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MP NEWS: मध्यप्रदेश में ई-टेंडरिंग प्रक्रिया में गड़बड़ी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। हाल ही में मुरैना जिले में एक बड़ा घोटाला सामने आया है, जिसमें लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय (पीएचई) विभाग के इंजीनियर एसएल बाथम पर आरोप लगे हैं।
बाथम पर यह आरोप है कि उन्होंने अपनी सिफारिशी ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए टेंडर के रेट में हेरफेर किया। प्रारंभिक जांच में इस घोटाले की पुष्टि होने के बाद राज्य सरकार ने बाथम को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।
टेंडर घोटाले का खुलासा
संबंधित शिकायत के बाद विभाग ने बाथम के कार्यकाल की गहन जांच की, जिसमें 27 करोड़ के टेंडर घोटाले और घटिया गुणवत्ता वाले पाइपों की खरीदारी जैसे गंभीर मामले सामने आए।
जांच में यह भी सामने आया कि बाथम ने बिना टेंडर खोले अपने पसंदीदा ठेकेदारों को ठेका दे दिया था। इसके अलावा, ठेकेदारों ने हल्की गुणवत्ता के पाइपों को महंगे पाइपों के रूप में खरीदकर भुगतान करवा लिया।
यह सब कुछ पीएचई विभाग के फर्जी सर्टिफिकेट की मदद से किया गया, जिसमें सेंटर फॉर स्किलिंग एंड टेक्निकल सपोर्ट भोपाल की रिपोर्ट में छेड़छाड़ की गई थी।
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पांच ठेकेदार हुए ब्लैकलिस्ट
इस घोटाले के खुलासे के बाद पीएचई विभाग ने पांच ठेकेदारों को ब्लैकलिस्ट कर दिया और उनके खिलाफ कोतवाली थाने में मामला दर्ज करवा दिया।
विभाग ने इन ठेकेदारों से 60% राशि की वसूली की है और जल जीवन मिशन से जुड़े ठेकेदारों का कॉन्ट्रैक्ट भी तुरंत प्रभाव से समाप्त कर दिया है। इस घोटाले में विभाग को करीब 50 से 60 लाख रुपए का नुकसान हुआ है। विभाग ने इन ठेकेदारों को तीन साल के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया है।
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जल जीवन मिशन में भी घोटाले का आरोप
मुरैना जिले के पीएचई के अन्य कार्यपालन यंत्री आरएन करैया पर भी गंभीर आरोप लगे हैं। उन पर यह आरोप है कि उन्होंने 45.46 करोड़ रुपए के जल जीवन मिशन के 28 टेंडरों में से केवल 6 टेंडर खोले, बाकी ठेके बिना टेंडर प्रक्रिया के अपने पसंदीदा ठेकेदारों को दे दिए। इस मामले को लेकर अन्य ठेकेदार कलेक्टर, पीएचई, ईओडब्ल्यू, और लोकायुक्त से शिकायत कर रहे हैं।
आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए किए गए अनियमित टेंडर
मुरैना जिले में आंगनबाड़ी केंद्रों और स्कूलों के लिए किए गए टेंडर में भी घोटाला किया गया। उदाहरण के तौर पर, पहाड़गढ़ में 125 आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए 1.67 करोड़ रुपए का टेंडर बुलाया गया था, लेकिन इसके बदले जय मां काली कंस्ट्रक्शन कंपनी को 1.64 करोड़ रुपए में काम दे दिया गया।
इसी तरह, कैलारस तहसील में भी 142 आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए 1.90 करोड़ रुपए का टेंडर था, लेकिन अन्य ठेकेदारों के टेंडर खोले बिना जय कैलादेवी कंस्ट्रक्शन कंपनी को काम दे दिया गया।
कुल मिलाकर स्थिति और जांच की दिशा
मुरैना जिले के इस घोटाले में विभागीय अधिकारियों और ठेकेदारों के बीच मिलीभगत की गहरी साजिश सामने आई है, जो सार्वजनिक धन का जमकर दुरुपयोग कर रही थी।
अब इस मामले में उच्च अधिकारियों की निगरानी में विस्तृत जांच चल रही है, और यह साफ हो गया है कि घोटाले में शामिल सभी लोगों को सख्त सजा दी जाएगी।
मुरैना जिले के इस ई-टेंडर घोटाले का पर्दाफाश सरकारी प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही की महत्वपूर्ण आवश्यकता को उजागर करता है। अधिकारियों ने इस मामले में कठोर कदम उठाने का आश्वासन दिया है, ताकि भविष्य में ऐसे घोटाले ना हो सकें।
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