अफसरों की फाइलों में उलझे सरकार के फैसले, घोषणाओं को जमीन पर उतारने में विभाग सुस्त

मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की घोषणाओं को लेकर अफसरशाही की सुस्ती साफ नजर आ रही है। दो साल में कुल 862 घोषणाओं में से केवल 81 पूरी हुई हैं। कई विभागों में घोषणाएं अब भी लंबित हैं। यह स्थिति प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाती है।

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Jitendra Shrivastava
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Photograph: (thesootr)

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BHOPAL. मध्यप्रदेश की डॉ.मोहन यादव सरकार ने अपने कार्यकाल के दो साल पूरे कर लिए हैं। इस दौरान सीएम ने प्रदेश को कई सौगातें दी हैं। इन सबके बीच सीएम की घोषणाओं और फैसलों को जमीन पर उतारने में प्रदेश के सभी विभाग फिसड्डी हैं। 'द सूत्र' ने जब पड़ताल की तो चौंकाने वाली स्थिति सामने आई। 
पढ़िए ये खास रिपोर्ट...

दो साल का लेखा-जोखा 

11 दिसंबर 2023 को डॉ. मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाए जाने की घोषणा हुई। 13 दिसंबर को उन्होंने शपथ ली। इसके बाद दो वर्षों में उन्होंने प्रदेश के 42 विभागों से जुड़े कुल 862 ऐलान किए। इनमें से अब तक 81 घोषणाएं ही पूरी तरह जमीन पर उतर सकीं हैं।

92 घोषणाएं ऐसी हैं, जिन पर काम चल रहा है या जो सतत प्रकृति की हैं, जबकि 689 घोषणाएं अब भी पेंडिंग हैं। यानी दो साल बाद भी जनता को सीधा लाभ देने वाले काम महज 10 फीसदी ही पूरे हो पाए हैं।

बाकी घोषणाएं फाइलों, बैठकों और नोटशीट्स के बीच उलझी हुई हैं। यह साफ संकेत है कि समस्या राजनीतिक इच्छाशक्ति की नहीं, बल्कि अफसरशाही की सुस्ती और गैर-जवाबदेही की है।

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यहां ज्यादा ऐलान और यही सबसे ज्यादा पिछड़े 

सीएम ने दो साल में सबसे ज्यादा ऐलान लोक निर्माण विभाग से जुड़े किए हैं। इस विभाग में 115 प्रकरण आए, लेकिन 4 पर ही अफसरों से अमल किया, जबकि 18 पूर्ण सतत की कैटेगिरी में हैं।

93 घोषणाएं अभी अधूरी हैं। ऐसे ही नगरीय विकास एवं आवास विभाग से जुड़ी 108 घोषणाएं की गईं और सिर्फ 12 पूरी हुईं। उच्च शिक्षा विभाग की 59 घोषणाओं में से 7 पूरी हो सकी हैं। स्वास्थ्य विभाग के 52 ऐलानों में से 6 पर ही अमल किया गया है। हालांकि कुछ विभाग ऐसे हैं, जहां काम तो आगे बढ़ा है, लेकिन उनकी रफ्तार बहुत धीमी है। 

15 विभाग ऐसे, जहां एक भी घोषणा पूरी नहीं

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि प्रदेश में 15 विभाग ऐसे हैं, जहां मुख्यमंत्री की एक भी घोषणा जमीन पर नहीं उतरी। इन विभागों में अनुसूचित जाति कल्याण, खनिज साधन, तकनीकी शिक्षा व कौशल विकास, धार्मिक न्यास, नर्मदा घाटी विकास, परिवहन, वित्त, विधि, विमानन, सामाजिक न्याय जैसे अहम विभाग शामिल हैं। इन सभी में घोषणाएं हुईं, फाइलें चलीं, लेकिन नतीजा शून्य ही है। यह स्थिति सीधे प्रशासनिक लापरवाही और अफसरों की उदासीनता की पोल खोलती है।

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इन विभागों में एक भी घोषणा पर अमल नहीं...

इन विभागों में एक भी घोषणा पर अमल नहीं...

विभागऐलानपेंडिंग
अनु.जाति कल्याण0101
खनिज साधन1212
तकनीकी शिक्षा/कौशल विकास1111
धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व1919
नर्मदा घाटी विकास1515
नवकरणीय ऊर्जा0303
परिवहन0101
पिछड़ा वर्ग/अल्पसंख्यक कल्याण0505
मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विकास0101
वाणिज्यिक कर0303
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी0202
वित्त विभाग0101
विधि और विधायी कार्य0101
विमानन विभाग0707
सामाजिक न्याय0101

कुछ विभागों में काम हुआ, पर रफ्तार धीमी

कई विभाग ऐसे भी हैं, जहां औपचारिक रूप से कहा जा सकता है कि काम “चल रहा है”, लेकिन हकीकत यह है कि गति इतनी धीमी है कि जनता को कोई फायदा नहीं दिखता। पर्यटन, राजस्व, जनजातीय कार्य, जल संसाधन, ऊर्जा, खेल, पंचायत-ग्रामीण विकास, कृषि, गृह, स्कूल शिक्षा जैसे विभागों में अधिकांश घोषणाएं अब भी पेंडिंग हैं। 

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यहां कुछ-कुछ घोषणाओं पर अमल...

विभागऐलानपेंडिंग
पर्यटन विभाग3332
राजस्व2826
जनजातीय कार्य2220
स्वास्थ्य विभाग5246
जल संसाधन3833
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति0706
संस्कृति विभाग2017
उच्च शिक्षा विभाग5949
ऊर्जा विभाग2420
खेल एवं युवक कल्याण2420
आयुष2218
लोक निर्माण विभाग11593
वन विभाग1613
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी0504
पंचायत—ग्रामीण विकास4333
नगरीय विकास10878
कृषि विभाग1007
गृह विभाग2920
स्कूल शिक्षा2315
औद्योगिक नीति एवं निवेश1710
पशुपालन एवं डेयरी2615
एमएसएमई0704
सामान्य प्रशासन4122
उद्यानिकी विभाग0402
कुटीर एवं ग्रामोद्योग0201
महिला एवं बाल विकास0301

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किस कैटेगिरी का क्या मतलब... 

आसान शब्दों में कहें तो सीएम की घोषणाओं पर नजर रखने के लिए जो लिस्ट बनाई गई है, उसमें कामों को चार हिस्सों में बांटा गया है। हर हिस्सा यह बताता है कि घोषणा का काम किस हालत में है।

1. कुल प्रकरण 862 

इसका मतलब है कि मुख्यमंत्री ने अब तक जितनी भी घोषणाएं की हैं, उनकी पूरी संख्या। यानी जितने काम करने का वादा किया गया, सबको जोड़कर जो आंकड़ा बनता है।

2. पूर्ण 81 

इस कैटेगिरी में वे घोषणाएं आती हैं, जिन पर काम पूरी तरह हो चुका है। यानी योजना लागू हो गई, काम जमीन पर पूरा हो गया और उसका लाभ लोगों को मिलने लगा है।

3. पूर्ण सतत 92 

इसका मतलब है कि ऐसे काम जो शुरू होकर पूरे तो हो चुके हैं, लेकिन अभी लगातार चल रहे हैं। जैसे कोई योजना या सुविधा जो एक बार बनकर खत्म नहीं होती, बल्कि लगातार चलती रहती है।

4. लंबित यानी पेंडिंग 689 

इसमें वे घोषणाएं शामिल हैं, जिन पर अभी काम शुरू नहीं हुआ है या अधूरा है। यानी जिन वादों पर अब तक कार्रवाई नहीं हो पाई या काम बीच में अटका हुआ है।

मध्यप्रदेश द सूत्र सामाजिक न्याय प्रशासनिक लापरवाही नगरीय विकास एवं आवास विभाग डॉ.मोहन यादव
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