उज्जैन पीटीएस में सफाई के नाम पर बड़ा घोटाला, डमी कर्मचारियों के जरिए लाखों गपत, तत्कालीन SP अंजना तिवारी पर उठे सवाल

उज्जैन पुलिस प्रशिक्षण केंद्र में सफाई के नाम पर डमी कर्मचारियों के जरिए लाखों की ठगी की गई है। अफसरों ने फर्जी कर्मचारियों का टीम खड़ा कर पूरा खेल किया है।

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Dablu Kumar
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उज्जैन पुलिस प्रशिक्षण केंद्र (पीटीएस) में सफाई के नाम पर घोटाला हुआ। एक समाचार पत्र में छपी खबर के मुताबिक, यहां सफाई के लिए  25 कर्मचारियों की जरूरत थी। लेकिन अफसरों ने सिर्फ 7 को रखा और बाकी 18 कर्मचारियों के नाम पर रिश्तेदारों को शामिल कर लिया। दावा है कि उनके खातों में पैसे डाले गए, जो अफसरों ने निकलवाकर रख लिए। घोटाले की रकम 8 लाख से ज्यादा है। 

जानकारी के अनुसार, उज्जैन पीटीएस की तत्कालीन एसपी अंजना तिवारी के आदेश पर इन कर्मचारियों की नियुक्ति की गई थी। अब पूरे मामले में द सूत्र ने तिवारी से बात की है।

कैसे चल रहा था लूट का खेल

एसपी (सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस) के आदेश पर इन कर्मचारियों की नियुक्ति की गई थी और डीएसपी (डिप्टी सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस) के ऑफिस में यह मामला नोटशीट के जरिए आगे बढ़ा।

सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि आरआई (रजिस्ट्रार ऑफ इंस्पेक्टर) ने यह भी बता दिया कि इन फर्जी कर्मचारियों ने कितने दिन काम किया और कितने दिन छुट्टी पर रहे। यानी उनकी उपस्थिति की पूरी जानकारी भी दी गई।

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कैसे हुआ मामले का खुलासा

हालांकि, अफसरों ने एक छोटी सी गलती कर दी, जिसकी वजह से यह घोटाला उजागर हो गया। सभी दस्तावेज पुख्ता तैयार किए। लेकिन उपस्थिति रजिस्टर में डमी कर्मचारियों का नाम लिखना भूल गए।

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सूत्र से ये बोलीं तत्कालीन एसपी पीटीएस अंजना तिवारी

वहीं, पूरे मामले को लेकर द सूत्र से बातचीत में तत्कालीन एसपी पीटीएस उज्जैन अंजना तिवारी ने कहा कि वह अभी स्टेट लेवल के प्रोग्राम में व्यस्त हैं। बाद में कॉल कर इस मामले में द सूत्र को जानकारी देंगी। बता दें कि, अधिकारी अंजना इन दिनों जबलपुर में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के रूप में पदस्थ हैं।

इस मामले पर भोपाल एडीजी ट्रेनिंग राजा बाबू सिंह ने मीडिया को कहा कि आप जो गड़बड़ी बता रहे हैं, यह मेरे लिए शॉकिंग है। मैं पूरे प्रकरण की जानकारी लेता हूं। फिर आगे की कार्रवाई की जाएगी। 

इधर, तत्कालीन डीएसपी आनंद घुंघरवाल ने बताया सागर में पदस्थ हूं। नोटशीट पर आपके हस्ताक्षर हैं। उसी में गड़बड़ी हुई है तो बोले- विधिसम्मत फाईल बढ़ाई है।

इस मामले में जांच के दौरान यह सामने आया कि 2023 से एक धोखाधड़ी का खेल चल रहा था। इसमें सफाई के नाम पर कुछ फर्जी (डमी) कर्मचारी रखे जाते थे और उनके खातों में पैसे डलवाए जाते थे। फिर उन पैसों को नकद (कैश) के रूप में निकाल लिया जाता था। अफसरों ने इस घोटाले को बहुत चतुराई से अंजाम दिया था।

हां अकाउंट में पैसे आए थे- कर्मचारियों 

जब कर्मचारियों से बात की गई, तो उन्होंने भी माना कि जब अफसरों ने दस्तावेज मांगे थे। इसके बाद उनके अकाउंट में पैसे आए थे। अब अफसर रिकार्ड में बदलाव करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि यह मामला छुप सके।

इस धोखाधड़ी को सही ठहराने के लिए अफसरों ने मप्र शासन के वित्तीय विभाग से एक परिपत्र (आदेश) लिया था, जिसमें कहा गया था कि एक व्यक्ति 8400 वर्गफीट की सफाई कर सकता है।

पीटीएस का कुल क्षेत्रफल 48 हेक्टेयर था और मानदेय 9,156 रुपए तय किया गया था। चूंकि पेमेंट सरकारी था, तो पैसे सीधे कर्मचारियों के खातों में भेजे जा रहे थे। अफसरों ने यह बताया कि 25 कर्मचारियों ने काम किया। लेकिन असल में केवल 6 कर्मचारियों ने काम किया, बाकी 18 कर्मचारी काम पर ही नहीं पहुंचे। फिर भी उन 18 कर्मचारियों के नाम पर पैसे निकाल लिए गए।

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7 कर्मचारी के नाम आए सामने

यह खेल तीन से चार साल से चल रहा है। इसमें जो कर्मचारी नियमित रूप से काम कर रहे हैं, उनके रिश्तेदारों से दस्तावेज जैसे आधार कार्ड, बैंक पासबुक और अन्य जरूरी दस्तावेज मंगवाए गए थे। जैसे ही पैसे उनके अकाउंट में आए, अफसरों ने वह राशि कैश के रूप में निकलवाकर अपने पास रख ली। पूरे मामले में 7 कर्मचारियों की सूची सामने आई है। जिनमें जितेंद्र हाड़ा, दीपा हाड़ा, फरजाना बी, आरती कुशवाह, अमृतलाल कुशवाहा, और सगुन बाई का नाम शामिल है। इन कर्मचारियों के जरिए यह घोटाला किया जा रहा था। अब उज्जैन पुलिस प्रशिक्षण केंद्र घोटाला पर चर्चा तेज हो गई है। 

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