ऐसे आजीविका मिशन के सीईओ बनाए गए थे एलएम बेलवाल, नोटशीट में आई सीएम की सहमति!

राष्ट्रीय आजीविका मिशन (National Livelihood Mission) में एलएम बेलवाल की संविदा नियुक्ति ने विधानसभा में हलचल मचा दी। विधानसभा में सामने आई नोटशीट के अनुसार, बेलवाल की नियुक्ति को लेकर कई विवाद थे। मध्‍य प्रदेश

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Sourabh Bhatnagar
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राष्ट्रीय आजीविका मिशन में कई वर्षों तक कार्यरत रहे एलएम बेलवाल की संविदा नियुक्ति से जुड़ी नोटशीट सोमवार को एमपी विधानसभा में सामने आई है। नोटशीट के अनुसार, बेलवाल की नियुक्ति को लेकर कई विवाद उठे थे। इसमें यह बताया गया कि तत्कालीन मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस के हस्तक्षेप से बेलवाल की नियुक्ति हुई थी। इस प्रक्रिया में एसीएस और मंत्रियों की आपत्तियों को नकार दिया गया था। बैंस ने यह लिखा था कि नियुक्ति में मुख्यमंत्री की भी सहमति थी। अब इस नियुक्ति की पूरी कहानी और इसके पीछे की राजनीतिक सच्चाई जानना दिलचस्प होगा।

कांग्रेस विधायक प्रताप ग्रेवाल मांगे थे कागज

बेलवाल की नियुक्ति को लेकर कांग्रेस विधायक प्रताप ग्रेवाल ने विधानसभा में संबंधित दस्तावेजों की मांग की थी। इसके जवाब में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल ने नियुक्ति से जुड़ी सभी नोटशीट्स प्रस्तुत की, जिनसे यह स्पष्ट हो गया कि रिटायरमेंट के 18 महीने बाद ही उनकी संविदा सीईओ के पद पर नियुक्ति की गई थी, जिसमें सभी नियमों को नजरअंदाज कर दिया गया था।

बता दें बेलवाल 2012 से 2018 तक राष्ट्रीय आजीविका मिशन में प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत रहे। वे 31 दिसंबर 2018 को रिटायर हुए। 18 महीने बाद, 17 जुलाई 2020 को उन्हें ओएसडी पद पर नियुक्त किया गया। 12 दिन बाद, 29 जुलाई 2020 को उन्हें सीईओ बना दिया गया। मिशन में ओएसडी पद का कोई अस्तित्व नहीं था। यह पद विशेष रूप से बेलवाल के लिए बनाया गया था। इस नियुक्ति से पहले 20 जून 2020 को सीईओ शिल्पा गुप्ता को हटा दिया गया।

बेलवाल की नियुक्ति से जुड़ी नोटशीट में क्या था

  • पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के तत्कालीन एसीएस मनोज श्रीवास्तव के अनुसार, राष्ट्रीय आजीविका मिशन में सीईओ का पद किसी संविदा आईएएस अधिकारी को नहीं दिया जा सकता, खासकर जब इसकी विज्ञप्ति और वित्तीय सहमति नहीं हो। इस पर कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।
  • महेंद्र सिंह सिसोदिया, जो उस समय पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री थे, उन्होंने श्रीवास्तव की टिप्पणी पर सहमति जताई।
  • इकबाल सिंह बैंस, जो उस समय मुख्य सचिव थे, उन्होंने कहा कि जब तक नया आईएएस अधिकारी नियुक्त नहीं होता, तब तक बेलवाल को सीईओ का प्रभार दिया जा सकता है। मुख्यमंत्री जी की सहमति है, और सीईओ बनाए जाने का आदेश जारी किया जाना चाहिए।
  • मनोज श्रीवास्तव ने अपनी दूसरी टिप्पणी में कहा कि उच्च स्तर से सीईओ बनाए जाने के निर्देश दिए गए हैं। आदेश जारी कर दिए जाएं और प्रति मुख्यमंत्री कार्यालय, मुख्य सचिव कार्यालय, और जीएडी को भेजी जाए। चूंकि यह वित्तीय अधिकार का मामला है, इसे कैबिनेट में भी भेजा जाए।
  • सचिन सिन्हा, जो उस समय पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव थे, उन्होंने बताया कि बेलवाल 2023 तक सीईओ के पद पर बने रहे। मार्च 2021 में, एसीएस मनोज श्रीवास्तव और पीएस सचिन सिन्हा को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से हटा दिया गया था। उमाकांत उमराव को विभाग का नया प्रमुख सचिव नियुक्त किया गया।

करोड़ों के घोटाले जुड़ा है बेलवाल और बैंस का नाम

कुछ समय पहले मध्यप्रदेश में पोषण आहार (टेक होम राशन) के वितरण में हुई गड़बड़ी को लेकर लोकायुक्त ने एक नई शिकायत दर्ज की गई थी। यह शिकायत पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस (iqbal singh bains) और पूर्व सीईओ ललित मोहन बेलवाल (Lalit Mohan Belwal) के खिलाफ थी। इस मामले में कैग (कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल) की रिपोर्ट ने कई गंभीर खुलासे किए थे, जो राज्य सरकार की पोषण आहार योजना की प्रभावशीलता और पारदर्शिता पर सवाल उठाते हैं।

कैग रिपोर्ट के चौंकाने वाले खुलासे

कैग की रिपोर्ट के अनुसार, मध्यप्रदेश में 858 करोड़ रुपए की टेक होम राशन (टीएचआर) का उत्पादन काल्पनिक रूप से दर्शाया गया था। रिपोर्ट में यह भी पाया गया था कि जिस मात्रा में कच्चे माल का उपयोग होना चाहिए था, उतना हुआ ही नहीं। साथ ही, पोषण आहार का वितरण जिन 8 जिलों में किया गया था, वहां जितने लाभार्थी दिखाए गए, उतने लाभार्थी उस क्षेत्र में मौजूद नहीं थे।

पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने उठाया था मामला

इस पूरे मामले में मुख्य आरोपी मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस और पूर्व आजीविका मिशन के सीईओ ललित मोहन बेलवाल हैं। पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने इस मामले में लोकायुक्त के पास शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद जांच शुरू की गई। लोकायुक्त अब इस गड़बड़ी के आरोपों की जांच करेगा।

शिवराज सरकार आने के बाद बैंस ने बेलवाल को बनाया सीईओ

विधायक सकलेचा ने आरोप लगाया था कि इकबाल सिंह बैंस ने 2017 में अपने करीबी सहयोगी ललित मोहन बेलवाल को वन विभाग से प्रतिनियुक्ति पर लेकर आजीविका मिशन का सीईओ बना दिया था। दोनों ने मिलकर पोषण आहार बनाने वाली सात फैक्ट्रियों का काम एग्रो इंडस्ट्रीज कॉरपोरेशन से लेकर आजीविका मिशन को सौंप दिया। 2018 में कमलनाथ सरकार ने इन फैक्ट्रियों को वापस एग्रो इंडस्ट्रीज को सौंपा था। 2020 में शिवराज सरकार के सत्ता में आने के बाद बैंस ने बेलवाल को एक साल के लिए फिर से सीईओ नियुक्त कर दिया। जबकि विभाग के कई अधिकारियों ने इस पर आपत्ति जताई थी।

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नियुक्ति के लिए डॉक्यूमेंट में की छेड़छाड़

सकलेचा ने यह भी आरोप लगाया था कि बेलवाल की नियुक्ति में डॉक्यूमेंट भी छेड़छाड़ की गई, बावजूद कोई भी कार्रवाई नहीं की गई। इसके बजाय, जिन आईएएस अधिकारियों ने बेलवाल के खिलाफ जांच शुरू की थी, उन्हें मानसिक प्रताड़ना दी गई। नेहा मरव्या उन्हीं अफसरों में से एक थीं, जिनका तबादला कर दिया गया।

खुद के खिलाफ शिकायतों की खुद ही की जांच

सकलेचा ने यह भी बताया था कि बेलवाल के खिलाफ कई शिकायतें लोकायुक्त में दर्ज की गईं। सामाजिक कार्यकर्ता भूपेंद्र प्रजापति ने बेलवाल के खिलाफ कई शिकायतें लोकायुक्त में कीं, लेकिन जांच खुद बेलवाल को सौंप दी गई और उन्हें क्लीनचिट मिल गई। IAS नेहा मरव्या की रिपोर्ट में भी यही बताया गया कि बेलवाल ने ही खुद के खिलाफ शिकायतों की जांच की थी।

पूर्व सचिव ने अधिकारियों को किया टारगेट

विधायक सकलेचा ने आरोप लगाए थे कि पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस के कार्यकाल में 26 IAS अधिकारियों को इसलिए साइडलाइन कर दिया गया क्योंकि उन्होंने भ्रष्टाचार को संरक्षण नहीं दिया। महिला बाल विकास विभाग में एसीएस रहे अशोक शाह को रिटायरमेंट के बाद MPWQC का डायरेक्टर जनरल बनाया गया, जबकि उन पर घोटालों को दबाने के आरोप हैं। सकलेचा ने यह भी कहा कि यदि 52 जिलों की जांच की जाती, तो यह घोटाला कई गुना बड़ा हो सकता था। 

कौन हैं पूर्व IAS इकबाल सिंह बैंस

इकबाल सिंह बैंस 1985 बैच के आईएएस अधिकारी हैं, जिन्होंने जून 1986 में खंडवा में सहायक कलेक्टर के रूप में अपनी प्रशासनिक सेवा की शुरुआत की थी। उन्होंने छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर और कांकेर में भी अपनी सेवाएं दीं। मध्य प्रदेश में वे सीहोर, खंडवा, गुना और भोपाल जैसे प्रमुख जिलों के कलेक्टर रहे। इसके अलावा, वे राज्यपाल और मुख्यमंत्री के सचिव के रूप में भी पदस्थ रहे।

शिवराज सिंह चौहान के खास रहे हैं बैंस

बैंस को पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का करीबी और भरोसेमंद अधिकारी माना जाता है। जुलाई 2013 में वे केंद्र सरकार में संयुक्त सचिव के रूप में प्रतिनियुक्ति पर भेजे गए थे, लेकिन 2014 में भाजपा सरकार के गठन के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें विशेष अनुरोध कर वापस बुलवाया।

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शिवराज सरकार में मुख्य सचिव रहे, 2 बार मिला एक्शटेंशन

24 मार्च 2020 को बैंस को मध्य प्रदेश का मुख्य सचिव बनाया गया था। उनका रिटायरमेंट मूल रूप से 30 नवंबर 2022 को होना था, लेकिन उन्हें पहले छह महीने का और फिर दूसरा एक्सटेंशन नवंबर 2023 तक दिया गया। यह दोनों एक्सटेंशन भी शिवराज सरकार के कार्यकाल में ही मिले। बैंस के रिटायरमेंट के अवसर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उनकी जमकर प्रशंसा की थी। शिवराज ने कहा था कि अपने लिए तो सभी जीते हैं, लेकिन देश और समाज के लिए जीना ही असली सेवा है, जो बैंस ने कर दिखाया।

क्या है टेक होम राशन (टीएचआर)?

टेक होम राशन (टीएचआर) एक पोषण कार्यक्रम है, जो 6 से 36 महीने के बच्चों और गर्भवती महिलाओं को घर पर उपयोग के लिए फोर्टिफाइड राशन प्रदान करता है। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण और शहरी गरीब परिवारों के बच्चों और महिलाओं को पोषण संबंधी सहायता प्रदान करना है।

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