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Photograph: (the sootr)
BHOPAL. मध्य प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण और हितग्राहियों पर केंद्रित योजना `एक बगिया मां के नाम` जिम्मेदारों की बेरुखी की भेंट चढ़ती दिख रही है। आजादी की वर्षगांठ यानी 15 अगस्त को सीएम डॉ.मोहन यादव ने इस योजना की घोषणा की थी।
मां के नाम की इन बगियों में पौधरोपण की डेडलाइन 15 सितम्बर थी। आधे से ज्यादा जिलों में ये बगिया फाइलों से बाहर ही नहीं आ सकी हैं। कहीं स्वसहायता समूह चिन्हित बगीचों में पौधरोपण के लिए सरकारी अनुदान का इंतजार कर रहे हैं तो कहीं राशि आने के बाद भी पौधे नहीं रोपे जा सके हैं या पौधरोपण की शुरूआत हो रही है।
सरकार की महत्वाकांक्षी योजना भी भ्रष्टाचार और गड़बड़झाले के दीमक की चपेट में आ गई है। सीएम डॉ.मोहन यादव सहित ज्यादातर मंत्रियों के जिलों में योजना की रैंकिंग उसकी स्थिति उजागर कर रही है। इन जिलों में योजना पर 50 फीसदी भी काम नहीं हुआ है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह के संसदीय क्षेत्र के जिले विदिशा में भी योजना की हालत खराब है।
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घोषणा के बाद से योजना भगवान भरोसे
मध्य प्रदेश में घोषणा के बाद से ही योजना एक बगिया मां के नाम भगवान भरोसे है। योजना के संचालन की जिम्मेदारी पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के पास है। विभाग की रोजगार गारंटी परिषद इसका क्रियान्वयन एवं निगरानी संभाल रहा है।
पोर्टल पर हर माह जिलों की रैंकिंग जारी की जाती है। यहीं रैंकिंग प्रदेश में इस अहम योजना की पिछड़ी स्थिति उजागर कर रही है। नवम्बर माह की रैंकिंग में खंडवा जिला प्रदेश में सबसे अव्वल रहा है। जबकि सिंगरौली दूसरे, रायसेन तीसरे, बड़वानी चौथे, सागर पांचवे स्थान पर हैं। रैंकिंग की इसी फेहरिस्त में भिंड, सतना, निवाड़ी, हरदा और मुरैना का प्रदर्शन सबसे कमजोर रहा है। ये पांचों जिलों में योजना की स्थिति सबसे खराब है।
सीएम और मंत्रियों के जिले पिछड़े
एक बगिया मां के नाम योजना का उद्देश्य पर्यावरण के संरक्षण के साथ ही हितग्राहियों की आर्थिक मदद करना है। इस मामले में भी येाजना उद्देश्य से भटकती नजर आ रही है। मनरेगा डैशबोर्ड की रैंकिंग में सीएम डॉ.मोहन यादव का गृह जिला उज्जैन 34 वे नंबर पर है। मंत्री प्रहलाद पटेल का पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग योजना की जिम्मेदारी संभाल रहा है फिर भी इसकी रैंकिंग 39 है।
प्रदेश में सबसे ज्यादा पौधरोपण करने का रिकॉर्ड बनवा चुके नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का इंदौर भी रैंकिंग में 35 वे नंबर पर है। उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा का गृह जिला मंदसौर भी 33वी रैंकिंग के साथ काफी पीछे है। स्कूल शिक्षा एवं परिवहन मंत्री राव उदयप्रताप के गृह जिले नरसिंहपुर ने येाजना में 39 वी रैंक पाई है।
वन राज्यमंत्री दिलीप अहिरवार अपने जिले में भी योजना पर काम नहीं करा पाए। उनका गृह जिला टीकमगढ़ रैंकिंग में 43वे पायदान पर रहा है। यानी सरकार ने जिस जोश के साथ योजना को शुरू किया था अब उसके मंत्री ही मां की बगिया को लेकर गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं।
डेडलाइन से 3 माह पीछे योजना
द सूत्र ने सरकार की इस योजना को लेकर रायसेन, विदिशा, नरसिंहपुर, मुरैना, खरगोन, नर्मदापुरम, श्योपुर, राजगढ़, सागर सहित 10 जिलों में सरकारी अनुदान पर बगिया तैयार करने की जानकारी जुटाई है। इस दौरान ज्यादातर जिलों की पंचायतों में सरपंच, सचिव और रोजगार सहायकों को बगिया लगाए जाने की जानकारी ही नहीं है।
2 लाख से अधिक के सरकारी अनुदान पर तैयार हो रहे बगीचों में 15 सितम्बर तक फलदार पौधे लगाए जाने थे। हांलाकि अब तक ज्यादातर पंचायतों में ऐसा नहीं हो पाया है।
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के विदिशा जिलों की पंचायतों में तो मां की बगिया के नाम पर सरकारी अनुदान में बट्टा लगाने की तैयारी हो गई है। जनपद में रोजगार गारंटी योजना के अधिकारी से लेकर पंचायत में रोजगार सहायक तक बहलाने वाली जानकारी देते नजर आ रहे हैं।
ऐसी है सरकार की योजना
‘एक बगिया मां के नाम’ योजना के तहत महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण संरक्षण और रोजगार उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया है। इन बगियों में फलदार पौधे लगाए जाने थे जिनसे महिला स्वसहायता समूह को आमदनी हो और इनमें काम करके ग्रामीण रोजगार पा सकें।
इन बगियों के लिए सरकार की ओर से तीन चरणों में अनुदान दिया जा रहा है। सरकार ने प्रदेश में रोजगार गारंटी स्कीम के तहत 30 हजार से ज्यादा स्व सहायता समूहों को 30 लाख से अधिक फलदार पौधे लगाने की जिम्मेदारी दी है। यह सब काम 15 सितम्बर तक करने का लक्ष्य था लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। किसी जगह अनुदान मिलने में देरी हुई तो कहीं अनुदान मिलने के बावजूद जिम्मेदार बगिया लगाने के लिए जगह चिन्हित कर स्वीकृति नहीं दे पाए।
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सचिव- रोजगार सहायकों को नहीं जानकारी
द सूत्र ने पड़ताल के दौरान विदिशा जिले की ग्राम पंचायत कुल्हार के सचिव राधेश्याम शर्मा से मोबाइल फोन पर बात की। पंचायत में मां के नाम की बगिया योजना को लेकर वे सटीक जानकारी नहीं दे पा रहे थे। पहले उन्होंने बगिया लगने के बारे में इंकार किया। कुछ देर बाद कॉल करके बताया कि स्वसहायता समूह ने हाल ही में बगिया लगाने का काम शुरू किया है।
एक अन्य पंचायत बड़वासा के सचिव तो योजना के संबंध में सवाल सुनकर ही चौंक गए और कॉल कट कर दिया। इसी तरह दूसरे जिलों में भी या तो पंचायत सचिव और रोजगार सहायक मां के नाम की बगिया के बारे में सही जानकारी नहीं दे पाए या हड़बड़ाकर कॉल कट करते रहे।
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