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Photograph: (the sootr)
BHOPAL.मध्यप्रदेश में खरीफ सीजन, 2025-26 के लिए समर्थन मूल्य पर धान खरीदी 1 दिसंबर से शुरू हो चुकी है। यह प्रक्रिया 20 जनवरी 2026 तक चलेगी।
सरकार ने सामान्य धान का भाव 2369 रुपए और ग्रेड-ए धान का भाव 2389 रुपए प्रति क्विंटल तय किया है। लेकिन जमीनी हकीकत इससे अलग नजर आ रही है। कई जिलों से किसानों के शोषण और अनियमितताओं की शिकायतें सामने आ रही हैं।
एक बोरी में 40 नहीं, 41 किलो धान
किसानों का आरोप है कि खरीदी केंद्रों पर नियमों को ताक पर रखकर तौल की जा रही है। सरकारी नियम के मुताबिक एक बोरी में 40 किलो धान तौला जाना चाहिए, लेकिन कई केंद्रों पर 41 किलो या उससे ज्यादा धान भरवाया जा रहा है। इस तरह हर क्विंटल पर करीब 2.5 किलो अतिरिक्त धान लिया जा रहा है। सीधे शब्दों में कहें तो एक क्विंटल धान पर किसान से करीब 58 रुपये की अवैध कटौती हो रही है।
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गुणवत्ता और ग्रेड के नाम पर परेशान
किसानों का कहना है कि उन्हें कॉमन और ग्रेड-ए के नाम पर बार-बार रोका जा रहा है। गुणवत्ता जांच की प्रक्रिया में अनावश्यक देरी की जा रही है, जिससे किसान कई दिनों तक केंद्रों पर इंतजार करने को मजबूर हैं। विरोध करने पर तुलाई रोकने और उपज वापस ले जाने की धमकी तक दी जा रही है।
राज्य में कितने किसान, कितने केंद्र?
इस बार धान बेचने के लिए प्रदेशभर में 8 लाख 59 हजार 916 किसानों ने पंजीयन कराया है। खरीदी के लिए 1434 केंद्र बनाए गए हैं। केंद्र सरकार ने देशभर के लिए 463.49 लाख टन धान खरीदी का लक्ष्य तय किया है, लेकिन मध्यप्रदेश के लिए कोई अलग लक्ष्य घोषित नहीं किया गया है। यहां खरीदी पूरी तरह किसानों की उपलब्धता पर निर्भर है।
कटनी के सनगोड़ी केंद्र पर गंभीर आरोप
कटनी जिले के विजयराघवगढ़ विधानसभा क्षेत्र के सनगोड़ी धान खरीदी केंद्र क्रमांक-1 पर किसानों ने गंभीर आरोप लगाए हैं। किसानों का कहना है कि उनकी मौजूदगी में ही बोरियों में 41 किलो से ज्यादा धान भरवाया जा रहा है, जबकि टैग पर 40 किलो ही लिखा जा रहा है। हर बोरी में 1 से 1.5 किलो धान का नुकसान हो रहा है, जिससे किसानों की मेहनत की कमाई पर सीधा असर पड़ रहा है।
विरोध किया तो तौल बंद
किसानों का आरोप है कि जब उन्होंने अतिरिक्त तौल का विरोध किया, तो केंद्र कर्मचारियों ने तुलाई रोक दी। साफ शब्दों में कहा गया कि या तो इसी तरह तौल होगी या फिर अपनी फसल वापस ले जाएं। ठंड में कई दिनों से लाइन में लगे किसान मजबूरी में चुप रहने को मजबूर हैं।
हम्माली और तुलाई का खर्च भी किसानों से
नियमों के मुताबिक तुलाई, सिलाई और लोडिंग का खर्च प्रशासन को वहन करना होता है। लेकिन किसानों का कहना है कि सनगोड़ी केंद्र पर यह खर्च भी उनसे वसूला जा रहा है। छोटे किसानों का कहना है कि अतिरिक्त वजन और अवैध वसूली ने उन्हें कर्ज के और करीब धकेल दिया है।
किसान नेता बनाम खरीदी प्रभारी
किसान नेता इंदल मिश्रा का कहना है कि यह समस्या सिर्फ एक केंद्र तक सीमित नहीं है। पूरे जिले में इसी तरह धान पर कटौती की जा रही है। वहीं, खरीदी प्रभारी कृष्णकांत पाठक का तर्क है कि समय पर परिवहन नहीं होने से धान सूखती है। जिससे समिति को नुकसान होता है, इसलिए किसानों की सहमति से अतिरिक्त राशि ली जाती है।
अब तक कितनी धान खरीदी हुई?
खाद्य मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के मुताबिक अब तक 4 लाख 9 हजार 545 किसानों से 25 लाख 93 हजार 971 मीट्रिक टन धान खरीदी जा चुकी है। किसानों को 3529 करोड़ रुपए से ज्यादा का भुगतान किया जा चुका है। खरीदी 20 जनवरी 2026 तक जारी रहेगी।
खरीदी हो रही, लेकिन उठाव अटका
बालाघाट और लालबर्रा क्षेत्र में धान की खरीदी तो हो रही है, लेकिन परिवहन की कमी के कारण उठाव नहीं हो पा रहा है। बालाघाट जिले में करीब 11 लाख क्विंटल धान खुले में पड़ी है। अब तक 23 लाख 80 हजार क्विंटल धान का परिवहन कर गोदामों में भंडारण किया जा सका है।
भुगतान में देरी से बढ़ी मुश्किलें
धान का समय पर भुगतान न मिलने से किसान आर्थिक संकट में हैं। खेती के कर्ज, मजदूरी और घरेलू खर्च चुकाना मुश्किल हो रहा है। किसानों ने सरकार से चुनावी वादों को जल्द पूरा करने की मांग की है। चेतावनी दी गई है कि मांगें नहीं मानी गईं तो आंदोलन तेज होगा।
6500 क्विंटल धान जब्त, गोदाम सील
बालाघाट में प्रशासन ने एक व्यापारी के गोदाम से 6500 क्विंटल धान जब्त कर गोदाम सील कर दिया। यह कार्रवाई कलेक्टर मृणाल मीणा के निर्देश पर की गई। किरनापुर के परसवाड़ा स्थित एकेएन ट्रेडर्स में जांच के दौरान भारी मात्रा में धान मिला। निरीक्षण के समय व्यापारी और उसका प्रतिनिधि मौके से फरार हो गए।
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प्रशासन का सख्त संदेश
प्रशासन ने साफ किया है कि धान उपार्जन में किसी भी तरह की गड़बड़ी, अवैध भंडारण या नियम उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई जारी रहेगी। अब सवाल यह है कि क्या इन कार्रवाइयों से खरीदी व्यवस्था सुधरेगी, या अन्नदाता की परेशानी यूं ही बनी रहेगी?
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