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Photograph: (thesootr)
JABALPUR. मध्य प्रदेश पुलिस सेवा के अधिकारी, सिवनी में पदस्थ रहे अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ASP) गुरु दत्त शर्मा का तबादला मामला एक बार फिर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट पहुंच गया है।
27 जून 2025 को सिवनी से पुलिस मुख्यालय भोपाल स्थानांतरित किए गए एएसपी गुरु दत्त शर्मा ने अपने तबादले के खिलाफ पहले सिंगल बेंच में याचिका दायर की थी, जहां उन्हें राहत नहीं मिली। अब उसी फैसले के खिलाफ उन्होंने रिट अपील दाखिल की है, जिस पर आज 19 दिसंबर को हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में पहली सुनवाई हुई।
डिविजन बेंच ने मांगा सरकार से जवाब
चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिविजन बेंच ने इस मामले में गृह सचिव सहित अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया है। कोर्ट ने राज्य सरकार को 7 जनवरी तक अपना पक्ष रखने के लिए समय दिया है। इस आदेश के साथ ही तबादला विवाद एक बार फिर चर्चा में आ गया है।
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क्या है रिट अपील में ASP का तर्क
रिट अपील में एएसपी गुरु दत्त शर्मा ने सिंगल बेंच के नवंबर 2025 के फैसले को चुनौती दी है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि उनका हाल ही में चंबल क्षेत्र से सिवनी तबादला किया गया था।
इसी दौरान सिवनी में पदस्थ एसडीओपी दीपक मिश्रा को प्रमोशन देकर भोपाल मुख्यालय में एएसपी नियुक्त कर दिया गया। इसके बाद अपीलकर्ता गुरु दत्त शर्मा को भोपाल स्थानांतरित कर दिया गया और उनके स्थान पर फिर से दीपक मिश्रा को सिवनी में एएसपी पदस्थ कर दिया गया।
अपीलकर्ता का कहना है कि यह पूरा घटनाक्रम मनमाने तरीके से किया गया, जिसे उन्होंने पहले हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन सिंगल बेंच से राहत नहीं मिलने के कारण अब रिट अपील दायर की गई है।
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पुलिस स्थापना बोर्ड का मुद्दा फिर उठा
रिट अपील में एएसपी गुरु दत्त शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट के चर्चित प्रकाश सिंह बनाम भारत संघ मामले का हवाला देते हुए कहा कि उनका मूल कैडर और रैंक डीएसपी स्तर का है।
ऐसे में पुलिस स्थापना बोर्ड (Police Establishment Board) की अनुशंसा और अनुमति के बिना उनका तबादला नहीं किया जा सकता। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि उनके रिटायर होने में केवल एक साल से कम समय बचा है। इसलिए उन्हें फील्ड पोस्टिंग से हटाना न केवल नियमों के विरुद्ध है, बल्कि अन्यायपूर्ण भी है।
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दो चार्ज शीट लंबित होने का हवाला
इससे पहले सिंगल बेंच में हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा था कि एएसपी गुरु दत्त शर्मा के खिलाफ दो अनुशासनात्मक आरोप पत्र (Charge-sheets) लंबित हैं। प्रशासनिक दृष्टिकोण से यह जरूरी था कि उन्हें सिवनी पोस्टिंग से हटाया जाए, ताकि जांच प्रक्रिया किसी भी तरह से प्रभावित न हो। सरकार ने तबादले को पूरी तरह प्रशासनिक आवश्यकता बताया था।
सिंगल बेंच ने ठहराया तबादले को सही
रिट याचिका क्रमांक 24940/2025 में जस्टिस मनिंदर सिंह भट्टी की सिंगल बेंच ने एएसपी गुरु दत्त शर्मा की याचिका खारिज करते हुए महत्वपूर्ण टिप्पणियां की थीं। कोर्ट ने कहा था कि तबादला सेवा का अनिवार्य हिस्सा है और जब तक उसमें दुर्भावना या स्पष्ट नियम उल्लंघन न हो। तब तक कोर्ट के द्वारा उसमें हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता।
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पुलिस स्थापना बोर्ड की सीमा तय
सिंगल बेंच ने स्पष्ट किया था कि प्रकाश सिंह मामले के तहत पुलिस स्थापना बोर्ड की शक्तियां डीएसपी या उससे नीचे के अधिकारियों तक सीमित हैं। चूंकि याचिकाकर्ता वर्तमान में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के पद पर कार्यरत थे, इसलिए उनके तबादले के लिए बोर्ड की पूर्व स्वीकृति अनिवार्य नहीं मानी जा सकती।
न्यूनतम कार्यकाल पर भी नहीं मिली थी राहत
कोर्ट ने यह भी कहा था कि डीएसपी या एएसपी जैसे पद उन विशिष्ट पदों में शामिल नहीं हैं, जिनके लिए सुप्रीम कोर्ट ने अनिवार्य दो वर्ष का न्यूनतम कार्यकाल तय किया है। इसलिए इस आधार पर भी तबादले को अवैध नहीं ठहराया जा सकता।
दंडात्मक नहीं माना गया था तबादला
सिंगल बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न निर्णयों का हवाला देते हुए कहा था कि केवल इस आधार पर कि अधिकारी के खिलाफ जांच लंबित है, तबादले को दंडात्मक या कलंकपूर्ण नहीं कहा जा सकता, जब तक कि स्थानांतरण आदेश में कोई आरोप दर्ज न किया गया हो।
अब डिविजन बेंच की नजरें
सिंगल बेंच द्वारा याचिका खारिज किए जाने के बाद अब पूरा मामला डिविजन बेंच के समक्ष है। 7 जनवरी को सरकार के जवाब के बाद यह स्पष्ट होगा कि क्या हाईकोर्ट का रुख बदलता है या फिर प्रशासनिक आवश्यकता को ही प्राथमिकता दी जाती है। पुलिस महकमे से जुड़े इस हाई-प्रोफाइल तबादला विवाद पर पूरे महकमे की नजरें टिकी हुई हैं।
आपको बता दें कि विभागीय सूत्रों के अनुसार जब से तबादला हुआ है तब से ही एडिशनल एसपी गुरु दत्त शर्मा ने अपना मकान खाली नहीं किया है। वहीं उनकी जगह पर पदस्थापित हुए एसपी दीपक मिश्रा जानकारी के अनुसार होटल में रह रहे हैं। बीते दिनों ऐसी भी जानकारी आई थी कि बार-बार सूचना के बाद भी मकान खाली न करने पर पुलिस द्वारा कार्यवाही की तैयारी भी की जा रही थी।
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