पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के आंदोलन के खिलाफ कांग्रेस ने ही रची साजिश, जीतू पटवारी, चिंटू चौकसे कठघरे में, पुलिस से भी गठजोड़

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के आंदोलन को लेकर कांग्रेस नेताओं द्वारा रची गई साजिश के कारण इंदौर में तनाव बढ़ गया। इस पूरे घटनाक्रम में जीतू पटवारी, चिंटू चौकसे और पुलिस की भूमिका ने इसे और जटिल बना दिया।

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Sanjay Gupta
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INDORE. इंदौर के सीतलामाता बाजार में विधायक मालिनी गौड़ के पुत्र एकलव्य गौड़ के मुस्लिमों को बाहर करने के फरमान के बाद गर्माए माहौल के बीच में पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने शनिवार को दौरा करने की घोषणा की। इस दौरान पुलिस ने उन्हें रोक दिया। वहीं भीड़ ने थाने के पास में उनकी ओर चूड़ियां फेंकी। करीब दो घंटे तक यह घटनाक्रम फ्रंट में चला, लेकिन पर्दे के पीछे दिग्विजय सिंह को वहां जाने से रोकने के लिए खुद कांग्रेसी नेताओं ने ही साजिश रच दी थी। पूरे मामले में प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी से लेकर उनके ही करीबी शहराध्यक्ष चिंटू चौकसे की भूमिका कठघरे में आ गई है। इसकी शुरुआत शुक्रवार शाम से हो गई थी। कुल मिलाकर 78 साल के दिग्विजय सिंह चौकसे की तथाकथित युवा कांग्रेस पर भारी पड़ गए।

दिग्गी की इस घोषणा से हुई शुरुआत

दिग्गी अपनी हाईकोर्ट में शनिवार को होने वाली सुनवाई के लिए खुद पैरवी करने वाले थे, इसके लिए वह शुक्रवार को इंदौर आ रहे थे। यहां वकीलों से भी मिलकर चर्चा करना था। इस दौरान उन्होंने सीतलामाता बाजार का भी कार्यक्रम और प्रेस कांफ्रेंस करने का फैसला लिया। इसके लिए शुक्रवार को उनके ऑफिस से शहर कांग्रेस में फोन गए और इसकी तैयारी के लिए कह दिया गया। इसके बाद से ही कांग्रेस में बवाल शुरू हो गया।

आननफानन में पटवारी की संभागायुक्त से मुलाकात हुई तय

इस कार्यक्रम की जानकारी लगते ही शुक्रवार को इंदौर में मौजूद प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी ने एकलव्य गौड़ मामले में उन पर केस करने की मांग के साथ संभागायुक्त से मिलने का फैसला लिया, यह फैसला शाम को अचानक लिया गया और मीडिया को मैसेज किए गए। फिर पटवारी और सज्जन सिंह वर्मा के साथ प्रतिनिधिमंडल गया और संभागायुक्त से एकलव्य गौड़ पर कार्रवाई की मांग का ज्ञापन दिया गया। यह पूरा मामला इसलिए हुआ ताकि दिग्गी के शनिवार को सीतलामाता बाजार आयोजन और एकलव्य वाले मुद्दे को ठंडा किया जा सके।

राजू भदौरिया को फटकार, तो चिंटू ने बनाई दिग्गी से दूरी

शुक्रवार रात को दिग्विजय सिंह इंदौर आए। इस दौरान उन्होंने शहराध्यक्ष चिंटू चौकसे के करीबी राजू भदौरिया को जमकर फटकार लगाई और मिलने से इंकार करते हुए भगा दिया। भदौरिया ने विधानसभा दो में कनकेशवरी गरबा में मुस्लिम का काउंटर लगने पर उसे वहां से भगाने का समर्थन किया था, इसी से दिग्गी नाराज थे। उन्होंने यह बात खुलकर शनिवार को प्रेस कांफ्रेंस में मीडिया से भी कहा कि भदौरिया का कृत्य अनुशासनहीनता है और यह कांग्रेस की विचारधारा के खिलाफ है। करीबी भदौरिया की फटकार के चलते चिंटू चौकसे ने दिग्गी के कार्यक्रम से पूरी दूरी बना ली और वह शनिवार को उनके किसी भी कार्यक्रम में नहीं पहुंचे।

इसके बाद शनिवार को नेताओं को फोन, कि नहीं जाना है

सीतलामाता बाजार जाने के कार्यक्रम को कांग्रेस कमेटी ने ओपन ही नहीं किया, जब दिग्गी खेमे में केके मिश्रा व अन्य नेताओं को यह पता चला तो फिर उन्होंने शनिवार को इसका मैसेज बनवाकर मीडिया ग्रुपों पर चलवाया। उधर इसी दौरान कांग्रेस के ही नेता इसमें लग गए कि दिग्गी के साथ कोई भी नेता नहीं जाए। पहले तो दिग्गी को ही कई नेताओं ने फोन किया और कहा कि सीतलामाता जाना ठीक नहीं है इससे एकलव्य को हाईट मिलेगी। लेकिन दिग्गी अड़े हुए थे।

खुद दिग्गी के करीबी रघु परमार ने भी उन्हें कहा कि वहां जाना ठीक नहीं होगा। इस पर दिग्गी भड़क गए और सभी नेताओं को लताड़ लगाई कि क्या यह आप लोग तय करोगे कि मुझे क्या करना है क्या नहीं, यदि सड़क पर उतर कर हिम्मत से आंदोलन करने, बात नहीं कर सकते तो फिर राजनीति क्यों कर रहे हो। मैं तो जाऊंगा कोई जाए या नहीं। ऐसा कहकर दिग्गी ने केके मिश्रा को साथ में लिया और निकल गए।

पुलिस ने जमकर किए फोन, उन्हें रोको

बात यही नहीं रूकी, पुलिस को भी पूरे मामले में तनाव की भनक लग गई। उधर दिग्गी के आने की खबर के बाद हिंदरक्षक संगठन, भगवा ब्रिगेड सक्रिय हो गई और पूरे बाजार को भगवा मय कर दिया और महिलाएं भी चूड़ियां लेकर खड़ी हो गईं कि चूड़ियां भेंट करेंगी। पुलिस में फिर डीसीपी, एडिशनल डीसीपी से लेकर एसीपी सभी ने नेताओं को फोन लगाने शुरू कर दिए कि यह दौरा रोका जाए।

पुलिस की बात सुनकर नेताओं ने फिर दिग्गी को रोकने के लिए फोन शुरु किए और यहां तक कि पुलिस के फोन का भी हवाला दिया, जिस पर दिग्गी फिर कांग्रेस नेताओं पर भड़क गए और जिद पकड़ी कि वह तो किसी भी हाल में जाएंगे, पुलिस को जो कार्रवाई करना है करें। कुल मिलाकर पुलिस की बात सुनकर नेताओं ने अपने ही पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह को रोकने के लिए एडी-चोटी का जोर लगा दिया।

दादा होगा तुम्हारा, मेरा नहीं, ऐसे भड़के दिग्गी

इसके बाद दिग्विजय सिंह के साथ केके मिश्रा व अन्य कुछ लोग साथ थे जो सीतलामाता बाजार की ओर निकल गए। इस दौरान ग्रामीण जिलाध्यक्ष विपिन वानखेड़े को भी फटकार पड़ी तो वह देर से फिर सराफा थाने पर उनके साथ आए। वहीं कोई भी अन्य नेता, पदाधिकारी, दिग्विजय सिंह के साथ नहीं था। सभी ने संगठन से आए फोन के बाद दूरी बना ली।

इधर एसीपी ने उनके कारवां को सीतलामाता बाजार जाने से रोक दिया। एसीपी ने कुछ दादा-दादा करके कहा, इस पर दिग्विजय सिंह समझे कि वह एकलव्य को दादा-दादा कह रहे हैं तो उन्होंने कहा कि दादा होगा तुम्हारा, मेरा नहीं। मैं मंदिर दर्शन करने जाऊंगा और बाजार भी। लेकिन पुलिस ने दोनों जगह जाने से रोक दिया और कहा कि आपको जो कहना वह सराफा थाने में कहिए वहां ले चलते हैं। फिर वह सराफा थाने गए और मांगपत्र सौंपा।

रविवार सुबह समन्वय समिति में विवाद

उधर इन सारे विवादों के बीच रविवार सुबह समन्वय समिति की बैठक हुई। इस दौरान चिंटू चौकसे ने नेताओं से कहा कि भोपाल से बाहर से नेता आते हैं और इसकी जानकारी हमें दी नहीं जाती है। इंदौर में किस तरह से आयोजन करना है, कहां जाना है, यहां के हालात तो हमें पता हैं, हमें तय करना होता है। बताया जाता है कि इस बात का समर्थन पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने भी किया, लेकिन इस मुद्दे को अन्य नेताओं ने कोई खास तवज्जो नहीं दी। माना जाता है कि यह पूरा मामला शनिवार को हुए दिग्विजय सिंह के आयोजन से जुड़ा हुआ है, जिसमें चिंटू चौकसे और अन्य नेता नहीं गए थे। उधर, जानकारी के अनुसार सिंह का पूरा कार्यक्रम जारी था और खुद चौकसे से ही कहा गया था कि वह प्रेस कॉन्फ्रेंस और आयोजन की तैयारी रखें।

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