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Photograph: (thesootr)
BHOPAL. मध्यप्रदेश की डॉ.मोहन यादव सरकार ने अपने कार्यकाल के दो साल पूरे कर लिए हैं। इस दौरान सीएम ने प्रदेश को कई सौगातें दी हैं। इन सबके बीच सीएम की घोषणाओं और फैसलों को जमीन पर उतारने में प्रदेश के सभी विभाग फिसड्डी हैं। 'द सूत्र' ने जब पड़ताल की तो चौंकाने वाली स्थिति सामने आई।
पढ़िए ये खास रिपोर्ट...
दो साल का लेखा-जोखा
11 दिसंबर 2023 को डॉ. मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाए जाने की घोषणा हुई। 13 दिसंबर को उन्होंने शपथ ली। इसके बाद दो वर्षों में उन्होंने प्रदेश के 42 विभागों से जुड़े कुल 862 ऐलान किए। इनमें से अब तक 81 घोषणाएं ही पूरी तरह जमीन पर उतर सकीं हैं।
92 घोषणाएं ऐसी हैं, जिन पर काम चल रहा है या जो सतत प्रकृति की हैं, जबकि 689 घोषणाएं अब भी पेंडिंग हैं। यानी दो साल बाद भी जनता को सीधा लाभ देने वाले काम महज 10 फीसदी ही पूरे हो पाए हैं।
बाकी घोषणाएं फाइलों, बैठकों और नोटशीट्स के बीच उलझी हुई हैं। यह साफ संकेत है कि समस्या राजनीतिक इच्छाशक्ति की नहीं, बल्कि अफसरशाही की सुस्ती और गैर-जवाबदेही की है।
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यहां ज्यादा ऐलान और यही सबसे ज्यादा पिछड़े
सीएम ने दो साल में सबसे ज्यादा ऐलान लोक निर्माण विभाग से जुड़े किए हैं। इस विभाग में 115 प्रकरण आए, लेकिन 4 पर ही अफसरों से अमल किया, जबकि 18 पूर्ण सतत की कैटेगिरी में हैं।
93 घोषणाएं अभी अधूरी हैं। ऐसे ही नगरीय विकास एवं आवास विभाग से जुड़ी 108 घोषणाएं की गईं और सिर्फ 12 पूरी हुईं। उच्च शिक्षा विभाग की 59 घोषणाओं में से 7 पूरी हो सकी हैं। स्वास्थ्य विभाग के 52 ऐलानों में से 6 पर ही अमल किया गया है। हालांकि कुछ विभाग ऐसे हैं, जहां काम तो आगे बढ़ा है, लेकिन उनकी रफ्तार बहुत धीमी है।
15 विभाग ऐसे, जहां एक भी घोषणा पूरी नहीं
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि प्रदेश में 15 विभाग ऐसे हैं, जहां मुख्यमंत्री की एक भी घोषणा जमीन पर नहीं उतरी। इन विभागों में अनुसूचित जाति कल्याण, खनिज साधन, तकनीकी शिक्षा व कौशल विकास, धार्मिक न्यास, नर्मदा घाटी विकास, परिवहन, वित्त, विधि, विमानन, सामाजिक न्याय जैसे अहम विभाग शामिल हैं। इन सभी में घोषणाएं हुईं, फाइलें चलीं, लेकिन नतीजा शून्य ही है। यह स्थिति सीधे प्रशासनिक लापरवाही और अफसरों की उदासीनता की पोल खोलती है।
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इन विभागों में एक भी घोषणा पर अमल नहीं...
इन विभागों में एक भी घोषणा पर अमल नहीं...
| विभाग | ऐलान | पेंडिंग |
|---|---|---|
| अनु.जाति कल्याण | 01 | 01 |
| खनिज साधन | 12 | 12 |
| तकनीकी शिक्षा/कौशल विकास | 11 | 11 |
| धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व | 19 | 19 |
| नर्मदा घाटी विकास | 15 | 15 |
| नवकरणीय ऊर्जा | 03 | 03 |
| परिवहन | 01 | 01 |
| पिछड़ा वर्ग/अल्पसंख्यक कल्याण | 05 | 05 |
| मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विकास | 01 | 01 |
| वाणिज्यिक कर | 03 | 03 |
| विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी | 02 | 02 |
| वित्त विभाग | 01 | 01 |
| विधि और विधायी कार्य | 01 | 01 |
| विमानन विभाग | 07 | 07 |
| सामाजिक न्याय | 01 | 01 |
कुछ विभागों में काम हुआ, पर रफ्तार धीमी
कई विभाग ऐसे भी हैं, जहां औपचारिक रूप से कहा जा सकता है कि काम “चल रहा है”, लेकिन हकीकत यह है कि गति इतनी धीमी है कि जनता को कोई फायदा नहीं दिखता। पर्यटन, राजस्व, जनजातीय कार्य, जल संसाधन, ऊर्जा, खेल, पंचायत-ग्रामीण विकास, कृषि, गृह, स्कूल शिक्षा जैसे विभागों में अधिकांश घोषणाएं अब भी पेंडिंग हैं।
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यहां कुछ-कुछ घोषणाओं पर अमल...
| विभाग | ऐलान | पेंडिंग |
|---|---|---|
| पर्यटन विभाग | 33 | 32 |
| राजस्व | 28 | 26 |
| जनजातीय कार्य | 22 | 20 |
| स्वास्थ्य विभाग | 52 | 46 |
| जल संसाधन | 38 | 33 |
| खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति | 07 | 06 |
| संस्कृति विभाग | 20 | 17 |
| उच्च शिक्षा विभाग | 59 | 49 |
| ऊर्जा विभाग | 24 | 20 |
| खेल एवं युवक कल्याण | 24 | 20 |
| आयुष | 22 | 18 |
| लोक निर्माण विभाग | 115 | 93 |
| वन विभाग | 16 | 13 |
| लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी | 05 | 04 |
| पंचायत—ग्रामीण विकास | 43 | 33 |
| नगरीय विकास | 108 | 78 |
| कृषि विभाग | 10 | 07 |
| गृह विभाग | 29 | 20 |
| स्कूल शिक्षा | 23 | 15 |
| औद्योगिक नीति एवं निवेश | 17 | 10 |
| पशुपालन एवं डेयरी | 26 | 15 |
| एमएसएमई | 07 | 04 |
| सामान्य प्रशासन | 41 | 22 |
| उद्यानिकी विभाग | 04 | 02 |
| कुटीर एवं ग्रामोद्योग | 02 | 01 |
| महिला एवं बाल विकास | 03 | 01 |
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किस कैटेगिरी का क्या मतलब...
आसान शब्दों में कहें तो सीएम की घोषणाओं पर नजर रखने के लिए जो लिस्ट बनाई गई है, उसमें कामों को चार हिस्सों में बांटा गया है। हर हिस्सा यह बताता है कि घोषणा का काम किस हालत में है।
1. कुल प्रकरण 862
इसका मतलब है कि मुख्यमंत्री ने अब तक जितनी भी घोषणाएं की हैं, उनकी पूरी संख्या। यानी जितने काम करने का वादा किया गया, सबको जोड़कर जो आंकड़ा बनता है।
2. पूर्ण 81
इस कैटेगिरी में वे घोषणाएं आती हैं, जिन पर काम पूरी तरह हो चुका है। यानी योजना लागू हो गई, काम जमीन पर पूरा हो गया और उसका लाभ लोगों को मिलने लगा है।
3. पूर्ण सतत 92
इसका मतलब है कि ऐसे काम जो शुरू होकर पूरे तो हो चुके हैं, लेकिन अभी लगातार चल रहे हैं। जैसे कोई योजना या सुविधा जो एक बार बनकर खत्म नहीं होती, बल्कि लगातार चलती रहती है।
4. लंबित यानी पेंडिंग 689
इसमें वे घोषणाएं शामिल हैं, जिन पर अभी काम शुरू नहीं हुआ है या अधूरा है। यानी जिन वादों पर अब तक कार्रवाई नहीं हो पाई या काम बीच में अटका हुआ है।
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