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इंदौर में श्री माहेश्वरी विद्यालय ट्रस्ट द्वारा संचालित रूकमादेवी पन्नालाल लड्ढा माहेश्वरी कॉलेज (Maheshwari College) छत्रीबाग सप्ताह भर से अखाड़ा बना हुआ है। समाज के प्रतिष्ठित इस कॉलेज में कुछ लोगों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया। इसमें ट्रस्ट मैनेजमेंट के साफ आरोप हैं कि यह योजनाबद्ध तरीके से कराया गया हंगामा है, ताकि कॉलेज की बैलेंस शीट का ऑडिट नहीं हो सके। यहां पर वित्तीय अनियमितता चल रही है। पूरी सुई यहां 17 साल से प्रिंसिपल पद संभाल रहे प्रोफेसर राजीव झालानी पर घूम रही है। जब द सूत्र ने यहां के कुछ दस्तावेज निकाले और वेतन को देखा तो चौंकाने वाली बात सामने आई है।
पहले विवाद देखते हैं अभी क्या हुआ
इंदौर माहेश्वरी कॉलेज में नया ट्रस्ट मैनेजमेंट बना और इसमें पुरूषोत्त पसारी ने पद संभाला। कॉलेज में चेयरमैन रामअवतार जाजू और सचिव वीना सोनी हैं। हाल ही में करीब दर्जन भर नई फैकल्टी मैनेजमेंट ने की हैं, जिन्हें प्रिंसिपल और उनकी पुरानी फैकल्टी अंदर नहीं आने दे रही हैं। सोमवार को भी वहां कॉलेज में बाउंसर रखवा दिए गए ताकि यह नहीं आ सकें। उधर करीब डेढ़ साल से ऑडिट नहीं होने दिया जा रहा है और न प्रिंसिपल पुराने कोई रिकॉर्ड दे रहे हैं। उन्होंने इसे अपनी अभिरक्षा में रखा हुआ है। कुछ समय पहले कुछ छात्रों ने कॉलेज में हंगामा किया, तोड़फोड़ की। इसे प्रबंधन ने प्रिंसिपल झालानी का गेम प्लान बताया। साथ ही थाने में भी इस पूरे हंगामे को लेकर पसारी और जाजू दोनों ने ही पत्र लिखा। इसमें साफ लिखा गया कि इसके पीछे असामाजिक तत्व हैं।
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इसके बाद पसारी ने सदस्यों को एक मैसेज किया-
इस विवाद के बाद पसारी ने रविवार को सदस्यों को एक मैसेज किया। इसमें कहा गया कि- पिछले दिनों आर. पी. एल. माहेश्वरी कॉलेज में हुई अवांछनीय घटनाएं विद्यार्थियों द्वारा सुविधाओं की मांग नहीं हैं, अपितु महाविद्यालय प्रबंधन द्वारा की जा रही सुधारात्मक कार्यवाही और निष्पक्ष ऑडिट जांच को रोकने का प्रयास है। कुछ समय से महाविद्यालय के प्राचार्य एवं अन्य स्टाफ सदस्यों द्वारा लगातार की गई वित्तीय अनियमितताओं की सूचना प्राप्त हो रही थी, जिसे ध्यान में रखते हुए गत दस वर्षों का ऑडिट कराया जा रहा है।
अब तक केवल दो वर्ष की ऑडिट रिपोर्ट प्राप्त हुई है, जिसमें प्राचार्य द्वारा की गई अनेक गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं, जिनमें महाविद्यालय की कार को सस्ती कीमत पर अपने नाम करवा लेना, नियमानुसार आयकर नहीं चुकाना, पूर्व प्रबंधन को भ्रमित करके अनुचित लाभ उठाना, आदि, प्रमुख हैं। इन ऑडिट आपत्तियों के प्रकाश में आने पर प्राचार्य एवं कुछ स्टाफ सदस्य विचलित हैं और महाविद्यालय में अव्यवस्था फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।
अपने द्वारा की गई अनियमितताओं को छुपाने के लिए गलत तरीके से विद्यार्थियों को भड़काने और प्रबंधन के विरुद्ध आन्दोलन करवाने तथा महाविद्यालय की संपत्ति को क्षतिग्रस्त करने के कार्य किए जा रहे हैं। यह हंगामा अपितु प्रबंधन द्वारा कराई जा रही वित्तीय जांच से है। महाविद्यालय में प्रबंधन द्वारा सभी स्टाफ सदस्यों को उचित और समय पर वेतन दिया जाता है। वास्तव में जितना वेतन माहेश्वरी महाविद्यालय में दिया जाता है, उतना नगर के बड़े व्यावसायिक महाविद्यालयों में भी नहीं दिया जाता।
अब देखिए प्रिंसिपल झालानी को मिल रहे भत्तों का खेल-
यहां 17 सालों से प्रिंसिपल पद पर काबिज राजीव झालानी ने इस कॉलेज को मोटे तौर पर अपना मानकर चलाना शुरू कर दिया है और मनमानी नियुक्ति की और अपने हिसाब से खुद के वेतन भत्ते, वेतन तय कर लिए। इनका वेतन आज किसी यूनिवर्सिटी के कुलपति से भी ज्यादा है। वह हर माह 3.42 लाख वेतन पाते हैं। यानी साल का 41 लाख रुपए और इसमें आयकर की भी चोरी हो रही है। हालत यह है कि कॉलेज की कार को बेचना बताकर खुद ही खरीद ली और अपने नाम करा ली।
हर महीने टेलीफोन भत्ता ही 7500 रुपए ले रहे हैं झालानी:
मूल वेतन 66 हजार 300 रुपए प्रति माह
एजीजी 10 हजार
डीए 63 हजार 648 रुपए
साफ्ट फर्निसिंग एलाउंस- 14 हजार
यातायात भत्ता- 1600 रुपए
शिक्षा भत्ता- 780 रुपए
सवारी भत्ता- 17 हजरा 500 रुपए
चिकित्सा व्यय प्रतिपूर्ति- 1250 रुपए
निज सहायक वेतन प्रतिपूर्ति- 17 हजार 500 रुपए
चौकीदार वेतन प्रतिपूर्ति- 12 हजार रुपए
विशेष भत्ता 3000 रुपए
ड्राइवर वेतन की प्रतिपूर्ति- 15 हजार रुपए
गिफ्ट वाउचर - 500 रुपए
टेलीफोन भत्ता- 7 हजार 500 रुपए
अन्य भत्ते- 1 लाख 10 हजार 677 रुपए
(कुल वेतन 3 लाख 41 हजार 255 रुपए प्रति माह)
क्या बोल रहे हैं पसारी-
पसारी ने द सूत्र से बात करते हुए साफ तौर पर प्रिंसिपल राजीव झालानी पर आरोप लगाए और कहा कि वह वित्तीय अनियमितता कर रहे हैं। इसी के चलते दस सालों की वित्तीय जांच कराई जा रही है। इसे ही रोकने के लिए यह पूरा विरोध का प्लान किया गया है। इसके लिए हमने थाने में भी शिकायत दर्ज कराई है। कॉलेज किसी की निजी जागीर नहीं है और झालानी इसे उसी तरह चला रहे हैं, जांच होगी तो सब साफ हो जाएगा, लेकिन वह जांच ही नहीं होने देना चाहते हैं। इसलिए पूरा हंगामा किया गया है।
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