/sootr/media/media_files/2025/09/25/mp-gst-2025-09-25-09-23-46.jpg)
केंद्र सरकार के नए जीएसटी रिफॉर्म से मध्य प्रदेश के वित्तीय संसाधनों पर गंभीर असर पड़ने की आशंका है। माना जा रहा है कि जल्द एमपी में अधिकारियों की विदेश यात्राएं, नए कार्यालयों का निर्माण, पुराने कार्यालयों और संपत्तियों का रखरखाव, नई गाड़ियों की खरीदारी, विभागीय बड़े आयोजनों और डायरी-कैलेंडर की छपाई पर जल्द ही प्रतिबंध लगने वाला है।
एक अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र से केंद्रीय करों में हिस्सेदारी और अन्य राशि के रूप में इस वर्ष लगभग 75 हजार करोड़ रुपए प्राप्त होने की उम्मीद थी, लेकिन वित्त विभाग का अनुमान है कि इसमें 12 से 13 हजार करोड़ रुपए की कमी आ सकती है। इस नुकसान की भरपाई के लिए अनावश्यक खर्चों पर अंकुश लगाने की योजना बनाई जा रही है।
गैर-जरूरी खर्चों को टाला गया
वित्त मंत्रालय ने एक प्रस्ताव तैयार किया है, जिसके तहत उच्च स्तर की मंजूरी मिलने के बाद अगले एक साल तक सभी गैर-जरूरी खर्चों को टाल दिया जाएगा। मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, फिजूलखर्ची पर रोक लगाने से करीब एक हजार करोड़ रुपए की बचत होने की उम्मीद है। इसके अलावा कुछ अन्य भुगतानों और बड़े प्रोजेक्ट्स के भुगतान को भी अगले छह महीनों के लिए स्थगित करने की योजना है।
सूत्रों ने बताया कि दिल्ली का मानना है कि जीएसटी में सुधार के बाद बाजार में तेजी आएगी। ऐसा करने से खरीदारी बढ़ेगी और माल की खपत में वृद्धि होगी। इससे एसजीएसटी, सीजीएसटी और आईजीएसटी के संग्रह में इजाफा होगा, जिसका फायदा राज्यों को मिलेगा। हालांकि, वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह अनुमान भविष्य पर आधारित है। यदि बाजार में अपेक्षित तेजी आती है, तो नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
इन चीजों पर अभी नहीं मिलेगी मंजूरी
सूत्रों के अनुसार, हर साल लगभग 200 वाहन खरीदे जाते हैं, जिसमें पुलिस विभाग और स्वास्थ्य विभाग के वाहन शामिल नहीं हैं, क्योंकि इन्हें आवश्यक सेवाओं के तहत गिना जाता है। वित्त विभाग की मंजूरी मिलने के बाद पुलिस और स्वास्थ्य विभाग अपने कार्यों को सुचारू रूप से जारी रख सकेंगे, जबकि अन्य विभागों पर वाहन खरीद को लेकर रोक लागू रहेगी।
इसके साथ ही, जीएसटी सुधारों के बाद केंद्र सरकार राज्यों को उनके जीएसडीपी के आधार पर बाजार से कर्ज लेने की सीमा बढ़ाने पर विचार कर रही है। वर्तमान में राज्य अपने जीएसडीपी का 3% तक कर्ज ले सकते हैं, और इसके अतिरिक्त 1.5% कर्ज कुछ शर्तों के अधीन लिया जा सकता है, यानी कुल 4.5% तक कर्ज की अनुमति है। इस सीमा को एक प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है।
एमपी सरकार ने जीएसटी काउंसिल से की मांग
मध्यप्रदेशने जीएसटी काउंसिल में मांग रखी है कि राज्यों की हिस्सेदारी को बढ़ाकर 48% किया जाए। सूत्रों के अनुसार, 14वें वित्त आयोग के तहत राज्यों को 42% हिस्सेदारी दी जाती थी, लेकिन हाल ही में 15वें वित्त आयोग ने इसे घटाकर 41% करने की सिफारिश की है। इसके जवाब में मध्य प्रदेश ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि राज्यों की हिस्सेदारी को 48% तक बढ़ाया जाना चाहिए।
ये भी पढ़िए... 28% जीएसटी चुकाने वाले उपभोक्ताओं को वापस मिले अतिरिक्त राशि: जीतू पटवारी
इन नए ऑफिस बनने में हो सकती है देरी
चालू वित्त वर्ष में सरकारी दफ्तरों के रखरखाव पर 300 करोड़ रुपए से अधिक खर्च होने का अनुमान है। बजट की मद संख्या 9545 के तहत दफ्तरों के मेंटेनेंस के लिए राशि आवंटित है, जिसे परिसंधारण के नाम से जाना जाता है। इसमें विभिन्न विभाग करोड़ों रुपए खर्च करते हैं, लेकिन इस पर फिलहाल रोक लगा दी गई है।
खाद्य विभाग 60-70 करोड़ रुपए की लागत से नया भवन बनाने की योजना बना रहा है, जबकि आदिवासी विभाग श्यामला हिल्स में इसी राशि से नया भवन बनाना चाहता है। इसके अलावा, मेट्रो का 30 से 40 करोड़ रुपए की लागत से नया दफ्तर बनाने का प्रस्ताव है। इन सभी योजनाओं को अगले आदेश तक स्थगित कर दिया गया है।
मध्य प्रदेश को सेंट्रल जीएसटी के तहत 32,507 करोड़ रुपए और एसजीएसटी-आईजीएसटी के तहत 42,148 करोड़ रुपए मिलते हैं।
पेमेंट री-शेड्यूल हो सकते हैं- वित्त अपर सचिव
वित्त अपर मुख्य सचिव मनीष रस्तोगी के मुताबिक, अनावश्यक खर्च जिन्हें टाला जा सकता है, वो करने पर विचार कर रहे हैं। ऐसे पेमेंट जो री-शेड्यूल हो सकते हैं, उन्हें भी करेंगे। आगामी 6-8 महीने की स्थिति देखने के बाद रिलेक्स करेंगे। अभी उच्च स्तर पर इस पर बात चल रही है।