संजय गुप्ता @ INDORE. लोकसभा चुनाव 2024 ( Lok Sabha Elections 2024 ) के लिए मालवा-निमाड़ ( Malwa-Nimar ) की आठ सीटों में से कांग्रेस का फोकस केवल तीन सीट पर ही अधिक है। उनके रणनीतिकार भी मान रहे हैं कि बाकी पर उर्जा खर्च करने से ज्यादा बेहतर है कि इन तीन आदिवासी सीट पर फोकस करके इन्हें निकालने की कोशिश की जाए। इसमें धार, खरगोन और रतलाम-झाबुआ लोकसभा ( Ratlam-Jhabua Lok Sabha ) सीट शामिल है।
ये खबर भी पढ़िए...छिंदवाड़ा के बयान पर जीतू पटवारी ने सीएम को घेरा, आखिर क्या बोल गए थे डॉ मोहन यादव
इन सीटों पर इनके बीच है मुकाबला
धार- बीजेपी से पूर्व सांसद सावित्री ठाकुर, कांग्रेस से राधेशयाम मुवाल
खरगोन- बीजेपी से वर्तमान सांसद गजेंद्र पटेल, कांग्रेस से पोरलाल खरते
रतलाम-झाबुआ- बीजेपी से अनिता नागर सिंह चौहान, कांग्रेस से पूर्व सांसद कांतिलाल भूरिया
ये खबर भी पढ़िए...Lok Sabha Election 2024 : मध्य प्रदेश में cVIGIL App पर मिली 1473 शिकायतें, आप भी कर सकते हैं शिकायत
आखिर क्यों हैं कांग्रेस की यह रणनीति ?
धार- कांग्रेस की बात करें तो वह धार की लोकसभा सीट में शामिल आठ विधानसभा में से कांग्रेस के पास सरदारपुर, गंधवानी, कुक्षी, बदनावर और मनावर पांच विधानसभा सीट है। बीजेपी के पास महू, बदनावर और धार सीट ही है। दूसरी बात बीजेपी ने यहां मौजूदा सांसद छतरसिहं दरबार का टिकट काटा है और पूर्व सांसद सावित्री ठाकुर को दिया है। यानि बीजेपी को भी लग रहा था कि मौजूदा सांसद मुश्किल में हैं। ऐसे में कांग्रेस को यहां से उम्मीद अधिक है। इसकी कमान खुद नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार संभाल रहे हैं।
खरगोन- कांग्रेस को यहां की आठ विधानसभा में से कसरावद, भगवानपुरा, सेंधवा, राजपुर और बड़वानी की कुल पांच सीट मिली है। वहीं बीजेपी के पास महेशवर, खरगोन, पानसेमल तीन सीट है। यह भी आदिवासी सीट है। इन पांच सीट के चलते यहां भी कांग्रेस को उम्मीद है वह जोर मार सकती है। यहां कांग्रेस से बाला बच्चन लगे हुए हैं, जो खुद इसी लोकसभा की विधानसभा राजपुर से विधायक है।
रतलाम-झाबुआ- यह सीट भी आदिवासी बाहुल्य है। यहां की आठ विधानसभा में से कांग्रेस के पास जोबट, झाबुआ, थांदला यह तीन विधानसभा सीट है। वहीं बीजेपी के पास अलीराजपुर, पेटलावद, रतलाम सिटी और रतलाम ग्रामीण कुल चार सीट है। वहीं एक सीट भारतीय आदिवासी पार्टी (बाप) के विधायक कमलेशवर डोडियार के पास सैलाना है।
ये खबर भी पढ़िए...ठेकेदार पीडी अग्रवाल और जगन्नाथ नारायण ट्रस्ट के ट्रस्टियों ने खेला जमीन का खेल
कांग्रेस इन सीटों पर बीते सालों में जीत भी चुकी है
इन सीटों पर रिकार्ड इंदौर, विदिशा जैसा नहीं रहा है, कि कांग्रेस 30-35 सालों से जीती ही नहीं हो। यानि यह पूरी तरह से बीजेपी का गढ़ अभी नहीं बने हैं।
1. धार की बात करें तो इस सीट पर 2009 में कांग्रेस के गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी जीते थे (अब बीजेपी में चले गए। इसके बाद 2014 व 2019 में बीजेपी यहां लगातार दो बार जीती।
2. खरगोन की बात करें तो इस सीट पर 2007 के उपचुनाव में कांग्रेस के अरुण यादव जीते थे, लेकिन इसके बाद 2009, 2014 और 2019 से यहां बीजेपी ही जीत रही है।
3. रतलाम-झाबुआ की बात करें तो कांग्रेस 2015 में हुए उपचुनाव में यहां पर जीती थी और कांतिलाल भूरिया सांसद बने। साल 2019 में बीजेपी के जीएस डामोर ने यहां जीत दर्ज की और भूरिया को हराया। वहीं भूरिया यहां के पुराने आदिवासी नेता है। वह 1998, 1999, 2004 और 2009 में भी सांसद का चुनाव जीत चुके हैं। साल 2014 में दिलीप सिंह भूरिया बीजेपी के जीते थे लेकिन 2015 में उपचुनाव में फिर कांतिलाल भूरिया जीते।
ये खबर भी पढ़िए...RTO NEWS UPDATE : आरटीओ से जुड़ी बड़ी सुविधा हुई बंद, जानिए क्यों लिया गया ये फैसला