मध्यप्रदेश में अजाक्स विवाद: दो-दो अध्यक्ष! कौन असली, कौन फर्जी?

मध्य प्रदेश में अजाक्स संगठन में दो अध्यक्षों के बीच विवाद सामने आया है। चौधरी मुकेश मौर्य और संतोष वर्मा दोनों खुद को अध्यक्ष बताने का दावा कर रहे हैं। मौर्य ने वर्मा पर फर्जी संगठन चलाने और 65 लाख रुपए गबन का आरोप लगाया है।

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Ramanand Tiwari
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Photograph: (thesootr)

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BHOPAL. मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति-जनजाति अधिकारी और कर्मचारी संघ (AJJAKS) इन दिनों बड़े विवाद में है। दो संगठन के दो अलग-अलग अध्यक्ष सामने आ गए हैं। एक ओर चौधरी मुकेश मौर्य हैं तो दूसरी ओर आईएएस संतोष वर्मा, जिन्हें रिटायर्ड आईएएस जेएन कंसोटिया का समर्थन मिला है। अब सवाल ये है कि असली अध्यक्ष कौन है और फर्जी कौन?

विवाद की शुरुआत कहां से हुई?

अजाक्स के आधिकारिक अध्यक्ष चौधरी मुकेश मौर्य ने आरोप लगाया कि कंसोटिया और उनके समर्थक गलत तरीके से दूसरी संगठन संरचना खड़ी कर रहे हैं। उनके मुताबिक, संतोष वर्मा का अध्यक्ष पद पूरी तरह असंवैधानिक है।

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फर्जी संगठन चलाया जा रहा है: मौर्य

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मुकेश मौर्य ने कहा कि 21 नवंबर को ही अधिकृत कार्यकारिणी की अनुमोदित सूची जारी हो चुकी है। उन्होंने वर्मा और कंसोटिया पर आरोप लगाया कि वे अजाक्स के नाम पर संगठन को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं।

65 लाख रुपए गबन का बड़ा आरोप

मौर्य गुट ने दावा किया कि कंसोटिया सेवानिवृत्ति के बाद भी अपने पद का गलत इस्तेमाल किया है। कंसोटिया अनुसूचित जाति एवं जनजाति अधिकारी कर्मचारी संघ (AJJAKS) के खातों से 65 लाख रुपए निकालने में शामिल रहे। उन्होंने कंसोटिया से 65 लाख रुपए लौटाने और अजाक्स भवन का आधिपत्य सौंपने की मांग की है। अन्यथा, संगठन पुलिस में प्रकरण दर्ज कराने की चेतावनी दे चुका है। 

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संतोष वर्मा का बयान और नया विवाद

रविवार को दूसरी अजाक्स के नए घोषित अध्यक्ष संतोष वर्मा ने विवादित बयान दे दिया। उन्होंने कहा कि सामाजिक नहीं, आर्थिक आधार पर आरक्षण होना चाहिए। 

यदि आरक्षण नहीं मिलेगा तो हमारे साथ रोटी-बेटी का व्यवहार करो। इस बयान पर मौर्य ने कड़ी प्रतिक्रिया दी और कहा कि किसी भी समाज पर इस तरह की टिप्पणी अनुचित है। वरिष्ठ अधिकारी को ऐसे शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

कंसोटिया विवाद का दूसरा केंद्र

कंसोटिया गुट का दावा है कि उनका कार्यकाल 2026 तक है। वे कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में संतोष वर्मा को नियुक्त कर सकते हैं, लेकिन मौर्य गुट का कहना है कि कंसोटिया अब सेवानिवृत्त हैं, इसलिए वे किसी को अध्यक्ष बनाने का अधिकार नहीं रखते।

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कानूनन किसका दावा मजबूत? 

मौर्य पक्ष के अनुसार मध्य प्रदेश रजिस्ट्रीकरण अधिनियम ने चौधरी मुकेश मौर्य को ही वैध प्रांताध्यक्ष माना है। यह आदेश हाई कोर्ट के निर्देशों के बाद जारी किया गया। यानी कानूनी तौर पर मौर्य गुट मजबूत दिखाई देता है।

संगठन के भीतर बढ़ती खाई

मौर्य गुट का दावा है कि कंसोटिया किसी भी तरह संगठन में अपनी पकड़ बनाए रखना चाहते हैं, जबकि वे 21 साल तक लगातार पद पर बने रहे। उधर कंसोटिया गुट का कहना है कि मौर्य स्वयंभू अध्यक्ष हैं और जनरल बॉडी ने ही संतोष वर्मा को चुना है।

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तनाव के बीच मौर्य की अपील

मुकेश मौर्य ने कहा कि सभी वर्गों से अपील है कि आपसी भाईचारा बनाए रखें और किसी समुदाय के खिलाफ बयान न दें। मौर्य ने आलोचना की कि संगठन के नाम पर सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है।

मामला अब सरकार और कानूनी जांच के पाले में

अजाक्स में नेतृत्व का बड़ा संकट खड़ा हो गया है। कानूनी दस्तावेजों के अनुसार मुकेश मौर्य वैध अध्यक्ष हैं, लेकिन कंसोटिया गुट इसे मानने को तैयार नहीं। विवाद बढ़ता जा रहा है और अब निर्णय सरकार व जांच एजेंसियों पर है कि संगठन का असली अध्यक्ष कौन है और आर्थिक गड़बड़ी के आरोप कितने सही हैं।

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