BHOPAL : होमबायर्स से करोड़ों की धोखाधड़ी के आरोपों से घिरे बिल्डर को बचाने की कोशिश अब भी जारी है। सरकारी सिस्टम में काबिज अफसरों की वजह से ही ईओडब्ल्यू जैसी संस्था कार्रवाई नहीं कर पा रही है। यानी बिल्डर के रसूख के आगे आर्थिक अपराधों की पड़ताल करने वाले ईओडब्ल्यू का तंत्र ढीला पड़ चुका है। ईओडब्ल्यू ने एजी-8 वेंचर्स के प्रोजेक्ट्स में गड़बड़ी की शिकायत पर साल 2019 में अपराध दर्ज किया था। केस दर्ज होने के बाद अधिकारी दो बार होमबायर्स को कभी ऑफिस बुलाकर और कभी ऑनलाइन बयान दर्ज कर चुके हैं। इसके बाद भी अब तक बिल्डर की धोखाधड़ी की जांच ही पूरी नहीं हो पाई है। वहीं होमबायर्स को अब पता चला है कि शिकायत के समय दो-दो बार दर्ज कराए गए दर्जन भर बयान रिकॉर्ड से गायब हैं। यानी आर्थिक अपराध की पड़ताल के दौरान बयान ही गायब कर दिए गए और अफसरों को इसकी खबर तक नहीं लगी।
दो बार लिए बयान, दर्जन भर गायब हो गए
लुभावने विज्ञापन और वादों के झांसे में आकर सैकड़ा भर से ज्यादा परिवारों ने एजी-8 वेंचर्स के प्रोजेक्ट आकृति एक्वासिटी और अन्य में मकान बुक किए थे। लाखों रुपए बुकिंग के नाम पर जमा कराने के बाद बिल्डर ने काम आगे नहीं बढ़ाया। यानी 2011 में बुकिंग कराने के बाद भी 2019 में भी मकान का काम 20 या 30 फीसदी ही हुआ था। धोखे का अंदेशा होने पर होमबायर्स एकजुट हुए और उन्होंने रेरा यानी भू संपदा विनियामक प्राधिकरण के साथ ही ईओडब्ल्यू में भी शिकायत की थी। लेकिन बिल्डर कंपनी पर इसका कोई असर नहीं हुआ और उसने काम पूरी तरह रोक दिया था। शिकायत की पड़ताल के नाम पर ईओडब्ल्यू थाने द्वारा होमबायर्स को सूचना भेजकर उनके बयान दर्ज किए गए। जो लोग थाने नहीं पहुंच पाए थे उनके बयान ई-मेल के जरिए ईओडब्ल्यू एसपी को भेजे गए थे। लेकिन साल 2019 और फिर 2022 में दो बार बयान दर्ज कराए गए लेकिन अब ये बयान ईओडब्ल्यू की फाइल से गायब बताए जा रहे हैं। यानी बिल्डर हेमंत सोनी की धोखाधड़ी की जांच से करीब एक दर्जन होमबायर्स के बयान रिकॉर्ड पर नहीं हैं। जबकि उनके द्वारा ये बयान मेल से भेजे गए हैं।
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5 साल बाद भी जांच नहीं हो पाई पूरी
मकान बनाकर देने का वादा तोड़कर करोड़ों रुपए डकाने वाले बिल्डर हेमंत सोनी, राजीव सोनी और उनके साथियों पर ईओडब्ल्यू ने 9 जुलाई 2019 में केस दर्ज किया था। इसके महीने भर बाद होमबायर्स को बयान दर्ज कराने बुलाया गया। हांलाकि इसमें कई लोगों ने अपने कथन तत्कालीन जांच अधिकारी हरिओम दीक्षित के सामने दर्ज कराए थे। कुछ लोगों ने ईओडब्ल्यू थाने जाकर तो कुछ लोगों ने शहर और प्रदेश के बाहर होने का हवाला देकर ऑनलाइन बयान दर्ज कराए थे। इसके बाद होमबायर्स को अपने पक्ष में कार्रवाई होने की उम्मीद बंध गई थीं, लेकिन महीनों बीतते चले गए। साल 2022 में होमबायर्स ने शिकायत की तो एक बार फिर ईओडब्ल्यू में उन्हें बुलाया गया। इस बार जांच डीएसपी अनिल ठाकुर कर रहे थे। जब दोबारा बयान के लिए बुलाया तब होमबायर्स को ई-मेल से बेचे गए अपने कथन गायब होने का पता चला था। यानी साल 2019 में दर्ज हुआ केस अब भी फाइलों में भी दबा पड़ा है।
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सारे साक्ष्य उपलब्ध फिर कहा अटका केस
होमबायर भानू यादव, अनिल केकरे, मनीष कुमार पांडे, मनीष कुमार शर्मा, अमित प्रताप सिंह, प्रकाश तोलानी, अनुराग गुप्ता, दीप्ति तिवारी जैसे 45 से ज्यादा शिकायतें ईओडब्ल्यू में की थी। इन सभी ने स्वयं जाकर या ई मेल के जरिए अपने बयान भी दर्ज कराए थे। इसके अलावा सभी ने बिल्डर से हुए मकान के अनुबंध, उसे सौंपी गई लाखों रुपए की रसीद, बैंक ट्रांजेक्शन जैसे दस्तावेज भी होमबायर्स ने ईओडब्ल्यू को सौंपे थे। यानी साल 2019 में ही सारे तथ्य ईओडब्ल्यू के पास पहुंच गए थे लेकिन बिल्डर के रसूख के चलते केस आगे ही नहीं बढ़ पाया। सारे जरूरी साक्ष्य होने के बाद ईओडब्ल्यू को जांच पूरी करने किस तथ्य की जरूरत है अब ये तो भगवान ही समझ सकता है।
फैसला सुना चुका सुप्रीम कोर्ट, जांच में ही उलझा ईओडब्ल्यू
बिल्डर की धोखाधड़ी की जांच कर रहे आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो को लेकर दिलचस्प बात भी है। यह आपको गुदगुदा देगी। दरअसल कई साल तक मकान नहीं मिलने पर होमबायर्स ने ईओडब्ल्यू में शिकायत की थी। जिस पर दो साल तक यह संस्था बयान दर्ज करने के नाम पर टालमटोल करती रही। तीन साल बाद यानी 2022 में अपराध दर्ज किया तो अब फिर तथ्य जुटाने की बात कहकर होमबायर्स को दिलासा दी जा रही है। जबकि इसी मामले में एनसीएलईटी दिल्ली के बाद सुप्रीम कोर्ट भी होमबायर्स के पक्ष में निर्णय दे चुका है। साल 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने बिल्डर हेमंत, राजीव और उसके साथी को जमा की गई राशि लौटाने का आदेश दिया था। बिल्डर कंपनी ने इसकी अनदेखी की जिसके बाद अब अवमानना याचिका पर सुनवाई हो रही है। यानी जिस मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर निर्णय दे चुका है, उसमें ईओडब्लू जांच ही पूरी नहीं कर पाया है।