एमपी विधानसभा में गूंजा जन सेवा मित्रों की नियुक्ति का मामला, बेरोजगारी पर उठे सवाल
मध्य प्रदेश विधानसभा में 9300 जन सेवा मित्रों की सेवाएं समाप्त करने का मुद्दा गरमा गया है। पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इन पदों को स्थायी करने का वादा किया था, लेकिन सीएम मोहन यादव के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद इनकी सेवाएं समाप्त कर दी गईं।
भोपाल. मध्य प्रदेश सरकार द्वारा नियुक्त किए गए 9300 जन सेवा मित्रों की नियुक्ति व उनकी सेवाएं समाप्त करने संबंधी मामला विधानसभा में गूंजा। विधायक डॉ. हीरालाल अलावा, कमलेश्वर डोडियार समेत कई अन्य विपक्षी विधायकों ने विधानसभा में इस मामले को उठाया। उन्होंने सरकार से मांग की कि जल्द से जल्द बेरोजगार हो चुके इन जन सेवा मित्रों के लिए प्रदेश सरकार कदम उठाए।
शिवराज सरकार ने किया था स्थायी करने का वादा
तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने इन 9300 जन सेवा मित्रों को स्थायी नौकरी देने का आश्वासन दिया था। उन्होंने कहा था कि "आप जन सेवा करें, आपके भविष्य की चिंता सरकार करेगी।" लेकिन 2024 में जब नई सरकार बनी और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (CM Dr. Mohan Yadav) ने कार्यभार संभाला, तो जन सेवा मित्रों की सेवाएं समाप्त कर दी गईं। इससे हजारों युवा बेरोजगार हो गए।
विधानसभा में पहले भी गूंजा मुद्दा, लेकिन कोई ठोस फैसला नहीं
9300 जन सेवा मित्रों ने विधायकों, सांसदों और अन्य जनप्रतिनिधियों से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा और अपनी नौकरियां बहाल करने की मांग की। इस मुद्दे को कई विधायकों ने विधानसभा में भी उठाया, लेकिन अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है। सरकार की ओर से सिर्फ आश्वासन (Assurance) दिए जा रहे हैं, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
मध्य प्रदेश सरकार द्वारा 9300 जन सेवा मित्रों की नियुक्ति की गई थी, जिनका मुख्य कार्य सरकारी योजनाओं (Government Schemes) को गांवों तक पहुंचाना और गरीब परिवारों को लाभ दिलाना था। इनकी मदद से कई सरकारी योजनाओं की जानकारी सीधे लाभार्थियों तक पहुंचाई जाती थी। इससे ग्रामीण इलाकों में सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन बेहतर हो रहा था।
बेरोजगार हुए जन सेवा मित्रों ने कहा कि "हमने सरकार की योजनाओं को जमीनी स्तर पर पहुंचाने में मदद की, लेकिन सरकार ने हमें ही बेरोजगार कर दिया।" उनका कहना है कि "अगर हमें फिर से नियुक्ति नहीं दी गई, तो हम बड़े आंदोलन करने को मजबूर होंगे।"
सरकार का कहना है कि "जन सेवा मित्रों की नियुक्ति अस्थायी थी। इस योजना की अवधि समाप्त होने के कारण इनकी सेवाएं खत्म कर दी गई हैं।"
वहीं, विपक्ष ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है। कांग्रेस का कहना है कि "पहले रोजगार देने की बात की गई थी, लेकिन अब 9300 युवाओं को बेरोजगार कर दिया गया है।"
जन सेवा मित्र सरकार द्वारा नियुक्त 9300 कर्मचारी थे, जिनका कार्य था सरकारी योजनाओं की जानकारी ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंचाना और गरीब परिवारों को उनका लाभ दिलाना।
सरकार ने जन सेवा मित्रों की सेवाएं क्यों समाप्त की?
सरकार का कहना है कि यह योजना अस्थायी थी और इसकी अवधि समाप्त हो चुकी है, इसलिए सेवाएं बंद कर दी गईं। हालांकि, जन सेवा मित्रों का कहना है कि शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें स्थायी करने का वादा किया था।
जन सेवा मित्रों की बहाली को लेकर सरकार का क्या रुख है?
अब तक सरकार ने सिर्फ आश्वासन दिया है, लेकिन कोई ठोस फैसला नहीं लिया गया। विधायकों ने विधानसभा में यह मुद्दा उठाया, लेकिन अब तक सरकार की ओर से कोई आधिकारिक निर्णय नहीं आया है।