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Photograph: (THESOOTR)
INDORE/KHANDWA. मध्यप्रदेश के ओंकारेश्वर में ममलेश्वर लोक परियोजना को लेकर पिछले कई दिनों से विवाद और विरोध जारी है। इसी बीच सरकार ने बड़ा निर्णय लेते हुए मंगलवार को परियोजना पर फिलहाल रोक लगाने का आदेश जारी कर दिया है। नगर के रहवासी, व्यापारी, साधु-संत और स्थानीय संगठनों के व्यापक आंदोलन को देखते हुए प्रशासन ने यह कदम उठाया है।
निर्णय सामने आते ही पूरे क्षेत्र में राहत और उत्साह की लहर दौड़ पड़ी। कई दिनों से तनावपूर्ण माहौल झेल रहे ओंकारेश्वर के लोगों ने इसे अपनी बड़ी जीत बताया। इस फैसले के बाद एक ओर जहां रहवासियों, व्यापारियों के चेहरे खिल उठे। वहीं, पूरे ओंकारेश्वर में जमकर आतिशबाजी भी की गई, इससे दिपावली जैसा नजारा दिखाई देने लगा।
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बन गया त्योहार जैसा माहौल
जैसे ही ममलेश्वर लोक निर्माण परियोजना पर रोक की जानकारी लोगों तक पहुंची, ओंकारेश्वर की गलियों में अचानक त्योहार जैसा माहौल बन गया। रहवासी अपने घरों से बाहर निकले, एक-दूसरे को मिठाई खिलाई और कई स्थानों पर आतिशबाजी भी की गई। स्थानीय लोगों का कहना है कि जिस तरह तीन दिनों का बंद मजबूरी में करना पड़ा था, ठीक उसी तरह यह फैसला उनके संघर्ष की जीत साबित हुआ है।
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सरकार ने सही निर्णय लिया
रहवासियों ने कहा कि हम कई पीढ़ियों से यहां रह रहे हैं। अपनी बस्ती, मंदिर और आश्रमों के लिए लड़ाई लड़ना हमारा अधिकार था। सरकार ने सही निर्णय लिया है।
भारी जनविरोध ने बदला माहौल
ममलेश्वर लोक परियोजना के तहत कई बस्तियों के हटने, आश्रमों पर खतरा आने और धार्मिक स्वरूप बदलने जैसी आशंकाओं ने स्थानीय समुदाय को लगातार आंदोलित किया हुआ था। तीर्थनगरी में पहला मौका था जब दुकानों, घाटों और बाजारों ने तीन दिनों तक पूर्ण बंद का समर्थन किया। व्यापारियों का कहना था कि परियोजना धार्मिक धरोहर के मूल स्वरूप पर असर डाल सकती है। वहीं साधु-संतों ने भी आश्रमों को नुकसान पहुंचने पर कड़ा विरोध जताया था।
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सभी पक्षों की सहमति के बाद कार्रवाई
जनभावनाओं और संघर्ष की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने परियोजना को आगे न बढ़ाने का निर्णय लिया है। उच्चस्तरीय बैठक में यह स्पष्ट किया गया कि ममलेश्वर लोक से जुड़े सभी बिंदुओं पर पुनर्विचार किया जाएगा और आगे की कार्यवाही केवल सभी पक्षों की सहमति के बाद ही होगी।
ओंकारेश्वर में अब सामान्य होने लगी जिंदगी
परियोजना पर रोक के बाद अब शहर में स्थिति सामान्य हो रही है। स्थानीय दुकानदारों ने दुकानें खोलना शुरू कर दिया है और घाटों पर श्रद्धालु भी लौटने लगे हैं। कई रहवासियों ने कहा कि यह निर्णय उनके लिए दूसरी दिवाली जैसा है।
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