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Photograph: (the sootr)
देश में गालियों को लेकर बहस और विवाद आए दिन सामने आ रहे हैं। अभी सप्ताह भर पहले जहां बिहार के दरभंगा में पीएम मोदी की मां को गाली दी गई, तो दो दिन पहले सीहोर विधायक भी एक प्रदर्शन में अपनी जुबान पर काबू नहीं रख सके। आए दिन लोग अपने गुस्से और आक्रोश को गालियों के रूप में जाहिर कर रहे हैं। लोगों द्वारा बोली जाने वाली गालियों को लेकर एक सर्वे भी सामने आया है। इस सर्वे ने चौंकाने वाले आंकड़े प्रस्तुत किए हैं।
इस सर्वे में सामने आया है कि मध्यप्रदेश(MP) में हर दूसरा आदमी गाली देने वाला है। इस सर्वे के अनुसार, प्रदेश की राजधानी भोपाल, ग्वालियर और इंदौर गाली देने वाले शहरों की सूची में शीर्ष स्थान पर हैं। यह आंकड़े गालीबाजी के बढ़ते चलन को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं। इससे यह सवाल उठता है कि क्या समाज में गालियों का प्रचलन बढ़ता जा रहा है और इसका कारण क्या हो सकता है?
गालीबाजी के बढ़ते मामलों का सर्वे
सेल्फी विद डॉटर फाउंडेशन द्वारा किए गए इस सर्वे में मध्यप्रदेश के 55 जिलों के 8400 लोगों से पूछा गया कि क्या वे गालियां देते हैं। सर्वे में पाया गया कि प्रदेश के 48% लोग गालियां देते हैं, जिसमें 68% पुरुष और 28% महिलाएँ शामिल हैं। गाली देने का यह चलन मुख्यतः आपसी तनाव, गुस्सा और अशिष्टता को दर्शाता है।
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प्रमुख शहरों में गालीबाजी की स्थिति
सर्वे में यह भी सामने आया कि मध्यप्रदेश के प्रमुख शहरों में गाली देने का चलन अधिक है। भोपाल, ग्वालियर और इंदौर जैसे महानगरीय शहरों में गाली देने का प्रतिशत 50% से अधिक है। इन शहरों में गाली देना आम बात मानी जाती है और इसे सामाजिक व्यवहार का हिस्सा समझा जाता है।
भोपाल: 63% लोग गालियां देते हैं
ग्वालियर: 58% लोग गालियां देते हैं
इंदौर: 56% लोग गालियां देते हैं
जिला | गालियां (प्रतिशत) |
---|---|
भोपाल | 63 |
ग्वालियर | 58 |
इंदौर | 56 |
शिवपुरी | 55 |
नरसिंहपुर | 55 |
सीहोर | 53 |
दमोह | 53 |
सागर | 52 |
रीवा | 52 |
रतलाम | 52 |
गाली देने में महिलाएं भी पीछे नहीं
आप सोच सकते हैं कि गाली देने में पुरुषों का अधिक योगदान होगा, लेकिन सर्वे में यह तथ्य सामने आया है कि महिलाएँ भी गाली देने में पीछे नहीं हैं। 28% महिलाएँ और लड़कियाँ भी गालियों का प्रयोग करती हैं, जो इस बात का संकेत है कि गाली देने की प्रवृत्ति अब केवल पुरुषों तक सीमित नहीं है।
गालीबाजी के इस सर्वे को ऐसे समझें शार्ट में
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गाली देने का समाज पर प्रभाव
गाली देने की आदत समाज में असंवेदनशीलता और अशिष्टता को बढ़ावा देती है। जब लोग गालियां देते हैं, तो यह उनकी मानसिकता और व्यक्तित्व पर गहरे असर डालता है। यह सामाजिक वैचारिकता को प्रभावित करता है और यह आमतौर पर झगड़ों, हिंसा और मानसिक तनाव का कारण बन सकता है।
सोशल लर्निंग थ्योरी के अनुसार, व्यक्ति अपने परिवार, दोस्तों और समाज से सीखी हुई बातों को अपनाता है। यदि किसी व्यक्ति का सामाजिक परिवेश गाली देने को सामान्य मानता है, तो वह उसे नॉर्मल व्यवहार के रूप में अपनाता है।
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गाली बंद घर अभियान
गाली बंद घर अभियान की शुरुआत 11 साल पहले हरियाणा के प्रोफेसर सुनील जागलान ने की थी। उन्होंने इस अभियान के तहत भारत के विभिन्न राज्यों में सर्वे किया और गाली देने के पैटर्न पर शोध किया। उनका उद्देश्य समाज में गाली देने की आदतों को खत्म करना था। इस अभियान के तहत लगभग 70,000 लोगों ने भाग लिया और 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों में सर्वे किया गया।
गालीबाजी को कैसे रोका जा सकता है?
गाली देने की प्रवृत्ति को रोकने के लिए समाज में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है। यह महत्वपूर्ण है कि लोग गाली देने को न केवल अनुशासनहीनता के रूप में देखें, बल्कि यह भी समझें कि यह किसी की भावनाओं को आहत करने का एक तरीका है।
शैक्षिक और मानसिक स्वास्थ्य की भूमिका
व्यक्तिगत स्तर पर, शिक्षा और मानसिक स्वास्थ्य पर जोर दिया जाना चाहिए। बच्चों और युवाओं को गाली देने के नकारात्मक प्रभावों के बारे में बताया जाना चाहिए, ताकि वे इसे अपनाने से बचें। इसके अलावा, मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देकर लोग अपनी भावनाओं और गुस्से को बेहतर तरीके से नियंत्रित कर सकते हैं।
गालीबाजी के बीते दिनों सामने आए ये मामले
लोग आम बोलचाल में तो अक्सर एक-दूसरे के लिए अभद्र व अशिष्ट भाषा का प्रयोग करते हैं; इन्हें गालियां कहा जाता है। इन गालियों के बीते एक सप्ताह में दो बड़े मामले सामने आए। पहला मामला देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़ा है। कांग्रेस की वोटर बचाओ यात्रा के दौरान बिहार के दरभंगा में राहुल गांधी की सभा के बाद मंच से एक युवक द्वारा माइक पर पीएम मोदी की माताजी के लिए असभ्य भाषा का प्रयोग किया गया, जिसे लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। पटना में तो भाजपा और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच जमकर विवाद भी सामने आया था।
पढ़े-लिखे विधायक भी नहीं रख सके जुबान पर काबू
यह कहना गलत होगा कि केवल अशिक्षित या कमजोर वर्ग के लोग ही गालियां देते हैं; अच्छे-खासे पढ़े-लिखे और उच्च शिक्षित लोग भी अपनी जुबान पर काबू नहीं रख पाते हैं। ऐसा ही एक मामला सीहोर जिले से सामने आया।
यहाँ पीएम मोदी की मां को दी गई गाली के विरोध में भाजपा द्वारा कांग्रेस कार्यालय के सामने प्रदर्शन किया जा रहा था। इस प्रदर्शन में सीहोर विधायक सुदेश राय भी मौजूद थे। बता दें कि सुदेश राय उच्च शिक्षित हैं, उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई लंदन से की है। लेकिन प्रदर्शन के दौरान गुस्से में वे भी अपनी भाषा पर संयम नहीं रख सके। उनके द्वारा दी गई गाली का वीडियो भी जमकर वायरल हो रहा है।
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