MP में दूध उत्पादक किसानों को बोनस का इंतजार, 5 रुपए प्रति लीटर प्रोत्साहन राशि का वादा अधूरा

मध्य प्रदेश सरकार ने फरवरी 2024 में दूध उत्पादक किसानों को 5 रुपए प्रति लीटर प्रोत्साहन राशि देने का वादा किया था। अब तक करीब सवा साल बाद भी योजना लागू नहीं हुई है। किसान इस राशि के इंतजार में हैं।

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The Sootr
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BHOPAL. मध्य प्रदेश के लाखों दूध उत्पादक किसानों के लिए उम्मीद भरी घोषणा पिछले साल फरवरी में की गई थी। सरकार ने ऐलान किया था कि दूध उत्पादकों को प्रति लीटर 5 रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इस घोषणा ने किसानों के चेहरों पर मुस्कान ला दी थी, पर करीब सवा साल बीत जाने के बाद भी वादा हवा-हवाई है।

गौरतलब है कि फरवरी 2024 में सरकार ने सूबे के दूध उत्पादक किसानों को प्रोत्साहन राशि देने का वादा किया था। इस योजना के तहत करीब 200 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान था। वित्त विभाग ने इस योजना को हरी झंडी दे दी थी। किसानों को उम्मीद थी कि उनकी मांग अब पूरी होने वाली है, लेकिन अब हकीकत यह है कि योजना कागजों में उलझी है। 

NDDB के साथ नया समझौता, पुराना वादा अधूरा

इस बीच, सरकार ने डेयरी क्षेत्र में बड़े बदलाव की दिशा में कदम उठाया। अप्रैल 2025 में मध्यप्रदेश सरकार, मप्र राज्य सहकारी डेयरी फेडरेशन और नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB) के बीच एमओयू हुआ है। इसके तहत डेयरी फेडरेशन व दुग्ध संघों के सीईओ की जिम्मेदारी अब NDDB द्वारा नामित अधिकारियों को दी गई है।

इस समझौते का मकसद गांवों में दूध संग्रहण केंद्र बढ़ाना, डेयरी यूनियनों की प्रोसेसिंग क्षमता को मजबूत करना और डेयरी समितियों की संख्या में इजाफा करना है। सरकार का दावा है कि इससे दूध संग्रहण में बढ़ोतरी होगी। इन सबके बीच 5 रुपए प्रति लीटर बोनस का वादा मानो कहीं गुम हो गया है।

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लक्ष्य बड़े और काम धीमे 

सरकार ने डेयरी क्षेत्र को मजबूत करने के लिए कई बड़े लक्ष्य तय हैं। इसके तहत डेयरी समितियों की संख्या 6 हजार से बढ़ाकर 9 करना तय किया गया है। प्रत्येक समिति 1 से 3 गांवों को कवर करती है, यानी 18 हजार गांवों तक दूध संग्रहण की पहुंच होगी। प्रतिदिन 10.5 लाख किलोग्राम दूध संग्रहण को बढ़ाकर 20 लाख किलोग्राम करने का लक्ष्य है। 

हर दिन की करीब 11.3 लाख लीटर दूध खरीद को बढ़ाकर 13.7 लाख लीटर करने का लक्ष्य है। डेयरी प्लांट्स की प्रोसेसिंग क्षमता को 18 लाख लीटर रोजाना से बढ़ाकर 30 लाख लीटर प्रतिदिन करने का टारगेट है। अगले पांच साल में 1500 करोड़ का निवेश और डेयरी किसानों की वार्षिक आय को 1700 करोड़ से बढ़ाकर 3500 करोड़ रुपए करने का लक्ष्य है। 

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सरकार ने योजना का नाम बदला

इस बीच सरकार ने मुख्यमंत्री पशुपालन विकास योजना का नाम अब डॉ. भीमराव अम्बेडकर कामधेनु योजना भी ​कर दिया है। इसके अंतर्गत 25 दुधारू गाय अथवा भैंस की इकाई स्थापित करने का प्रावधान किया गया है। सरकार का दावा है कि प्रदेश की गोशालाओं को हाइटेक बनाया जा रहा है। 

ग्वालियर की आदर्श गोशाला में देश के पहले 100 टन क्षमता वाले सीएनजी प्लांट की स्थापना की गई है। भोपाल के बरखेड़ी-डोब में 10 हजार गोवंश क्षमता वाली हाईटेक गौ-शाला बनाई जा रही है। प्रदेश के सवा 2 लाख किसानों एवं दुग्ध उत्पादकों को सहकारिता के माध्यम से जोड़ा गया है।

सरकार द्वारा दुग्ध सहकारी संघों के डेयरी प्रोडक्ट्स को मार्केट लिंकेज दिलाकर वैश्विक सप्लाई चेन से कनेक्ट करने की योजना पर काम हो रहा है। पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए नई योजना के तहत 25 या 25 से ज्यादा गायों का पालन करने वाले पशुपालकों को पशुपालन पर अनुदान दिया जाएगा।

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किसानों का सवाल: हमारा हक कहां है?

इन वादों और योजनाओं के बीच किसानों का एक ही सवाल है कि प्रति लीटर 5 रुपए की प्रोत्साहन राशि का क्या हुआ? सरकार ने न तो इस राशि के वितरण का कोई तरीका तय किया और न ही कोई ठोस आश्वासन दिया। इससे किसानों में निराशा बढ़ रही है। 

विपक्ष ने उठाए सवाल 

सरकार के अधूरे वादे पर कांग्रेस सवाल खड़े करती है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार का कहना है कि 15 महीने हो गए, पर दूध किसानों को बोनस का एक रुपया तक नहीं मिला। सरकार ने किसानों से झूठे सपने बेचे। क्या यही है भाजपा का डबल इनकम मॉडल? उन्होंने कहा कि ये सरकार सिर्फ घोषणाओं और जुमलों की खिलाड़ी बन चुकी है, जमीनी सच्चाई से इसका कोई लेना-देना नहीं।

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किसानों के बोनस को लेकर 'द सूत्र' ने पशुपालन एवं डेयरी मंत्री लखन पटेल से सरकार का पक्ष जानने के लिए उनके मोबाइल नंबर पर कई बार संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन कमजोर नेटवर्क की वजह से उनसे बात नहीं हो सकी।

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