मैनेजर बालाराम की मौत BSF की स्नाइपर राइफल से चली गोली से ही हुई थी

मैनेजर बालाराम की मौत के मामले में नए खुलासे हो रहे हैं। कलेक्टर आशीष सिंह ने इस मामले में जांच बैठाई थी। यह जांच का जिम्मा अपर कलेक्टर आईएएस गौरव बेनल को दिया गया।

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Sanjay Gupta
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Manager Balaram killed
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Indore. पुलिस जो जांच नहीं कर सकी और पता नहीं लगा सकी उसका खुलासा अब मजिस्ट्रियल जांच में हुआ है। कलेक्टर आशीष सिंह द्वारा 24 सितंबर को इंदौर में बरदरी गांव में भवन निर्माण स्थल पर मैनेजर बालाराम पिता मानसिंह राठौर की हुई मौत की जांच बैठाई थी। जांच का जिम्मा अपर कलेक्टर आईएएस गौरव बेनल को दिया गया। करीब 130 दिन तक कई वैज्ञानिक साक्ष्य, राइफल की जानकारी, गोली की जानकारी, बंदूक चलाने के तरीके, सेटेलाइट इमेज, पहाड़ियों की लोकेशन जैसे बिंदुओं की जांच के बाद करीब 25 पन्नों की रिपोर्ट में अहम बातें सामने आई। मुख्य मुद्दा यही कि गोली बीएसएफ की थी और यह उनकी रेवती स्थिति अल्फा रेंज से चली थी।

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इस रेंज से इस तरह चली गोली

1. जांच में सामने आया कि गोली 24 सितंबर को सुबह 9 से 9.15 के बीच में चली है। यह गोली 7.62 एमएम से हुई है। यह गोली केवल आर्म्ड फोर्सेस के पास होती है, यानी आम व्यक्ति, लाइसेंसधारकों के पास यह गोली चलाने वाली बंदूक होती ही नहीं है। यह स्नाइपर हथियार है। इस तरह यह साफ हुआ कि यह गोली बीएसएफ रेंज से ही आई है।
2. जांच अधिकारी ने बीएसएफ से उनकी रेंज से ट्रेनिंग शेड्यूल रजिस्टर लिया। इसमें सामने आया कि उनकी यहां अल्फा, ब्रैवो, चार्ली, डेल्टा चार रेंज है, और उस दिन केवल अल्फा में ही सुबह 8.30 से 9.40 के बीच ट्रेनिंग शेड्यूल था, यानी साफ है कि अन्य रेंज से यह गोली नहीं चल सकती है।
3. बीएसएफ में जानकारी जुटाने पर सामने आया कि उस दिन इस समय अवधि पर स्नाइपर से ट्रेनिंग हुई थी।
4. मौके पर मौजूद करीब 10 लोगों के बयान लिए गए। इसमें एक व्यक्ति का बयान सबसे अहम था, उसने बताया कि वह भवन पर खड़ा वीडियो बना रहा था, तभी कान के पास से सर्र करके आवाज आई, जैसे किसी ने पत्थर मारा हो, मैं डर कर नीचे आ गया, उस समय नौ बजे थे। नीचे आने पर पता चला कि बालाराम गिर गया है, खून निकल रहा है। इन सभी बयानों से घटना का समय और गोली के आने की साइड और पुख्ता हो गई।
5. जांच अधिकारी यही नहीं रूके, उन्होंने इसके बाद यह गोली कहां से आई इसके लिए सैटेलाइट इमेज देखी, इसमें सामने आया कि अल्फा को छोड़ बाकी रेंज पहाड़ी से घिरी है यानी वहां से गोली आने की संभावना नहीं है, लेकिन अल्फा रेंज की लेफ्ट साइड में गेप है और यदि किसी भी वजह से बंदूक हिलती है, तो गोली सीधे जाने की जगह एंगल से मुड़कर इस गेप से निकल सकती है।
6. इसके बाद महू व जानकारों से यह जानकारी निकाली गई कि क्या ट्रेनिंग में बंदूक हिल सकती है और हिलती है तो क्या इतना एंगल बदल सकता है और क्या गोली दूसरी ओर जा सकती है। इस पर सामने आया कि यह बिल्कुल संभव है और इस तरह की घटनाएं अलग-अलग जगह पर हुई है।

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सबसे अहम बात घटना 2.5 किमी दूर हुई

इसके बाद मुद्दा सबसे अहम यह था कि अल्फा रेंज और घटना स्थल के बीच की दूरी 2.5 किमी है, क्या गोली इतनी दूर आ सकती है। इस पर बीएसएफ ने कहा कि प्रभावी रेंज 800 मीटर है, सामान्य रेंज का पता नहीं है। इस पर फिर जांच अधिकारी बैनल ने उच्च स्तर पर जानकारों से स्नाइपर वैपन से 7.62 एमएम गोली की मारक क्षमता की जानकारी जुटाई। इसमें सामने आया कि यह गोली 2.5 किमी से अधिक ही जाती है और 4 से 5 किमी तक भी जा सकती है।

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इन सभी बिंदुओं से यह साफ हुआ

इससे साफ हुआ कि अल्फा रेंज पर किसी ट्रेनिंग करने वाले ने गोली चलाई, इस दौरान कंधा हिलने या किसी वजह से बंदूक हिली और गोली सीधे जाने की जगह लेफ्ट की ओर पहाड़ी के दूसरी ओर मुड़ गई जिसकी राह में अन्य कोई बाधा नहीं था, जो गोली को रोक सके, इससे यह सीधे 2.5 किमी दूर मैनेजर को दुर्भाग्य से लगी और उसकी मौत हो गई। अधिकारी ने जांच रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि जरूरी है कि अल्फा रेंज को पूरी तरह से कवर किया जाए, इसके लिए ऐसे पेड़-पौधे लगाए जाएं जो किसी भी कारण से गोली के डायरेक्शन बदलने को रोक सकें।

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पुलिस ने अज्ञात पर किया केस, अब आगे उन्हें करना है

पुलिस ने इस मामले में घटना के बाद अज्ञात पर केस दर्ज कर लिया था। अब यह पुलिस के ऊपर है कि उन्हें यदि यह पता लगाना है किसके चलते यह हुआ तो वह उस समय अवधि में अल्फा रेंज में उपयोग में आए हथियारों की जांच कराकर गोली की रिपोर्ट से पता कर सकते हैं कि किस हथियार से यह गोली चली थी और हथियार उस समय किस अधिकारी को शूटिंग के लिए अलाट था। साथ ही मौके पर उस दौरान मौजूद ट्रेनर और शूट करने वालों से भी पूछताछ में भी साफ हो सकता है कि किस शूटर के दौरान उस दौरान शूट करने में गलती हुई थी।

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