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मध्यप्रदेश के 18 हजार गांवों में 1.11 करोड़ घरों में पानी की सप्लाई की योजना अब दो विभागों के बीच फंसी हुई है। ये विभाग हैं लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई) और पंचायत एवं ग्रामीण विकास। पीएचई का कहना है कि उसने 11 हजार गांवों की पानी की योजनाएं पंचायतों को सौंप दी हैं और अब पंचायतों को इसे चलाना होगा। केवल मेंटेनेंस देखने वाली एजेंसी को हम भुगतान कर देंगे। वहीं, पंचायत विभाग का कहना है कि लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग को तीन साल तक योजना को चलाना चाहिए, तब तक मासिक शुल्क की वसूली पंचायतें कर लेंगी।
सीएम मोहन के साथ हुई बैठक
हाल ही में मुख्यमंत्री मोहन यादव और मुख्य सचिव अनुराग जैन की बैठक हुई, लेकिन दोनों विभागों के अधिकारी इस मामले पर सहमत नहीं हो पाए। अंत में मुख्यमंत्री ने कहा कि दोनों विभाग किसी एक तरीके पर सहमत हो जाएं। उसे ही लागू कर देंगे। हालांकि, पीएचई विभाग ने बैठक के मिनट्स जारी किए, तो पंचायत विभाग ने योजना की नीति पर सवाल उठाए। अब तक गांवों के 1.11 करोड़ घरों में पानी की सप्लाई तैयार हो चुकी है और 79 लाख घरों में नल कनेक्शन भी लग चुका है। अगर टकराव बढ़ता है तो पानी सप्लाई संकट इन घरों पर पहले देखने को मिलेगा।
पंचायत विभाग का यह है सवाल
पंचायत विभाग ने योजना की नीति पर कई सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि वॉल्व ऑपरेटर/पंप ऑपरेटर का चयन ग्राम पंचायतों द्वारा किया जाएगा, लेकिन इनका भुगतान पीएचई विभाग करेगा। ऐसे में पंचायतों का इन पर कैसे नियंत्रण रहेगा? इसके अलावा पीएचई की ओर से चयनित एजेंसी का अनुबंध किस विभाग के साथ होगा, यह भी स्पष्ट नहीं है।
11 हजार गांवों में जल संकट वाली खबर पर एक नजर
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पंचायत विभाग ने यह भी किया सवाल
पंचायत विभाग ने यह भी सवाल उठाया कि पंप ऑपरेटर को छोटे-मोटे मरम्मत काम दिए जाने हैं, लेकिन इन कामों को अभी तक तय नहीं किया गया है। इसके अलावा अतिरिक्त कर्मचारियों की नियुक्ति का अधिकार किसके पास होगा, यह भी साफ नहीं है। अगर बड़े काम पीएचई अलग से करेगा, तो एजेंसी का क्या काम रहेगा? पंचायत विभाग का यह भी कहना है कि स्कीम संचालन वाली एजेंसी पंचायतों से संतुष्टि पत्र लेकर बिल देगी, लेकिन भुगतान कौन करेगा, इस पर कोई स्पष्टता नहीं है। आखिरकार, जब संचालन एजेंसी के पास काम है, तो वसूली का काम पंचायतों को क्यों सौंपा गया है?
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मऊगंज सरपंच और सचिव का आरोप
हाल ही में एक बैठक में मऊगंज की एक ग्राम पंचायत के सरपंच और सचिव ने आरोप लगाया कि पीएचई विभाग ने नलजल योजना का हैंडओवर नहीं किया है। उनका कहना था कि स्कीम ट्रांसफर के लिए जो हस्ताक्षर दिखाए गए हैं, वे फर्जी हैं।
इसके बाद पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की अपर मुख्य सचिव दीपाली रस्तोगी ने इस मामले में 11 हजार स्कीमों को फिर से चलाने और परीक्षण के बाद सही तरीके से हैंडओवर करने की बात की। वहीं, पीएचई के प्रमुख सचिव पी. नरहरि ने मीटिंग में जानकारी दी कि 18,000 गांवों में पेयजल योजना पूरी हो चुकी है और 11 हजार स्कीमों का हैंडओवर भी किया जा चुका है।
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पानी का मासिक शुल्क इस आधार पर
हाल ही में हुई एक बैठक में यह तय किया गया कि ग्रामीण नल जल योजना की नीति तुरंत लागू की जाएगी, और यह तीन वर्षों तक चलेगी। एकल नल जल योजना का संचालन और प्रबंधन ग्राम पंचायत या जल एवं स्वच्छता समिति द्वारा किया जाएगा, जबकि इसके रखरखाव का काम पीएचई द्वारा नियुक्त एजेंसी करेगी। बैठक में यह भी तय किया गया कि पानी का मासिक शुल्क 100 रुपये होगा। इसके अलावा, सामान्य वर्ग को कनेक्शन के लिए 1000 रुपये का शुल्क देना होगा।