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Photograph: (the sootr)
JABALPUR. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक और दूरगामी प्रभाव वाला निर्णय दिया है। कोर्ट ने उद्यान विभाग के कर्मचारी राकेश कुमार चौरसिया की नियुक्ति को अवैध ठहराने वाले आदेश को पूरी रद्द कर दिया है।
कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि राज्य शासन अब मुख्य सचिव के नियंत्रण में नीति एवं समिति का गठन करे। यह समिति राकेश चौरसिया के नियमितीकरण पर आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करेगी।
यह फैसला सिर्फ एक कर्मचारी के लिए राहत लेकर नहीं आया है। इस निर्णय से हजारों कर्मचारियों में उम्मीद की नई किरण जागी है। ऐसे कर्मचारी जो कई सालों से सेवा में हैं लेकिन नियमितीकरण से वंचित हैं।
38 वर्ष सेवा के बाद ‘अवैध नियुक्ति’ कहना अनुचित
राकेश चौरसिया 38 साल से उद्यान विभाग में काम कर रहे थे। उन्होंने पहले एक याचिका हाईकोर्ट में लगाई थी। हाईकोर्ट ने तब शासन को नियमितीकरण पर कार्रवाई का निर्देश दिया। उनके वकील ने कोर्ट को विनियमितीकरण प्रक्रिया के बारे में बताया। यह प्रक्रिया वर्ष 2025 में शासन ने तय की थी। उस समय उनकी नियुक्ति को सही माना गया था। तब कोई भी आपत्ति दर्ज नहीं हुई थी।
नियमितीकरण न होने पर उन्होंने दूसरी याचिका दायर की। इस याचिका पर 4 मार्च 2025 को फैसला आया था। कोर्ट ने फिर नियमितीकरण पर निर्णय लेने को स्पष्ट निर्देश दिए। चौंकाने वाली बात इसके बाद हुई। ठीक बाद, 7 अप्रैल 2025 को शासन ने एक आदेश जारी किया। इस आदेश में उनकी 38 साल पुरानी नियुक्ति को अवैध बताया गया। हाईकोर्ट ने आज इसी आदेश को पूरी तरह रद्द कर दिया है।
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राज्य शासन की लापरवाही पर गंभीर प्रश्न
हाईकोर्ट ने पहले भी एक आदेश दिया था। यह आदेश 25 मार्च 2025 को जारी हुआ था। कोर्ट ने राज्य शासन को निर्देश दिए थे। उन्हें ऐसे सभी कर्मचारियों के लिए नीति बनानी थी। ये वे लोग थे जिनकी सेवा 10 से 15 वर्षों से अधिक हो चुकी है। एक स्थाई समिति का गठन किया जाना था। साथ ही नियमितीकरण की पूरी प्रक्रिया तैयार करनी थी।
लेकिन शासन ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की। आज 9 दिसंबर को इस मामले की सुनवाई थी। जस्टिस एमएस भट्टी की सिंगल बेंच में सुनवाई हुई। शासन की ओर से कोई ठोस जानकारी पेश नहीं हुई। कोर्ट ने शासन के इस रवैये पर गहरी नाराज़गी जताई।
अब कार्रवाई से बचना संभव नहीं: HC
आज की सुनवाई में अदालत ने स्पष्ट टिप्पणी की कि शासन को पहले से दिए गए आदेशों का पालन करना ही होगा।
यदि सरकार फिर देरी करेगी, तो जिम्मेदार अधिकारी को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित होना पड़ेगा।
याचिकाकर्ता की ओर से रखा गया ये मुद्दा
“हर माह कर्मचारी रिटायर हो रहे हैं, हम भी हो जाएंगे… फिर न्याय का क्या अर्थ?”। कोर्ट ने इस चिंता को गंभीरता से लेते हुए शासन पर त्वरित कार्रवाई का दबाव बढ़ा दिया है।
अवैध नियुक्ति का ठप्पा हटा, नियमितीकरण का रास्ता साफ
हाईकोर्ट ने 09.10.2025 के अपने विस्तृत आदेश को आज दोहराते हुए कहा कि 07.04.2025 का आदेश रद्द किया है। राकेश चौरसिया की नियुक्ति को अवैध बताना गलत और अवैध है। राज्य शासन मुख्य सचिव के स्तर पर नीति और समिति बनाकर उनका नियमितीकरण सुनिश्चित करे। इस प्रक्रिया को अनावश्यक देरी से बचाते हुए जल्द पूरा किया जाए।
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फैसले से हजारों कर्मचारियों में खुशी
मध्यप्रदेश में ऐसे हजारों कर्मचारी हैं जो 10–30 वर्ष से अधिक समय से अनवरत सेवा दे रहे हैं। यह सभी नियमितिकरण न होने से असुरक्षा में जी रहे हैं। आज का फैसला उनके लिए भी मिसाल के तौर पर देखा जा रहा है।
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