अस्वीकृत से अ हटाकर किया 65 लाख का घोटाला, अफसरों की कारगुजारी, EOW ने दर्ज की FIR

मंडला में सहकारी बैंक और साख समिति के अधिकारियों द्वारा 65 लाख रुपए का घोटाला किया गया। दस्तावेजों में हेराफेरी कर ऋण स्वीकृत किया गया। EOW ने एफआईआर दर्ज की।

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Neel Tiwari
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Photograph: (the sootr)

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Mandala. मंडला जिले में एक बड़ा वित्तीय घोटाला सामने आया है। इस मामले में सहकारी बैंक और साख समिति के अधिकारियों ने मिलकर लगभग 65 लाख रुपए की धोखाधड़ी की। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ जबलपुर (EOW) ने आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है। इस मामले में केवल एक अक्षर बदलकर लाखों रुपए का फर्जीवाड़ा किया गया है।

फर्जीवाड़े का तरीका

जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मंडला की ऋण उप समिति की 8 नवंबर 2011 को एक बैठक हुई थी। अल्प बचत साख सहकारी समिति मंडला पर पहले से 38 लाख रुपए का ओवरड्यू बकाया था। इस बकाया के कारण बैठक में उसके ऋण प्रस्ताव को अस्वीकृत किया गया था। बैठक के बाद अधिकारियों ने दस्तावेजों में हेराफेरी कर अस्वीकृत शब्द से केवल “अ” हटाकर उसे स्वीकृत बना दिया गया। 

इस आदेश की आखिरी लाइन अलग से जोड़कर 65 लाख रुपए के अल्प अकृषि ऋण की लिमिट दिखा दी गई। इसके तीन दिन बाद ही 12 नवंबर 2011 को तत्कालीन महाप्रबंधक के हस्ताक्षर से ऋण स्वीकृति आदेश जारी कर दिए गए। इसके बाद इस रकम का वितरण भी कर दिया गया। अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए षड्यंत्र रचा और बैंक को 65 लाख रुपए का चूना लगा दिया।

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मंडला सहकारी बैंक में हुए घोटाले को ऐसे समझें 

  • मंडला में सहकारी बैंक और साख समिति के अधिकारियों ने 65 लाख रुपए का घोटाला किया।
  • "अस्वीकृत" शब्द को बदलकर ऋण प्रस्ताव को "स्वीकृत" कर दिया गया।
  • दस्तावेजों में हेराफेरी करके 65 लाख रुपये का अल्प अकृषि ऋण स्वीकृत किया गया।
  • EOW ने चार आरोपियों के खिलाफ गंभीर धाराओं में FIR दर्ज की।
  • शशि चौधरी ने गैर-सदस्यों से अवैध रूप से 26 लाख रुपये वसूले।

चार आरोपियों पर हुई FIR

EOW ने मामले में अपराध क्रमांक 168/2025 दर्ज करते हुए गंभीर धाराओं में FIR कायम की है। जांच में सामने आया कि ऋण उप समिति की बैठक में “अस्वीकृत” निर्णय को दस्तावेजों से “अ” हटाकर “स्वीकृत” बनाया गया। बाद में 65 लाख रुपए की साख सीमा स्वीकृत दर्शा दी गई।

EOW ने नरेंद्र कोरी तत्कालीन महाप्रबंधक, जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मंडला, एनएल यादव तत्कालीन स्थापना प्रभारी, अतुल दुबे तत्कालीन लेखापाल एवं पंजी फील्ड कक्ष प्रभारी,और शशि चौधरी प्रबंधक, अल्प बचत साख सहकारी समिति मंडला के खिलाफ FIR दर्ज की है।

गैर सदस्यों से अवैध वसूली का भी आरोप

EOW की जांच में यह भी सामने आया कि अल्प बचत साख सहकारी समिति प्रबंधक शशि चौधरी ने गैर-सदस्यों से अवैध रूप से 26 लाख रुपए वसूले। यह पूरी प्रक्रिया नियमों के खिलाफ थी। इस मामले में धोखाधड़ी और पद के दुरुपयोग का आरोप भी लगाया गया है।

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इन धाराओं में दर्ज हुआ मामला

EOW ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 409, 420, 467, 468, 471, 120बी तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 2018 की धारा 7(सी) के तहत मामला दर्ज कर लिया है। प्रकरण की विवेचना जारी है और आगे और खुलासों की संभावना जताई जा रही है।

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