एमपी स्टेट बार काउंसिल की सचिव की नियुक्ति हाईकोर्ट ने की रद्द, एलडीसी पद पर रिवर्ट करने के निर्देश

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने MP स्टेट बार काउंसिल की सचिव गीता शुक्ला की नियुक्ति को अवैधानिक करार दिया है। कोर्ट ने शुक्ला को एलडीसी पद पर रिवर्ट करने का आदेश दिया और दो माह के भीतर योग्य उम्मीदवार की सचिव नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी करने को कहा।

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Neel Tiwari
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Photograph: (THESOOTR)

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JABALPUR. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की मुख्य पीठ जबलपुर ने MP स्टेट बार काउंसिल के सचिव पद पर की गई नियुक्ति को अवैधानिक करार दिया है। चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिविजनल बेंच ने स्पष्ट किया कि अधिवक्ता अधिनियम, 1961 और मध्य प्रदेश राज्य बार काउंसिल नियमों का उल्लंघन करते हुए गीता शुक्ला को सचिव नियुक्त किया गया, जो कानूनन टिकाऊ नहीं है।

कोर्ट ने एमपी स्टेट बार काउंसिल के उन दोनों आदेशों को निरस्त कर दिया, जिनके तहत पहले गीता शुक्ला को सहायक सचिव और फिर सचिव पद पर नियुक्त किया गया था।

एलडीसी पद पर लौटेंगी गीता शुक्ला

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में गीता शुक्ला को तत्काल प्रभाव से एलडीसी (लोअर डिवीजन क्लर्क) के मूल पद पर रिवर्ट करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही कोर्ट ने स्टेट बार काउंसिल को आदेशित किया कि वह दो माह के भीतर नियमों के अनुसार योग्य उम्मीदवार की सहायक सचिव और सचिव पद पर नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी करे। इस अवधि में प्रशासनिक कामकाज प्रभावित न हो, इसके लिए किसी योग्य व्यक्ति को तदर्थ सचिव के रूप में नियुक्त करने की भी व्यवस्था करने को कहा गया है।

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नहीं हो सकती नियमों की अनदेखी

कोर्ट ने आदेश में कहा कि स्टेट बार काउंसिल का सचिव पद बेहद महत्वपूर्ण और जिम्मेदार पद है, जिसके लिए नियमों में स्पष्ट योग्यताएं निर्धारित हैं। इन योग्यताओं को पूरा किए बिना की गई कोई भी नियुक्ति अवैध मानी जाएगी। कोर्ट ने पाया कि गीता शुक्ला को पहले सहायक सचिव के पद पर पदोन्नत किया गया और फिर सचिव बनाया गया, जबकि यह पूरी प्रक्रिया अधिवक्ता अधिनियम और राज्य बार काउंसिल नियमों के खिलाफ थी।

बार काउंसिल ने ही उठाई थी आपत्ति

मामले में यह भी स्पष्ट हुआ कि गीता शुक्ला की नियुक्ति को लेकर आपत्ति स्टेट बार काउंसिल के भीतर से ही उठी थी। यह याचिका अधिवक्ता अभिषेक कुमार जैन के द्वारा दायर की गई थी। इसमें उनके साथ ही स्टेट बार काउंसिल के सदस्यों शैलेंद्र वर्मा, अहदुल्ला उसमानी, हितोषी जय हर्डिया, अखंड प्रताप सिंह और नरेन्द्र जैन ने गीता शुक्ला की नियुक्ति को चुनौती दी थी। याचिका में दलील दी गई कि गीता शुक्ला को बिना आवश्यक योग्यता ‘आउट ऑफ टर्न’ प्रमोशन दिया गया, जो पूरी तरह अवैधानिक है।

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परीक्षा में 12वीं रैंक, फिर भी बना दी गईं सचिव

याचिका में बताया गया कि सहायक सचिव पद के लिए अधिवक्ताओं से आवेदन आमंत्रित किए गए थे और योग्यता व वरिष्ठता के आधार पर चयन की प्रक्रिया तय थी।

परीक्षा 1 मार्च 2019 को आयोजित की गई थी, जिसमें टॉप अभ्यर्थी को 40 अंक मिले थे, जबकि गीता शुक्ला को केवल 5 अंक प्राप्त हुए और उनका रैंक 12वां था। इसके बावजूद परीक्षा परिणामों की अनदेखी करते हुए तत्कालीन स्टेट बार अध्यक्ष द्वारा उन्हें सहायक सचिव नियुक्त कर दिया गया और बाद में सचिव पद सौंप दिया गया।

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट एमपी स्टेट बार काउंसिल चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा जस्टिस विनय सराफ गीता शुक्ला
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