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टोल के नाम पर खुली लूट जारी है, कंपनियां जमकर कमा रही हैं। बीओटी पैटर्न पर इंदौर से भोपाल के सबसे ज्यादा चलने वाले मार्ग में देवास-से भोपाल (इंदौर से देवास नेशनल हाईवे रोड है) की ओर एमपीआरडीसी द्वारा साल 2010 में केवल 426 करोड़ रुपए में बनवाई गई थी। बदले में कंपनी को टोल वसूली की छूट दी गई। अब इसे छूट कहें या लूट, कंपनी जून 2025 तक यहां पर 2343 करोड़ रुपए वसूल चुकी है। लागत का 550 फीसदी ज्यादा।
यह वसूली अभी नहीं थमेगी, 2033 तक होगी
साल 2010 में जब यह रोड बनी थी, तब लागत 426 करोड़ रुपए थी और तीन जगह इस रूट पर टोल लिया जाता है।
साल 2010-11 में इस रोड पर हर साल 26.83 लाख वाहन गुजरते थे और टोल था 55 करोड़ रुपए।
साल 2021-22 में इस रोड पर वाहन हो गए हर साल करीब 36 लाख और टोल कलेक्शन हो गया 151 करोड़ हर साल।
अब साल 2024-25 के दौरान यहां गुजरने वाले वाहन हो गए 52 लाख और टोल कलेक्शन हो चुका है 253 करोड़ रुपए हर साल।
(यह जानकारी विधानसभा में पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह ने विधायक प्रताप ग्रेवाल व पंकज उपाध्याय के सवाल के जवाब में दी। इसी मामले में अधिक वसूली को लेकर पूर्व विधायक पारस सकलेचा की याचिका भी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।)
देवास-भोपाल टोल रोड वसूली मामले पर एक नजर...
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इसी रफ्तार से 2000 करोड़ और वसूलेगी कंपनी
इस रोड पर टोल वसूली का अधिकार कंपनी को 21 मई 2033 तक है। यानी अभी कंपनी करीब आठ साल और टोल लेगी। इस दौरान यदि 250 करोड़ अभी के ही कलेक्शन को ले लें, तो कंपनी आठ साल में दो हजार करोड़ और वसूलेगी। यानि साल 2010 में रोड बनने के बाद 2033 तक कुल 23 साल में कंपनी इस रोड पर 4300 करोड़ से अधिक वसूल चुकी होगी। जबकि लागत थी केवल 426 करोड़ रुपए। यानी लागत का दस गुना।
दो अन्य टोल रोड के भी यही हाल, लूट जारी
देवास-भोपाल के साथ ही लेबड़-जावरा और जावरा-नयागांव रोड पर भी टोल वसूली को लेकर विधानसभा में जानकारी दी गई है। इसके अनुसार इन तीनों रोड की लागत 1360 करोड़ रुपए थी और अभी तक कंपनियां इस पर 6522 करोड़ रुपए वसूल चुकी हैं। देवास-भोपाल पर टोल वसूली मई 2033 तक तो लेबड़-जावरा पर अप्रैल 2038 तक और जावरा-नयागांव पर अक्टूबर 2033 तक टोल वसूला जाएगा। लेबड़-जावरा मार्ग पर 370% तथा जावरा-नयागांव रोड पर लागत से 575% अधिक टोल अभी ही वसूला जा चुका है।
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कंपनी को घाटा होगा, यह सोच ग्रांट भी दे दी
हद तो यह है कि देवास-भोपाल टोल रोड पर निवेशक कंपनी को मार्ग पर होने वाली हानि की संभावना को देखते हुए 81 करोड़ का अनुदान (ग्रांट) दिया गया तथा उससे कोई प्रीमियम नहीं लिया जाता है।
इन दो रूट पर यह हाल
देवास-भोपाल के अलावा अन्य रूट की बात करें तो जावरा-नयागांव टोल रोड पर वर्ष 2021-22 में कलेक्शन 172 करोड़ से बढ़कर वर्ष 2024-25 में 252 करोड़ हो गया तथा जावरा-लेबड़ का कलेक्शन वर्ष 2021-22 में 147 करोड़ से बढ़कर वर्ष 2024-25 में 234 करोड़ हो गया।
पूर्व विधायक सकलेचा ने बताया
इस संबंध में पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने बताया कि हमने वर्ष 2022 में याचिका हाई कोर्ट में दायर की, जिसे खारिज कर दिया गया था। शासन जिसे जनता के हित का संरक्षण करना चाहिए, वह निवेशक के हाथ की कठपुतली बनकर न्यायालय में हमारी याचिका का विरोध कर रहा है। सकलेचा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की है, जो विचाराधीन है।
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