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इंदौर की चोइथराम मंडी सचिव नरेश परमार को आखिरकार मिठाई के डिब्बे में रिश्वत लेने के आरोप और वीडियो भारी पड़ गया। द सूत्र द्वारा लगातार इसका मुद्दा उठाने के बाद इस मामले में एमडी ने जांच बैठा दी। अब उन्हें भोपाल मुख्यालय में ट्रांसफर कर दिया गया है।
यह जारी हुआ आदेश
मध्यप्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड भोपाल के अपर संचालक अनुराग सक्सेना ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है। इसमें कहा गया है कि नरेश परमार, मंडी सचिव, इंदौर को बोर्ड भोपाल मुख्यालय में पदस्थ किया जाता है और तत्काल प्रभाव से मुक्त किया जाता है।
कार्रवाई होना थी लेकिन ट्रांसफर से बच गए
इस पूरे मामले में बोर्ड एमडी ने जांच के आदेश दे दिए थे। लेकिन इसी दौरान परमार को जब लगा कि बड़ी कार्रवाई होगी तो वह राजनीतिक संरक्षण के लिए दौड़े और अंततः इतनी राहत मिल गई कि सस्पेंड होने से बच गए और भोपाल में ट्रांसफर हो गए।
द सूत्र ने उठाया था मुद्दा...
इस तरह परमार के खिलाफ आया था वीडियो
मंडी की एक कैंटीन को लेकर कारोबारी नंदकिशोर गुप्ता ने वीडियो बनाया था, जिसमें वह 50 हजार रुपए के नोट रख रहा था। वीडियो बनाते हुए गुप्ता ने आरोप लगाए कि यह कैंटीन संचालन के लिए हर महीने मंडी सचिव को मिठाई के डिब्बे में रिश्वत देना होती है। बाद में एक और वीडियो आया जिसमें पांच लाख रुपए मंडी सचिव के लोगों को दिए जाने के आरोप लगे। साथ ही खुलासा हुआ कि कैंटीन को लेकर कारोबारी ने 35 लाख की रिश्वत बांटी है।
शिकायत होने पर बंद करवा दी कैंटीन
मंडी सचिव को मिठाई के डिब्बे में रिश्वत देने को लेकर जैसे ही वीडियो सामने आया और फिर थाने में शिकायत हुई, तो मंडी प्रशासन ने कार्रवाई करना शुरू कर दिया। कैंटीन संचालक गुप्ता ने आरोप लगाया कि रात को ही मंडी सचिव ने कैंटीन को बंद करवाने के लिए अपने लोगों को भेज दिया।
विवेक शर्मा ने लिखा मंडी सचिव को पत्र
इस पूरे घटनाक्रम को लेकर एक और नया खुलासा हुआ है। जिसमें बताया गया कि कैंटीन के मूल संचालक विवेक शर्मा ने तो सितंबर की शुरुआत में कैंटीन बंद करने के लिए मंडी प्रशासन को पत्र लिख दिया था। इसके तहत एक और आदेश मंडी प्रशासन की तरफ से जारी किया गया था। जिसमें बताया जा रहा है कि विवेक शर्मा द्वारा कैंटीन का किराया नहीं भर पाने के कारण उसे कई बार नोटिस दिए गए। फिर भी उसने कैंटीन का किराया जमा नहीं किया। इसके चलते मंडी प्रशासन ने कैंटीन को बंद करने की कार्रवाई की है।