MP में 4 साल में 1054 करोड़ रुपए की साइबर ठगी, पुलिस केवल 1 करोड़ 90 लाख ही दिला पाई वापस

मध्य प्रदेश में 4 सालों में 1054 करोड़ रुपए की साइबर ठगी की रिपरोर्ट सामने आई है। वहीं पुलिस केवल 1.90 करोड़ रुपए की ही वापसी कर पाई है। जानें क्या कहती है रिपोर्ट...

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Amresh Kushwaha
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मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में पिछले चार सालों में साइबर ठगी का एक बड़ा मामला सामने आया है। इसमें कुल 1054 करोड़ रुपए की ठगी हुई है। इस दौरान साइबर ठगों ने लोगों के बैंक खातों और मोबाइल फोन को निशाना बनाकर लाखों रुपए उड़ा लिए।

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इन 1054 करोड़ रुपए में से पुलिस केवल 1.90 करोड़ रुपए ही वापस लाने में सफल हो पाई है। यह मामला तब सामने आया जब कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह ने विधानसभा में गृह विभाग से इस विषय पर जवाब मांगा।

विधानसभा में सामने आए ठगी के आंकड़े

एमपी विधानसभा के मानसून सत्र में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, 1 मई 2021 से लेकर 13 जुलाई 2025 तक मध्य प्रदेश में साइबर फ्रॉड के जरिए 1054 करोड़ रुपए की ठगी की गई। गृह विभाग ने जानकारी दी कि इस दौरान लगभग 105.21 रुपए करोड़ होल्ड किए गए, लेकिन इन रकमों की रिकवरी में पुलिस की सफलता बहुत सीमित रही है। आंकड़ों के मुताबिक, कुल रुपए1.94 करोड़ रुपए ही साइबर ठगी के शिकार लोगों को वापस मिल पाए हैं।

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हर साल बढ़ रही ठगी की शिकायतें

पुलिस विभाग के सीसीटीएनएस (CCNS) डेटा के अनुसार, पिछले चार वर्षों में हर साल 4 लाख से अधिक ECIR (एनफोर्समेंट केस इनफार्मेशन रिपोर्ट) दर्ज हो रहे हैं। हालांकि 2023 में यह आंकड़ा गिरकर 2.48 लाख हो गया, लेकिन 2024 और 2025 में मामलों की संख्या फिर से बढ़ने की संभावना है।

ठगी के मामले को लेकर ECIR के आंकड़ों पर एक नजर...

  • 2020 में 4 लाख 28 हजार 046 मामले (IPC: 2 लाख 83 हजार 081 - SLL: 1 लाख 44 हजार165)

  • 2021 में 4 लाख 88 हजार 966 मामले

  • 2022 में 4 लाख 94 हजार 426 मामले

  • 2023 में 2 लाख 48 हजार 188 मामले

  • 2024-2025 (15 जुलाई तक) कुल 1 लाख 82 हजार 372 मामले दर्ज हुए

इससे साफ है कि पुलिस के जरिए दर्ज किए गए मामलों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है, लेकिन ठगी की रकम और उनकी वापसी में कोई ठोस सुधार नहीं दिख रहा है।

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कांग्रेस विधायक ने जताई गहरी चिंता

कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह ने इस मुद्दे पर गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ऑनलाइन ट्रांजैक्शन्स को बढ़ावा देते हैं, लेकिन मध्य प्रदेश में चार सालों में एक हजार करोड़ रुपए से अधिक की ठगी हुई है, और पुलिस केवल 1.90 करोड़ रुपए ही वापस कर पाई है। इससे यह साफ होता है कि ऑनलाइन ट्रांजैक्शन्स में कितना बड़ा खतरा है।

पुलिस की नाकामी पर उठाए सवाल

जयवर्धन सिंह ने कहा कि साइबर फ्रॉड को रोकने के लिए मप्र पुलिस के पास न तो पर्याप्त संसाधन हैं और न ही गंभीरता। उन्होंने आरोप लगाया कि मप्र पुलिस की साइबर विंग की तरफ से कोई ठोस प्रयास नहीं किया गया जिससे कि बेहतर रिकवरी हो सके। वह यह भी मानते हैं कि सरकार को इस गंभीर विषय पर ध्यान देने की जरूरत है।

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साइबर ठगों के तरीके

साइबर ठग लोग तरह-तरह के डर और लालच के उपायों का सहारा लेते हैं ताकि वे लोगों के व्यक्तिगत डेटा और बैंक खाता जानकारी चोरी कर सकें। इसके बाद, ये ठग रकम को ट्रांसफर करने में सफल हो जाते हैं। साइबर ठगी की इन घटनाओं में रोज बढ़ोतरी हो रही है। वहीं पुलिस की कार्रवाई में कमियां साफ नजर आ रही हैं।

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