सिंगापुर घूमने के लिए एमपी में शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों ने तोड़े नियम

स्कूल शिक्षा विभाग की तरफ से सिंगापुर के स्टडी टूर पर 5 जनवरी को मध्यप्रदेश के प्राचार्य और वरिष्ठ शिक्षकों का 68 सदस्यीय दल रवाना हुआ था। इस विदेश यात्रा के लिए उम्र, पद और परफॉर्मेंस का क्राइटेरिया तय किया गया था।

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Sanjay Sharma
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स्टार्स परियोजना (स्ट्रेंथनिंग टीचिंग-लर्निंग एण्ड रिजल्ट्स फॉर स्टेट्स प्रोजेक्ट) के तहत सिंगापुर के स्टडी टूर को दो महीने बीत चुके हैं। शिक्षा विभाग से इस टूर के लिए प्रदेश भर से प्राचार्य और वरिष्ठ शिक्षकों को चिन्हित किया गया था। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य दुनिया के प्रमुख देशों की शिक्षा प्रणाली का अध्ययन था।

इसके आधार पर देश और प्रदेश की स्कूली शिक्षा को आधुनिक और बेहतर बनाया जा सके। लेकिन शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारियों ने इसमें भी सेंधमारी कर डाली। ये अधिकारी स्टडी टूर के लिए चुने गए प्राचार्य और शिक्षकों की लिस्ट में शामिल कर खुद सैर सपाटा करने में कामयाब हो गए हैं। यानी अपनी मौज मस्ती के चक्कर में उन्होंने केंद्रीय शिक्षा विभाग के महत्वपूर्ण कार्यक्रम को भी नहीं छोड़ा।

स्टडी टूर से ये टीम दो महीने पहले वापस लौट आई है। उधर प्रदेश का शिक्षा विभाग दो महीने से सरकार के लाखों रुपए अपने सैर सपाटे पर उड़ाने वाले इन अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने की बात कर रहा है लेकिन अब तक कार्रवाई शुरू ही नहीं हो पाई है। यानी नियमों को तोड़कर राष्ट्रीय महत्व के प्रोजेक्ट का मजाक बनाने वालों को शिक्षा विभाग के अफसर ही बचाने में लगे हुए हैं।  

5 जनवरी को रवाना हुआ था 68 सदस्यीय दल

स्कूल शिक्षा विभाग की तरफ से सिंगापुर के स्टडी टूर पर 5 जनवरी को मध्यप्रदेश के प्राचार्य और वरिष्ठ शिक्षकों का 68 सदस्यीय दल रवाना हुआ था। इस विदेश यात्रा के लिए उम्र, पद और परफॉर्मेंस का क्राइटेरिया तय किया गया था। अधिकारियों ने विदेश यात्रा के चक्कर में विभाग द्वारा तय उम्र और पद का नियम खुद ही तोड़ दिए।

सबसे अहम बात ये है कि जिस अधिकारी पर गाइडलाइन बनाने की जिम्मेदारी थी वे खुद भी नियम विरुद्ध अध्ययन दल में शामिल हो गए। शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी सिंगापुर के सैर सपाटे के चक्कर में अपना पद नाम बदलने में भी नहीं हिचकिचाए। कोई कम्प्युटर प्रोग्रामर की जगह प्राचार्य तो कोई डेटा मैनेजर की जगह खुद को वरिष्ठ शिक्षक बताकर विदेश में मौज मस्ती कर आए।  

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खुद बनाए और खुद ही तोड़े नियम 

दरअसल, सिंगापुर की स्कूल शिक्षा के अध्ययन के लिए प्राचार्य और वरिष्ठ शिक्षकों के चयन के लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने परफॉर्मेंस, पद और उम्र का क्राइटेरिया तय किया था। इसमें ऐसे शिक्षक और प्राचार्यों को शामिल किया गया जिनके स्कूल में बोर्ड कक्षाओं का परिणाम 90 प्रतिशत से ज्यादा रहा हो। वहीं वरिष्ठ शिक्षकों का सर्विस के लिहाज से प्राचार्यों के समकक्ष होना जरूरी था। इसके अलावा अध्ययनदल में शामिल प्राचार्य-शिक्षकों की उम्र 58 साल से अधिक और सेवानिवृत्ति 2029 के बाद होनी थी। इन नियमों के आधार पर विभाग द्वारा प्रदेशभर से 68 सदस्यों का चयन किया। लिस्ट तैयार होने के बाद अचानक शिक्षा विभाग के 19 अधिकारियों के नाम जोड़कर चुने हुए प्राचार्य और शिक्षकों को बाहर कर दिया गया। यानी स्टडी टूर के लिए चुने गए 68 में से केवल 49 लोग ही रवाना हो सके। 

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दो महीने बीते नहीं हुआ प्रजेंटेशन 

शिक्षा विभाग के 19 अधिकारी अनाधिकृत होते हुए भी सिंगापुर के स्टडी टूर पर रवाना हुए थे। राज्य शिक्षा केंद्र के प्रोग्रामर महेश मूलचंदानी, शेखर सराठे ने विदेश यात्रा के लिए खुद को प्रिंसिपल, आईटी( डेटा मैनेजमेंट) दर्ज कराया। प्रतिनियुक्ति पर आए शिक्षा विभाग के ओएसडी चंद्रशेखर सोलंकी भी सिंगापुर की यात्रा करने गए थे जबकि उन्हें इसकी पात्रता नहीं थी। वे पांच साल पहले भी विभाग की ओर से दक्षिण कोरिया का दौर कर चुके हैं।

अनाधिकृत रूप से सिंगापुर जाने वालों में चार ऐसे अधिकारी भी शामिल रहे जो उम्र के दायरे से बाहर थे। इनमें राज्य शिक्षा केंद्र के अतिरिक्त संचालक शितांशु शुक्ला की उम्र 60 साल है। उनका जन्म 1964 में हुआ था। अतिरिक्त संचालक ओमकारलाल मंडलोई , वित्त नियंत्रक पंकज मोहन और प्रोग्रामर महेश मूलचंदानी का जन्म 1965 में हुआ था। इस लिहाज से वे भी 58 साल की आयु सीमा के दायरे से बाहर थे।

आयु सीमा का यह बंधन इसलिए रखा गया था ताकि टूर पर ऐसे शिक्षक और प्राचार्य जाएं जिनका लाभ विभाग को आने वाले सालों में मिलता रहे और वे एक-दो साल में ही सेवानिवृत्त न हो जाएं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि स्टडी टूर के लिए पात्रों के चयन की गाइडलाइन अतिरिक्त संचालक शितांशु शुक्ला ने तैयार की थी लेकिन वे खुद नियमों को तोड़ने में आगे रहे। 

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कोरिया स्टडी टूर भी रहा था बेनतीजा 

पांच साल पहले भी इस प्रोजेक्ट के तहत स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा स्कूलों के प्राचार्य, शिक्षकों के अलावा विभागीय अधिकारियों के 200 सदस्यीय दल को दक्षिण कोरिया भेजा गया था। अध्ययन दल के साथ तत्कालीन स्कूल शिक्षा मंत्री प्रभुराम चौधरी और प्रमुख सचिव भी रवाना हुए थे। तीन चरण में पूरे हुए इस स्टडी टूर पर सरकार ने 10 करोड़ से ज्यादा राशि खर्च की थी।

स्टडी टूर के बाद विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव ने एक प्रजेंटेशन भी पेश किया था जिसके आधार पर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में बुनियादी सुधार, आधुनिक शिक्षा के लिए कक्षाओं को हाईटेक बनाने के अलावा व्यावसायिक पाठ्यक्रम शामिल करने की सिफारिश की गई थी। हांलाकि पांच साल बाद भी अध्ययन दल की एक भी सिफारिश शिक्षा विभाग ने नहीं मानी और न कोई बदलाव किया गया। यानी जिस स्टडी टूर पर 10 करोड़ रुपए खर्च किए उसका कोई भी लाभ प्रदेश को नहीं मिला। 

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सरकारी खर्च पर सैर सपाटा, विभाग की चुप 

दो महीने पहले छह दिन तक सिंगापुर में सैर सपाटा करने वाले 19 अधिकारियों पर शिक्षा विभाग मेहरबान है। प्राचार्य और शिक्षकों की जगह सरकारी खर्च पर विदेश में मौज मस्ती करने वाले लोक शिक्षण संचालनालय, राज्य शिक्षा केंद्र और शिक्षा विभाग के अधिकारियों की अनाधिकृत यात्रा पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

उनसे सरकार के बजट की बर्बादी को लेकर कोई सवाल-जवाब तक नहीं किए गए। जबकि अधिकारियों की कारगुजारी उजागर होने पर विभाग के सचिव संजय गोयल ने स्टडी टूर से वापसी के बाद ऐसे अधिकारियों से जवाब तलब करने और नियम विरुद्ध यात्रा की पुष्टि होने पर वसूली की कार्रवाई का भरोसा दिलाया  था। अब इस मामले में छाई चुप्पी साफ बता रही है कि विदेश में सैर सपाटा करने वालों पर विभाग खूब मेहरबान है।

स्टार्स प्रोजेक्ट के लिए चिन्हित है मध्यप्रदेश 

स्टार्स परियोजना (स्ट्रेंथनिंग टीचिंग-लर्निंग एण्ड रिजल्टस फॉर स्टेट्स प्रोजेक्ट) भारत सरकार की विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित परियोजना है। इस परियोजना के संचालन के लिए देश के कुल 6 राज्यों में मध्यप्रदेश भी शामिल है। स्टार्स प्रोजेक्ट के अंतर्गत स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा चयनित अधिकारी एवं शिक्षकों को वैश्विक शिक्षा प्रणाली, शिक्षा की गुणवत्ता और तकनीकी के बारे में जानने सिंगापुर की प्रिंसिपल्स एकेडमी भेजा गया था।

यह एकेडमी सिंगापुर इकॉनामिक डेवलपमेंट बोर्ड द्वारा स्थापित विश्वविख्यात संस्थान है। सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थी मूल्यांकन कार्यक्रम "पीसा-2024" के अनुसार विश्व में पहले स्थान पर है। प्रशिक्षण के लिए मॉडल डाइट एवं उत्कृष्ट रिजल्ट देने वाले सरकारी स्कूलों के प्राचार्य और उनके समकक्ष शिक्षकों को चयन किया गया था। 

स्टडी टूर से चूके मंत्री, पीए घूम आए सिंगापुर 

सूत्रों के अनुसार स्टार्स प्रोजेक्ट के तहत स्टडी टूर पर मध्यप्रदेश से दो चरणों में 120 शिक्षक, प्राचार्य और शिक्षा विभाग के अधिकारी सिंगापुर गए थे। स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह और उनके सहयोगी आलोक खरे का नाम भी इस लिस्ट में शामिल था। हालांकि पारिवारिक कार्यक्रम की वजह से स्कूल शिक्षा मंत्री स्टडी टूर पर नहीं जा सके जबकि उनके सहयोगी आलोक खरे को सिंगापुर घूमने का मौका मिल गया। 

विभाग के अधिकारियों का कहना है प्राचार्य और शिक्षकों के अलावा कुछ तकनीकी एक्सपर्ट को भी भेजना था इसके कारण डेटा मैनेजर और प्रोग्रामर को टूर पर रवाना किया गया था। वहीं शिक्षा विभाग के असिस्टेंट डायरेक्टर से ऊपर किसी भी अधिकारी की आयु 60 साल से कम नहीं है। इस कारण आयु सीमा की बाध्यता को तोड़ना पड़ा था।

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