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Bhopal. मप्र में टैक्स चोरी के एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश हुआ है। इसे राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) और जीएसटी विभाग की संयुक्त टीम ने उजागर किया। इस जांच में अब तक लगभग 62 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी का खुलासा हुआ है। अधिकारियों का मानना है कि जांच पूरी होने के बाद यह आंकड़ा 75 करोड़ रुपए या उससे अधिक तक पहुंच सकता है।
टैक्स चोरी पर बड़ी कार्रवाई
जीएसटी अधिकारियों के अनुसार, आरोपी बोगस जीएसटी नंबरों पर क्रेडिट इकट्ठा करते थे और फिर उसे कई फर्जी नंबरों में ट्रांसफर कर देते थे। इन लोगों ने ट्रांसफर किए गए किसी एक नंबर के माध्यम से सप्लाई दिखाकर टैक्स चोरी की थी।
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सर्कुलर ट्रेडिंग के जरिए हो रही थी गड़बड़ी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह गड़बड़ी सर्कुलर ट्रेडिंग के जरिए की जा रही थी। इसके लिए आरोपियों ने अपने परिचितों और कर्मचारियों के नाम पर एक राज्य या कई राज्यों में पांच या उससे अधिक फर्जी फर्में रजिस्टर करवाई थीं। इन फर्मों का असली कारोबार से कोई संबंध नहीं था। इन बोगस कंपनियों के जरिए कागजों पर लेन-देन दिखाकर आईटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) का दुरुपयोग किया गया, जिससे सरकार को करोड़ों का नुकसान हुआ।
सितंबर के पहले हफ्ते से शुरू हुई इस कार्रवाई के दौरान भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, छतरपुर, सीहोर सहित नौ जिलों में जांच की गई। जांच में खासतौर पर भोपाल और सिंगरौली में एक टैक्स सलाहकार को निशाने पर लिया गया, जिनके जरिए फर्जी आईटीसी भरकर टैक्स चोरी की जा रही थी।
53 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी का खुलासा
अब तक की जांच में अकेले मध्यप्रदेश में 53 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी का खुलासा हुआ है। इसके बाद उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों से जुड़े तथ्यों के आधार पर यह आंकड़ा 62 करोड़ तक पहुंच गया है। जांच में दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में भी बोगस कंपनियों के नाम सामने आए हैं।
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EOW अधिकारियों के अनुसार, इस मामले में एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है और संबंधित लोगों के बयान भी दर्ज किए जा चुके हैं। माना जा रहा है कि यह प्रदेश का अब तक का सबसे बड़ा जीएसटी चोरी का मामला हो सकता है।
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इंटर स्टेट बोगस जीएसटी फर्मों का खुलासा
इस माह एमपी में सिंगरौली, इंदौर, भोपाल, सीहोर, ग्वालियर, छतरपुर समेत दर्जन भर जिलों में की गई जीएसटी अफसरों की छापेमारी में इंटर स्टेट बोगस जीएसटी फर्मों का खुलासा हुआ है। ईओडब्ल्यू और जीएसटी अफसरों की संयुक्त टीम की जांच में यह बात सामने आई है कि टैक्स चोरी के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य में सप्लाई दिखाई गई, जबकि वास्तव में न तो माल की सप्लाई हुई और न ही टैक्स का भुगतान किया गया। इस मामले में एक बड़े रैकेट का खुलासा होने की संभावना जताई जा रही है। फिलहाल जांच जारी है।