पूर्व पंजीकृत अतिथियों की भागीदारी से गेस्ट फैकल्टी को चॉइस फिलिंग में पिछड़ने का अंदेशा

मध्‍य प्रदेश के कॉलेज संभाल रहे गेस्ट फैकल्टी सदस्य असमंजस में हैं। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा जारी चॉइस फिलिंग के आदेश ने उन्हें उलझन में डाल दिया है।

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Sanjay Sharma
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Photograph: (The Sootr)

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BHOPAL. मध्य प्रदेश के कॉलेजों में पढ़ाई की जिम्मेदारी संभाल रहे गेस्ट फैकल्टी सदस्य असमंजस में हैं। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा हाल ही में जारी किए गए आदेश ने उन्हें उलझन में डाल दिया है। इस आदेश में उच्च शिक्षा विभाग ने गेस्ट फैकल्टी के साथ ही पूर्व पंजीकृत अतिथि विद्वानों को चॉइस फिलिंग प्रक्रिया में शामिल किया है।

अगस्त में भी ऐसी प्रक्रिया के माध्यम से अतिथि विद्वानों को कॉलेज परिवर्तन का मौका दिया जा चुका है। अब फिर दूसरे अतिथियों के साथ उन्हें चॉइस फिलिंग में शामिल किया जा रहा है। इस प्रतिस्पर्धा के चलते चॉइस फिलिंग में पिछड़ने की आशंका गेस्ट फैकल्टी का परेशान कर रही है।  

च्वाइस फिलिंग के लिए कैलेंडर जाारी

उच्च शिक्षा विभाग द्वारा शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए अपनी सहूलियत और पसंद के कॉलेजों में स्थल परिवर्तन की प्रक्रिया शुरू की है। इसके लिए जो कैलेंडर जारी किया गया है उसे प्रक्रिया 2 सितम्बर से शुरू हो गई है। इस प्रक्रिया में कॉलेजों में पढ़ाने वाले और पूर्व से पंजीकृत गेस्ट फैकल्टी को एक साथ रखा गया है।

उच्च शिक्षा विभाग ने सत्र 2025 - 26 के लिए 02 सितंबर 2025 को पूर्व पंजीकृत आवेदक एवं कार्यरत अतिथि विद्वानों के स्थल परिवर्तन के लिए चॉइस फिलिंग का कैलेंडर जारी किया है। जिसमें 02 से 10 सितंबर तक महाविद्यालय द्वारा कार्यभार के आधार पर पद की वर्तमान स्थिति के आधार पर पूर्व पंजीकृत और कार्यरत गेस्ट फैकल्टी की अर्हता का सत्यापन कराया जाएगा।

दूसरे चरण में 11 से 21 सितम्बर के बीच चॉइस फिलिंग, 23 सितम्बर को कॉलेज आवंटन सूची का प्रकाशन किया जाएगा जबकि 23 से 26 सितम्बर के बीच कॉलेजों में ज्वाइनिंग देनी होगी। 

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चॉइस फिलिंग में पिछड़ेंगे गेस्ट फैकल्टी

इस प्रक्रिया में पूर्व पंजीकृत अतिथि विद्वानों को शामिल करने से गेस्ट फैकल्टी को पसंद के कॉलेज के चयन में पिछड़ने नजर आ रहे हैं। संयुक्त अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ.सुरजीत सिंह भदौरिया के अनुसार च्वाइस फिलिंग मैरिट के आधार पर तय होगी।

प्रदेश में पूर्व में दो वर्षीय स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम संचालित थे जबकि बाद में इन्हें सेमेस्टर प्रणाली में बदल दिया गया। सेमेस्टर प्रणाली से पासआउट अतिथि मैरिट में मामले में सालाना पाठ्यक्रम से पास हुए अतिथियों के मुकाबले में आगे रहते हैं। यानी फायदा पूर्व पंजीकृत अतिथियों को मिलेगा और कार्यरत गेस्ट फैकल्टी पीछे रह जाएगी। 

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पूर्व में हुई चॉइस फिलिंग का क्या होगा

गेस्ट फैकल्टी संगठन के पदाधिकारी शंकरलाल खरवाडिया का कहना है अगस्त माह में स्थल परिवर्तन का पहला चरण पूरा हो चुका है। इसका मतलब है कॉलेजों में पढ़ा रहे गेस्ट फैकल्टी चॉइस फिलिंग कर चुके हैं। अब नए सिरे से पूर्व पंजीकृत अतिथि विद्वानों के साथ उन्हें फिर चॉइस फिलिंग प्रक्रिया में शामिल किया जा रहा है।

इस वजह से गेस्ट फैकल्टी चुने हुए कॉलेज को दोबारा चुनने मजबूर हैं और प्रतिस्पर्धा में पिछड़ने से आशंकित हैं। एक माह के अंतराल में उच्च शिक्षा विभाग द्वारा पहले से ही इस प्रक्रिया का पालन कर चुके गेस्ट फैकल्टी को फिर इसमें शामिल किया जा रहा है।

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