मांग बिना किसी कटौती के पूरी की। उनके मुताबिक, यह मजबूत बिजली प्रबंधन और लगातार सुधारों का नतीजा है।
उन्होंने कहा कि राज्य ने 25 हजार 81 मेगावाट बिजली खरीद के अनुबंध किए हैं। इसी वजह से मध्य प्रदेश अब सरप्लस बिजली वाला राज्य बन चुका है।
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अनियमित सप्लाई पर नहीं मिला साफ जवाब
खेती के लिए अनियमित बिजली आपूर्ति के सवाल पर ऊर्जा मंत्री स्पष्ट जवाब नहीं दे सके। यह मुद्दा ग्रामीण इलाकों में लंबे समय से किसानों की बड़ी शिकायत बना हुआ है।
2011 के बाद भर्ती न होने का असर
ऊर्जा मंत्री ने माना कि साल 2011 के बाद बिजली कंपनियों में नियमित भर्तियां नहीं हुईं। इसका असर सेवाओं पर पड़ा और विभाग को आउटसोर्सिंग का सहारा लेना पड़ा। उन्होंने बताया कि अक्षमता की शिकायतों के बाद मंत्रिपरिषद ने बिजली कंपनियों में 50 हजार से अधिक नियमित पदों पर भर्ती को मंजूरी दे दी है।
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स्मार्ट मीटर से पारदर्शिता का दावा
प्रद्युम्न सिंह तोमर ने स्मार्ट मीटर को उपभोक्ताओं के लिए फायदेमंद बताया। उनके मुताबिक, इससे समय पर और सही बिल मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि वितरण केंद्रों के प्रभारी अधिकारी रोजाना पांच उपभोक्ताओं से फोन पर संवाद कर रहे हैं।
स्मार्ट मीटर के जरिए सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक सस्ती बिजली दी जा रही है, जिस पर 20 प्रतिशत तक की छूट मिलती है।
घरेलू और कृषि उपभोक्ताओं को राहत का दावा
ऊर्जा मंत्री ने बताया कि सरकार हर साल करीब 26 हजार करोड़ रुपए की बिजली सब्सिडी दे रही है। करीब एक करोड़ घरेलू उपभोक्ताओं से पहले 100 यूनिट बिजली के लिए सिर्फ 100 रुपए लिए जा रहे हैं। किसानों को देय राशि का केवल 7 प्रतिशत भुगतान दो किस्तों में करना होता है।
अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के एक हेक्टेयर तक भूमि वाले और पांच हॉर्स पावर पंपधारक किसानों को मुफ्त बिजली दी जा रही है।
जब पांच हॉर्स पावर पंपधारकों से आठ हॉर्स पावर का बिल वसूले जाने पर सवाल उठा, तो मंत्री ने कहा कि ऐसे मामलों की शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।
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11 हजार करोड़ से ज्यादा बकाया
ऊर्जा मंत्री ने स्वीकार किया कि उद्योग और कई सरकारी प्रतिष्ठान समय पर बिजली बिलों का भुगतान नहीं करते। इसी वजह से बिजली कंपनियों की उधारी बढ़कर 11 हजार करोड़ रुपये से अधिक हो गई है।
उन्होंने कहा कि उद्योगों को रियायती दरों पर बिजली देने के कारण सरकार को हर साल करीब 2,000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ता है, जिसकी भरपाई ऊर्जा विभाग को करनी पड़ती है।
दावों और जमीनी हकीकत के बीच फंसी बिजली नीति
ऊर्जा मंत्री के दावे मजबूत बिजली आपूर्ति और बड़ी सब्सिडी की तस्वीर पेश करते हैं। वहीं, अधिभार, अनियमित कृषि बिजली और बढ़ती उधारी जैसे सवाल सरकार की बिजली नीति पर लगातार सवाल खड़े कर रहे हैं।
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