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BHOPAL. मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों बच्चों की थाली से जल्द ही भोजन गायब हो सकता है। दरअसल, मध्यान्ह भोजन योजना की रीढ़ मानी जाने वाली महिला रसोइयों को चार माह से मजदूरी नहीं मिली। भुगतान में देरी से नाराज 11 लाख से अधिक रसोइया महिलाओं ने सोमवार से चूल्हा बंद हड़ताल का ऐलान कर दिया है।
मंडराया रोजी-रोटी का संकट
मध्य प्रदेश की मध्यान्ह भोजन योजना भुगतान संकट का सामना कर रही है। 96 हजार स्व-सहायता समूहों से जुड़ी 11 लाख महिला रसोइया पिछले चार महीने से मजदूरी का इंतजार कर रही हैं। कई परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।
महिला रसोइयों को स्कूलों में बच्चों के भोजन के एवज में 4 हजार रुपए और आंगनवाड़ी रसोई के लिए 500 रुपए मासिक मिलते हैं। लेकिन यह राशि अगस्त से अटकी हुई है। जिम्मेदार अफसरों के ​लिखित आश्वासन के बाद इसका भुगतान अटका हुआ है। सिर्फ चार महीनों की यह रकम ही करीब 2 हजार करोड़ रुपए बताई जाती है।
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सोमवार से प्रदेशव्यापी चूल्हा बंद
लगातार आश्वासन और भुगतान न होने से नाराज प्रांतीय महिला स्व-सहायता समूह महासंघ ने सोमवार से मध्यान्ह भोजन पूरी तरह बंद करने की चेतावनी दी है। महासंघ का कहना है कि इस हड़ताल का सीधा असर स्कूलों और आंगनवाड़ियों की भोजन व्यवस्था पर पड़ेगा।
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परिषद का दावा हो चुका है भुगतान
प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण परिषद मप्र के आयुक्त अवि प्रसाद ने दावा किया कि नवंबर तक का लंबित भुगतान 19 दिसंबर को किया गया। हालांकि, वे यह नहीं बता सके कि कितनी राशि जारी की गई। विभागीय अपर मुख्य सचिव दीपाली रस्तोगी ने भी आवंटन राशि पर स्पष्ट जवाब देने से परहेज किया।
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महासंघ को अफसरों के दावे पर भरोसा नहीं
महासंघ की प्रदेशाध्यक्ष सरिता ओम प्रकाश बघेल ने अफसरों के दावों को खारिज किया। उन्होंने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब कागजों में भुगतान दिखाया गया हो, लेकिन खातों में पैसा नहीं पहुंचा हो। उन्होंने बताया कि शनिवार तक भी किसी महिला रसोइया के खाते में राशि जमा नहीं हुई।
पहले भी मिला था लिखित आश्वासन
महासंघ के अनुसार, 25 अगस्त को प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण के संयुक्त आयुक्त ने केंद्र से बजट मिलते ही भुगतान का आश्वासन दिया था। हालांकि, आज तक स्थिति जस की तस बनी हुई है।
बर्तन खरीदी भुगतान भी उलझा
मध्यान्ह भोजन रसोई के लिए बर्तन खरीदी की स्थिति भी चिंताजनक है। केंद्र से मिले 102 करोड़ रुपए में से भुगतान सीमित जिलों तक ही पहुंचा। महासंघ का दावा है कि नीमच, दमोह, सिंगरौली, टीकमगढ़, डिंडौरी और भोपाल सिर्फ इन छह जिलों को ही आंशिक भुगतान मिला।
भोपाल जिले में ही करीब 900 समूह हैं, लेकिन राशि केवल 120 समूहों को मिली। शेष समूह आज भी भुगतान का इंतजार कर रहे हैं। प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण परिषद मप्र के आयुक्त अवि प्रसाद ने दावा किया कि बर्तन खरीदी मद में भुगतान सभी जिला पंचायतों को कर दिया गया है।
आजीविका से लिए 30 करोड़ रुपए उधार
सूत्रों के अनुसार, बर्तन खरीदी मद में 30 करोड़ रुपए उधार लिए गए। यह राशि ग्रामीण विकास विभाग की आजीविका परियोजना से ली गई। कुछ जिला पंचायतों को भुगतान किया गया। हालांकि, इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है।
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अखबारी कागज पर परोसा जा चुका है भोजन
बर्तनों के अभाव में श्योपुर जिले के विजयपुर ब्लॉक के एक स्कूल में बीते माह बच्चों का अखबारी कागज पर मध्यान्ह भोजन परोसा गया। इसकी तस्वीर सोशल मीडिया में वायरल होने पर प्रदेश की खासी किरकिरी हुई थी। बड़ा सवाल यही है कि क्या सरकार समय रहते रसोइया महिलाओं की थाली भरेगी, या बच्चों की थाली पहले खाली होगी?
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