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Bhopal. मध्यप्रदेश के दवा दुकानदार अब बिना पंजीकृत फार्मासिस्ट के दवा नहीं बेच सकेंगे। यदि किसी दुकानदार को बिना पंजीकृत फार्मासिस्ट के दवा बेचते हुए पाया गया, तो उसके खिलाफ फार्मेसी अधिनियम 1948 की धारा 42 और जन विश्वास (संशोधन) अधिनियम 2023 के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस कानून के अनुसार, दोषी दुकानदार को तीन महीने तक की सजा, दो लाख रुपए तक का जुर्माना या फिर दोनों सजा एक साथ दी जा सकती है। पहले इस तरह के मामलों में सिर्फ एक हजार रुपए का जुर्माना और छह महीने तक की सजा का प्रावधान था। इससे दुकानदार इससे बचने में सफल हो जाते थे और दवा बेचने के लिए फार्मासिस्ट की नियुक्ति नहीं करते थे। इस वजह से कई दवा दुकानों पर फार्मासिस्ट की कमी की शिकायतें भी आई थीं।
स्टेट फार्मेसी काउंसिल ने दिए ये निर्देश
स्टेट फार्मेसी काउंसिल ने बुधवार, 8 अक्टूबर को एक अहम निर्देश जारी किया है। इसमें सभी मेडिकल स्टोर, अस्पताल और फार्मेसी को चेतावनी दी गई है। काउंसिल ने साफ तौर पर कहा है कि अब से बिना पंजीकरण के किसी भी व्यक्ति को दवा बेचना मना है, क्योंकि ऐसा करना मरीजों की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन सकता है।
रजिस्ट्रार भव्या त्रिपाठी ने इस मामले में चेतावनी दी और कहा कि यदि किसी दुकान पर बिना पंजीकृत व्यक्ति द्वारा दवा बेची जाती है, तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। उन्होंने सीएमएचओ (मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी) को निर्देश दिए हैं कि वह ऐसे दुकानों की जांच करें और यह सुनिश्चित करें कि सभी दवाइयां सही तरीके से बेची जा रही हैं। इसके अलावा फूड एंड ड्रग विभाग भी इस तरह की दुकानों पर सख्त कार्रवाई करेगा।
फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन करेगी सख्त कार्रवाई
स्टेट फार्मेसी काउंसिल मध्य प्रदेश के अध्यक्ष संजय जैन ने बताया कि स्टेट फार्मेसी काउंसिल ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर कोई पंजीकृत फार्मासिस्ट बार-बार नियमों का उल्लंघन करता पाया जाता है, तो उसका पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन) निरस्त किया जा सकता है। इसके अलावा अगर किसी संस्थान या स्टोर पर लगातार शिकायतें मिलती हैं या वह नियमों का उल्लंघन करता है, तो उस पर फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) द्वारा भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।
बिना पंजीकृत फार्मासिस्ट के दवा बेचना मना वाली खबर पर एक नजर
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प्रदेश भर में ड्रग इंस्पेक्टरों ने छापेमारी की
फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने अब प्रतिबंधित और काम्बिनेशन कफ सिरप के खिलाफ बड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। बुधवार को प्रदेश भर में ड्रग इंस्पेक्टरों ने छापेमारी की और 22 सिरप के सैंपल को जांच के लिए लैब भेज दिया। इन सिरप्स में कुछ प्रमुख नाम शामिल हैं, जैसे मैक्सट्रा (ज़ुवेंटस), नोकॉल्ड डीएस (सिप्ला), डोलोकॉल्ड डीएस, सायनावेल, और विकोरिल (एलेम्बिक)।
यह सभी सिरप फिनाइलएफ्रिन और क्लोरफेनिरामिन से बने हुए हैं, जिन्हें चार साल से कम उम्र के बच्चों को देना बहुत खतरनाक हो सकता है। इन सिरपों का बच्चों पर बुरा असर हो सकता है, जिससे उनकी सेहत पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। इससे पहले, एफडीए की टीम ने छिंदवाड़ा और भोपाल में प्रतिबंधित सिरप 'रेस्पिफ्रेश डी' और 'एएनएफ' की बोतलें जब्त की थीं। इन सिरपों पर पहले ही पाबंदी लगाई जा चुकी है, क्योंकि ये बच्चों के लिए खतरे का कारण बन सकते हैं।
इसके अलावा, दवा कंपनियों ने अब ऐसे संदिग्ध बैचों का स्टॉक बाजार से वापस बुलाना शुरू कर दिया है, ताकि इन सिरपों की बिक्री रोकी जा सके और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। ड्रग कंट्रोलर दिनेश श्रीवास्तव ने बताया कि भोपाल में 50 से ज्यादा मेडिकल स्टोर्स पर जांच की गई है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन प्रतिबंधित सिरपों की बिक्री न हो रही हो।
सिरपों के स्टॉक रजिस्टर की भी जांच जारी
संदिग्ध सिरप के सैंपल अब जांच के लिए लैब भेजे गए हैं और इन सिरपों के स्टॉक रजिस्टर की भी जांच की जा रही है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि चार साल से कम उम्र के बच्चों को किसी भी प्रकार का काम्बिनेशन कफ सिरप नहीं देना चाहिए। इन सिरपों में जो घटक होते हैं, वे बच्चों में नींद, दौरे, सांस रुकने या अन्य खतरनाक प्रतिक्रियाएं पैदा कर सकते हैं। डॉक्टरों का यह भी कहना है कि छोटे बच्चों को सर्दी, जुकाम या खांसी होने पर सिरप का उपयोग नहीं करना चाहिए। बच्चों की सुरक्षा के लिए यह बेहद जरूरी है कि माता-पिता इस सलाह को ध्यान में रखें।