महाकाल मंदिर का जो नियम बीजेपी विधायक गोलू शुक्ला के बेटे ने तोड़ा, वही नियम तोड़ चुके अधिकारी के हाथों में सौंपी जांच

इंदौर के भाजपा विधायक गोलू शुक्ला के बेटे रुद्राक्ष शुक्ला पर महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में जबरन प्रवेश का आरोप है। इस घटना के बाद मंदिर प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी।

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Sourabh Bhatnagar
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श्रावण माह के दूसरे सोमवार को महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में इंदौर के भाजपा विधायक गोलू शुक्ला के बेटे रुद्राक्ष शुक्ला के जबरन प्रवेश का मामला सामने आया था। इस घटना के बाद मंदिर प्रशासन ने जांच शुरू की।

सोशल मीडिया पर मामले की चर्चा के बाद मंदिर समिति ने तीन सदस्यीय जांच दल गठित किया है। यह दल मामले की पूरी जांच करेगा और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करेगा। बता दें कि इस दौरान विधायक गोलू शुक्ला भी अपने समर्थकों के साथ मंदिर में मौजूद थे। उन्होंने करीब 5 मिनट तक पूजा की। बताया जा रहा है कि अनुमति सिर्फ गोलू शुक्ला को दी गई थी।

इन सबमें सबसे हैरानी वाली बात यह है कि जांच दल में एक ऐसे अधिकारी को शामिल किया गया है, जो पहले गर्भगृह में प्रवेश कर नियमों का उल्लंघन कर चुके हैं।

7 दिन में दल सौंपेगा रिपोर्ट

मंदिर के सहायक प्रशासक सत्यनारायण सोनी ने बताया कि मामले का संज्ञान लिया गया है। विधायक गोलू शुक्ला अपने समर्थकों के साथ जल चढ़ाने के लिए मंदिर पहुंचे थे। इस दौरान उनके बेटे रुद्राक्ष बिना अनुमति गर्भगृह में प्रवेश कर गए। खबरों के अनुसार, रुद्राक्ष ने कुछ कर्मचारियों के साथ अभद्रता भी की थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए, मंदिर प्रशासन ने तीन सदस्यीय जांच दल गठित किया है। यह दल सात दिनों में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।

जांच दल का निष्पक्षता पर सवाल

मामला तूल पकड़ते हुए मंदिर प्रशासन ने एक दिन बाद इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय एक समिति का गठन किया। इस समिति में डिप्टी कलेक्टर और महाकाल मंदिर के उप प्रशासक एसएन सोनी, सुरक्षा अधिकारी जयंत राठौर और नायब तहसीलदार हिमांशु कारपेंटर शामिल हैं।

जांच समिति में शामिल एक सदस्य जयंत राठौर, जो खुद सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी हैं, उनपर भी सवाल उठाए गए हैं। जयंत राठौर के बारे में जानकारी सामने आई है कि वह 1 दिसंबर 2023 को महाकाल मंदिर के गर्भगृह में सोला पहनकर पूजा करने पहुंचे थे। उस समय किसी प्रकार की अनुमति नहीं ली गई थी, जिसके कारण यह मामला भी चर्चाओं में आया था।

वहीं, इस तीन सदस्यीय जांच दल में एक सदस्य ऐसे हैं जो खुद उस समय प्रोटोकॉल ड्यूटी में तैनात थे, जबकि अन्य सदस्य मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था और अन्य प्रशासनिक मामलों के जानकार हैं। उप प्रशासक एसएन सोनी ने कहा कि उनके पास राज्यपाल के आगमन को लेकर प्रोटोकॉल ड्यूटी थी, और उन्होंने किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की बात से इनकार किया है।

यह देखना दिलचस्प होगा कि जांच दल कितनी निष्पक्षता से काम करता है और क्या वह सात दिन के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत कर पाएगा।

विधायक ने किया बेटे का बचाव

इस विवाद पर विधायक गोलू शुक्ला ने सफाई दी कि उनके पास मंदिर प्रशासन से परमिशन थी। उन्होंने कहा कि वे बिना अनुमति के कोई काम नहीं करते। उनका कहना था कि मंदिर प्रशासक और कलेक्टर ने पांच लोगों को परमिट दिया था। जब कर्मचारी ने उनके बेटे को रोकने की कोशिश की, तो यह हल्की कहासुनी का विषय बन गया।

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गर्भगृह का सीधा प्रसारण और रहस्यमय बंदी

मंदिर में गर्भगृह का सीधा प्रसारण किया जाता है ताकि दूर-दराज के लोग भी भगवान श्री महाकालेश्वर के दर्शन कर सकें। इस घटना के दौरान रुद्राक्ष शुक्ला के गर्भगृह में प्रवेश करते ही सीधा प्रसारण एक मिनट के लिए बंद हो गया। यह एक दिलचस्प और रहस्यमय पहलू है, क्योंकि ऐसे मामलों में तकनीकी गड़बड़ी का होना आम नहीं है। यह सवाल खड़ा करता है कि आखिर प्रसारण कैसे और क्यों अचानक बंद हुआ।

पहले भी विवादों में रह चुका है विधायक का बेटा रुद्राक्ष 

यह पहली बार नहीं है जब रुद्राक्ष का नाम महाकाल मंदिर में विवाद से जुड़ा हो। चार साल पहले भी रुद्राक्ष ने गर्भगृह में प्रवेश किया था और वहां फोटो खिंचवाकर उसे सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया था। इसके अलावा, 12 अप्रैल 2025 को रुद्राक्ष शुक्ला देवास के चामुंडा टेकरी मंदिर में आधी रात को लाल बत्तियों वाली कारों के काफिले के साथ पहुंचे थे और हंगामा किया था। इस घटना में उन्होंने कथित तौर पर पुजारी से मारपीट भी की थी। बाद में रुद्राक्ष ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए मंदिर में पुजारी से माफी मांगी थी।

गर्भगृह में एंट्री पर है रोक

उज्जैन महाकाल मंदिर में सावन के महीने में श्रद्धालु डेढ़ किलोमीटर लंबी लाइन में लगकर 200 फीट दूर से दर्शन करते हैं। वीवीआईपी व्यक्तियों को गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति दी जाती है। मंदिर के नियमों के अनुसार, गर्भगृह में प्रवेश प्रतिबंधित है और केवल पुजारी ही वहां जा सकते हैं। वीआईपी लोग नंदी के नजदीक से दर्शन कर सकते हैं।

आगे की कार्रवाई

प्रशासन और मंदिर प्रबंधन इस मामले की गंभीरता को समझते हुए जल्द से जल्द एक निष्कलंक और निष्पक्ष जांच की उम्मीद कर रहे हैं। हालांकि, यह सवाल उठता है कि क्या राजनीतिक दबाव इस जांच को प्रभावित करेगा, विशेषकर जब इस मामले में एक विधायक और उनका परिवार शामिल हो।

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