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Photograph: (the sootr)
BHOPAL. परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा की काली कमाई का मामला अब और उलझता जा रहा है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं, लेकिन दो अहम किरदार अब भी एजेंसियों की पकड़ से बाहर हैं।
छापे की रात 52 किलो सोना और 11.60 करोड़ कैश
ईडी जांच में सामने आया है कि 19 दिसंबर 2024 को लोकायुक्त की छापेमारी के दौरान एक इनोवा कार में 52 किलो सोना और 11.60 करोड़ रुपए नकद भरकर मेंडोरी गांव की सीमा तक पहुंचाए गए थे। यह कार ड्राइवर प्यारेलाल केवट चला रहा था और उसके साथ सौरभ का मौसेरा जीजा विनय हासवानी मौजूद था।
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विनय ने मानी बात, आरोपी फिर भी लापता
विनय हासवानी ने स्वीकार किया है कि उसी ने ड्राइवर प्यारेलाल के साथ कार को खाली प्लॉट तक पहुंचाया। हैरानी की बात यह है कि लोकायुक्त, ईडी और आयकर विभाग-तीनों एजेंसियां मिलकर भी अब तक इन दोनों आरोपियों को तलाश नहीं कर पाई हैं।
मेंडोरी से शुरू हुई थी कार्रवाई की कड़ी
लोकायुक्त की रेड के बाद 19-20 दिसंबर की रात आयकर विभाग और एमपी पुलिस ने मेंडोरी इलाके में खड़ी इनोवा कार से सोना और कैश बरामद किया था। पहले आयकर विभाग ने इसे अटैच किया, फिर ईडी ने भी सौरभ के ठिकानों पर छापे मारे।
एक साल बाद भी ‘प्रीतम’ और ‘प्यारे’ फरार
इस पूरे मामले को एक साल से ज्यादा का वक्त बीत चुका है, लेकिन सोने की खेप लाने वाला ‘प्रीतम’ और कार का ड्राइवर ‘प्यारे’ अब भी फरार हैं। दोनों की तस्वीरें तक जांच एजेंसियों के पास नहीं हैं।
गिरफ्तारी से खुल सकते हैं कई राज
जांच एजेंसियों का मानना है कि प्रीतम और प्यारे की गिरफ्तारी के बाद सौरभ शर्मा के काले कारोबार की पूरी परतें खुल सकती हैं। सवाल यही है कि सौरभ के पास इतना सोना आखिर आया कहां से?
सोने में बदली गई काली कमाई
जांच में सामने आया है कि सौरभ ने अपनी अवैध कमाई को सोने में निवेश किया। उसके सहयोगी चेतन सिंह गौर ने स्वीकार किया है कि प्रीतम कई बार सोने की डिलीवरी लेकर आता था।
अरेरा कॉलोनी से घर तक सोने की आवाजाही
सोने की डिलीवरी भोपाल की अरेरा कॉलोनी स्थित मेसर्स अविरल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कंपनी के ऑफिस में होती थी। यहां से सौरभ सोना अपने ई-7 स्थित घर ले जाया करता था।
लोकायुक्त की जांच पर उठते सवाल
लोकायुक्त पुलिस ने सबसे पहले सौरभ की अकूत संपत्ति का खुलासा किया, लेकिन अब तक न तो समय पर चालान पेश हो पाया और न ही फरार आरोपियों का पता चल सका।
नाटकीय गिरफ्तारी और फिर जमानत
40 दिन बाद सौरभ ने कोर्ट में सरेंडर की कोशिश की, लेकिन अगले ही दिन उसे नाटकीय ढंग से गिरफ्तार कर लिया गया। उसके साथ शरद जायसवाल और चेतन सिंह भी अरेस्ट हुए, लेकिन तय समय में चालान न पेश होने से लोकायुक्त केस में तीनों को जमानत मिल गई। .
ईडी की तेज कार्रवाई
ईडी ने इस मामले में तेजी दिखाते हुए रिमांड लेकर पूछताछ की। पूछताछ में सौरभ ने 52 किलो सोना और 11 करोड़ कैश अपना होना स्वीकार किया। ईडी ने करीब 100 करोड़ की संपत्ति अटैच कर दी।
आठ आरोपी, एक अब भी फरार
ईडी ने सौरभ, शरद, चेतन समेत उसकी पत्नी, मां, साले और ड्राइवर सहित आठ लोगों को आरोपी बनाया। इनमें से ड्राइवर प्यारेलाल अब भी फरार है।
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आयकर जांच भी नतीजे से दूर
आयकर विभाग ने भी जेल में जाकर कई बार पूछताछ की, लेकिन जांच अब तक किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंची है। हालिया स्थिति पर विभाग के अधिकारी भी बोलने से बच रहे हैं।
एजेंसियों की साख और जांच की रफ्तार पर सवाल
सौरभ शर्मा का मामला अब सिर्फ काले धन का नहीं, बल्कि जांच एजेंसियों की समन्वय क्षमता और रफ्तार पर भी सवाल खड़े कर रहा है। जब तक ‘प्रीतम’ और ‘प्यारे’ पकड़ में नहीं आते, यह केस अधूरा ही माना जाएगा।
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