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इंदौर विधानसभा तीन के सनातनी विधायक गोलू शुक्ला (MLA Golu Shukla) की बस से हुई चार मौतों में ड्राइवर पर पुलिस की मेहरबानी का असर हो गया है। पुलिस ने जो धाराएं लगाई थीं, वह बेहद कमजोर थीं। यह द सूत्र ने पहले ही खुलासा कर दिया था, इसका सीधा असर दिखा और कोर्ट ने हाथों-हाथ ड्राइवर को जमानत दे दी। उधर, मृतक सोलंकी परिवार के परिजन और समाज बेहद गुस्से में हैं और वह रविवार सुबह लव-कुश चौराहे से घटनास्थल तक पैदल मार्च कर रहे हैं और दोपहर में करणी सेना भी चक्काजाम करने की बात कह चुकी है।
ट्रक हादसे में तीन की मौत, देखिए क्या धाराएं लगीं
इंदौर में सोमवार शाम को हुए भयावह ट्रक हादसे में तीन की मौत हुई थी और 12 घायल हुए। इसमें ड्राइवर गुलशेर खान और क्लीनर शंकर हिरासत में हैं। दोनों पर कई गंभीर धाराएं लगी हैं और एक के बाद एक केस हो रहे हैं। अब बस मालिक सोहेल खान पर भी केस दर्ज करने की बात हो रही है। इस मामले में यह प्रमुख धाराएं लगी हैं:
बीएनएस धारा 105 - यह गैर इरादतन हत्या की सख्त धारा है। इसमें दस साल अधिकतम की सजा है, यानी थाने से जमानत नहीं होगी और कोर्ट से भी इतनी आसानी से जमानत नहीं मिल पाएगी।
बीएनएस धारा 110 - यह गैर इरादतन हत्या का प्रयास है, इसमें तीन से सात साल तक की सजा है और जुर्माना, यह भी सख्त धारा है। यह हादसे में घायल हुए और एक घायल की उपचार में हुई मौत के चलते लगी है।
मोटर व्हीकल एक्ट 185 - यह लापरवाही से वाहन चलाने के लिए है। इसमें दस हजार और 15 हजार के अर्थदंड, मामूली सजा है।
अब देखिए विधायक गोलू के बस ड्राइवर पर मेहरबानी
बुधवार रात साढ़े ग्यारह बजे सांवेर थाना एरिया के रिंगनोदिया गांव में शुक्ला ब्रदर्स (बाणेशवरी ट्रेवल्स), जो विधायक गोलू के परिवार द्वारा संचालित है, उसकी बस ने इंदौर से उज्जैन की ओर तेज रफ्तार में जाते समय उज्जैन से इंदौर आ रहे मोटरसाइकिल को उड़ा दिया। इसमें महेंद्र सोलंकी, उनकी पत्नी जयश्री, दोनों बेटे तेजस और जिगर की मौत हो गई। पूरा परिवार खत्म हो गया।
हालांकि विधायक जी का मासूम सा जवाब है कि बाइक सवार खड़ी बस में पीछे से घुस गया था, हमें संवेदना है। इसमें अब पुलिस की मेहरबानी देखिए ड्राइवर शिव सोनवानिया पर। इतनी कमजोर धाराएं लगीं कि वह कुछ ही घंटों में सांवेर जिला कोर्ट से जमानत पा गया। वैसे तो उसे पुलिस को गिरफ्तार भी नहीं करना था क्योंकि जो धाराएं लगीं, उनमें थाने से ही जमानत हो जाती है, लेकिन पुलिस ने मामले के तूल पकड़ने पर अपनी लाज बचाने के लिए उसे पकड़ा और कोर्ट में पेश कर दिया, जहां से जमानत हो गई।
बीएनएस 281 - यह लापरवाही से वाहन चलने के लिए है, जिसे रैश ड्राइविंग कहते हैं। किसी की जान-माल का नुकसान हो तो भी हो, अधिकतम 6 माह की सजा।
बीएनएस 125 ए - इसमें ऐसा काम जिससे दूसरों का जीवन संकट में आ जाए। कोई नुकसान नहीं तो 6 माह की सजा, जान जाए तो अधिकतम तीन साल की सजा और जुर्माना।
बीएनएस 106 (1) - इसमें लापरवाही से ऐसा काम करना जिससे किसी की मौत हो तो अधिकतम पांच साल की सजा।
इधर पुलिस यह बोल रही है
इस पूरे मामले (इंदौर ट्रक हादसा) में ग्रामणी एसपी यांगचेन डोलकर भूटिया का कहना है कि जो रैश ड्राइविंग की धाराएं होती हैं, वह हमने लगाई हैं। जब उनसे पूछा गया कि ट्रक हादसे में अलग गंभीर धाराएं थीं, इसमें नहीं हैं, तो उन्होंने कहा कि वह मामला अलग है, इसमें शराब पीकर भीड़ में ट्रक चलाया गया, लेकिन यह हत्या करने के उद्देश्य से बस चलाना नहीं है। हालांकि पुलिस के पास इसका जवाब नहीं है कि चार मौतों के बाद भी वह गंभीर धाराएं लगाकर ड्राइवर को एक दिन भी जेल क्यों नहीं भेज सकी और इसमें भी बस कंपनी, मालिक पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है।
उधर करणी सेना का अल्टीमेटम, आज चक्काजाम
इस मामले में इंदौर करणी सेना के यादवेंद्र सिंह गौर (यादू) ने कहा है कि रविवार दोपहर को मां करणी सेना के सभी पदाधिकारियों और पीड़ित परिवार के सदस्यों के साथ घटना स्थल पर पहुंचकर धरना दिया जाएगा और जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं हो जाती, तब तक वहां से नहीं हटूंगा।
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मांगें इस प्रकार हैं-
कंस्ट्रक्शन कंपनी के ठेकेदार को इस मामले में अपराधी बनाया जाए।
पीड़ित परिवार को जीवन यापन हेतु उचित मुआवजा दिया जाए।
इंदौर-उज्जैन की बनती रोड पर उचित रेडियम मार्किंग, एरो लगाना, अस्थाई डिवाइडर बनाना, और लाइट के साथ-साथ वैकल्पिक मार्गों की व्यवस्था करना।
बस ड्राइवर के साथ-साथ गाड़ी मालिक और ऑपरेटर संस्था बाणेशवरी ट्रैवल्स/शुक्ला ब्रदर्स की भी जवाबदारी तय की जाए।
जब तक इन चीजों का लिखित में हमारे पास कोई फैसला नहीं आ जाता, तब तक हम मैदान नहीं छोड़ेंगे और पीड़ित परिवार के साथ खड़े रहेंगे।