मध्य प्रदेश में सोमवार से प्रदेश भर के तहसीलदार सामूहिक अवकाश पर चले गए हैं। यह पहला मामला नहीं है, जब राजस्व कर्मचारियों ने सामूहिक अवकाश लिया है। पिछले 4 महीनों में यह तीसरी बार है, जब अवकाश की वजह से सरकारी कामकाज ठप हो गया है। पिछले मामलों में भी करीब 7 दिनों तक जनता के जरूरी कामों में रुकावट आई थी।
सामूहिक अवकाश का असर
इस बार, मंत्री के बयान पर आपत्ति होने के बाद पटवारी भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई के विरोध में यह सामूहिक अवकाश लिया गया। इसका सीधा असर भोपाल राजस्व महाभियान पर पड़ा। पहले यह अभियान 32वें नंबर पर था, लेकिन अवकाश के कारण इसकी रैंकिंग गिरकर 42वें नंबर तक पहुंच गई। जनवरी में हड़ताल से पहले राजस्व अभियान 3.0 में भोपाल 34वें नंबर पर आया था।
बार-बार हड़ताल की बढ़ती संख्या
राज्य में पिछले एक साल में सामूहिक अवकाश और हड़ताल की घटनाएं बढ़ रही हैं। खासकर पटवारी और तहसीलदारों ने साल भर में पांच से ज्यादा बार सामूहिक अवकाश लिया है। इनमें से कुछ प्रमुख घटनाएं जैसे एक साल पहले भोपाल के अटल पथ पर प्रदर्शन और कोटवार से लेकर तहसीलदार तक की भागीदारी शामिल हैं।
क्या है सामूहिक अवकाश के नियम?
सामूहिक अवकाश का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। अवकाश नियम 1977 में इस तरह की छुट्टियों को मंजूरी देने का कोई प्रावधान नहीं है। सामान्य प्रशासन विभाग के मुताबिक, इस प्रकार की छुट्टी स्वीकृत नहीं की जा सकती, जब तक सर्कुलर जारी न हो।
सरकार उठा सकती है सख्त कदम
अगर सरकार इस पर सख्ती दिखाती है, तो अधिकारियों के वेतन में कटौती से लेकर निलंबन तक की कार्रवाई हो सकती है। रिटायर्ड आईएएस अधिकारी एसके माथुर के मुताबिक, विभागाध्यक्ष के पास यह अधिकार है कि वह सामूहिक अवकाश की अवधि का वेतन काट सकते हैं और कार्य में रुकावट डालने पर दंडात्मक कार्रवाई कर सकते हैं, जैसे वेतन वृद्धि रोकना या निलंबन करना।
एस्मा और दूसरी कानूनी कार्रवाई
आवश्यक सेवा अधिनियम (एस्मा) लागू करके सरकार काम पर लौटने की अपील कर सकती है। इसके अलावा, अनुशासनात्मक कार्रवाई के तहत कर्मचारियों की वार्षिक वेतन वृद्धि रोकी जा सकती है या अनिवार्य सेवानिवृत्ति भी दी जा सकती है।
पिछली घटनाएं और कार्रवाई
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तीन साल पहले अध्यापकों की सामूहिक छुट्टियों के दौरान उनके वेतन में कटौती की गई और तीन को सस्पेंड किया गया।
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4 साल पहले 30 से ज्यादा शिक्षकों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति की गई।
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10 साल पहले लिपिक वर्ग के कर्मचारियों की वेतन वृद्धि रोकी गई।
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